रीवा में 'सफेद शेर' स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के शताब्दी वर्ष से पहले उनकी प्रतिमा पर छिड़ा महासंग्राम: पूरे प्रदेश में राजनीतिक भूचाल
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा को लेकर एक ऐसा सियासी तूफान खड़ा हो गया है, जिसने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। विंध्य क्षेत्र के 'सफेद शेर' के नाम से मशहूर श्रीनिवास तिवारी की जयंती पर उनकी प्रतिमा का अनावरण होना था, लेकिन प्रशासन ने अचानक इस पर रोक लगा दी। इस एक फैसले ने कांग्रेस और प्रशासन के बीच एक खुली जंग का ऐलान कर दिया है। यह विवाद सिर्फ एक प्रतिमा का नहीं, बल्कि सियासी वर्चस्व और सम्मान की लड़ाई बन गया है।
विवाद की असली जड़: चौराहे का नाम या सियासी चाल?
इस विवाद की जड़ में एक सीधा-सा सवाल है: चौराहे का नाम क्या है? नगर निगम प्रशासन जिस चौराहे पर प्रतिमा लगा रहा था, उसे एसएफ चौराहा कह रहा है, जबकि पुलिस उसे पुलिस लाइन चौराहा बता रही है। इसी नाम के मतभेद का हवाला देते हुए पुलिस ने अचानक काम बंद करवा दिया। कांग्रेस का आरोप है कि यह सिर्फ एक बहाना है और असल में यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। उनका कहना है कि अगर यह सुरक्षा का मुद्दा था, तो पिछले दस दिनों से काम क्यों चल रहा था और अब अचानक ही क्यों रोका गया?
महापौर अजय मिश्रा का विस्फोटक बयान
रीवा के महापौर अजय मिश्रा बाबा ने इस मामले पर एक विस्फोटक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि "हम पिछले दस दिनों से काम कर रहे थे, लेकिन अचानक पुलिस प्रशासन ने पहुंचकर काम रुकवा दिया। चौराहे के नाम को लेकर जानबूझकर मतभेद पैदा किए जा रहे हैं। यह श्रीनिवास तिवारी जी का अपमान है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।" उनका यह बयान साफ तौर पर प्रशासन और सरकार पर सीधा हमला है, जिसने इस लड़ाई को और भी तीखा बना दिया है।
कांग्रेस का गर्जना-पूर्ण ऐलान: "प्रतिमा तो हर हाल में लगेगी!"
प्रशासन की कार्रवाई के बाद कांग्रेस का गुस्सा सातवें आसमान पर है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने गर्जना-पूर्ण लहजे में कहा, "प्रतिमा तो लग कर रहेगी, हर हाल में लगेगी।" उन्होंने प्रशासन को सीधी चेतावनी देते हुए कहा, "आप अवरोध करोगे, लेकिन हमें रोक नहीं पाओगे।" यह बयान स्पष्ट करता है कि कांग्रेस इस मामले में पीछे हटने के मूड में नहीं है और अगर प्रशासन ने अपने कदम वापस नहीं लिए, तो पूरे प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन छिड़ सकता है।
'सफेद शेर' के सम्मान पर सवाल: क्या सियासी दांव-पेंच हावी?
स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी न सिर्फ एक बड़े नेता थे, बल्कि वे पूरे विंध्य क्षेत्र के लिए सम्मान का प्रतीक थे। उनकी प्रतिमा को लेकर छिड़ा यह विवाद अब केवल एक चौराहे का मुद्दा नहीं रहा। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या राजनीतिक दांव-पेंच इतने हावी हो गए हैं कि एक दिवंगत नेता का सम्मान भी सुरक्षित नहीं है? क्या राजनीतिक द्वेष के चलते उनके शताब्दी वर्ष के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम में रुकावट पैदा की जा रही है? इन सवालों ने आम जनता में भी रोष पैदा कर दिया है।
निष्कर्ष: क्या शांत होगा ये राजनीतिक तूफान?
फिलहाल, रीवा में तनाव की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस और प्रशासन दोनों अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों पक्षों के बीच कोई समझौता हो पाता है या फिर यह विवाद और बढ़ेगा। स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा का मुद्दा अब एक राजनीतिक आग का गोला बन गया है, जो पूरे प्रदेश में फैल सकता है। क्या यह राजनीतिक तूफान शांत होगा या और भी उग्र रूप लेगा, इसका जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा।