सिस्टम की 'हत्या' : 2011 का कलेक्टर आदेश रद्दी में फेंका? रीवा के राजस्व अधिकारियों की लापरवाही ने ले ली एक मां की जान, चोरहटा में 6 घंटे तक बवाल 

 
Rewa के चोरहटा में 14 साल से न्याय मांग रही उमा त्रिपाठी ने सिस्टम की बेरुखी से तंग आकर आत्मदाह कर लिया। 6 घंटे तक ग्रामीणों ने शव नहीं उठने दिया, पटवारी पर आरोप।

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा (Rewa) जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली और प्रशासनिक व्यवस्था पर तमाचा जड़ने वाली घटना सामने आई है। चोरहटा थाना क्षेत्र के जोन्हि गांव में एक महिला ने सिस्टम की बेरुखी और न्याय में देरी से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। मृतका का नाम उमा त्रिपाठी (Uma Tripathi) बताया जा रहा है, जिन्होंने शुक्रवार की देर रात खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। इस घटना ने पूरे विंध्य क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है।

शुक्रवार की वो काली रात: जोन्हि गांव में क्या हुआ?
घटना शुक्रवार, 22 नवंबर (अनुमानित) की देर रात की है। जोन्हि गांव में सन्नाटा पसरा था, लेकिन उमा त्रिपाठी के मन में न्याय न मिलने का शोर चल रहा था। जानकारी के मुताबिक, उमा त्रिपाठी का बेटा एक विवाह समारोह (Wedding Ceremony) में शामिल होने के लिए घर से बाहर गया हुआ था। घर पर वह अकेली थीं या अन्य सदस्य सो रहे थे, इसी दौरान हताशा के चरम पर पहुंचकर उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया।

पटवारी और RI पर मिलीभगत के आरोप

प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, उमा त्रिपाठी ने घर के बाहर निकलकर खुद पर ज्वलनशील पदार्थ (पेट्रोल/केरोसिन) डाला और आग लगा ली। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि उन्हें बचने का कोई मौका नहीं मिला और मौके पर ही उनकी दर्दनाक मौत (On-spot Death) हो गई। जब तक आस-पास के लोग कुछ समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

'जिम्मेदारों पर कार्रवाई होने तक शांत नहीं बैठेंगे'

14 साल का संघर्ष: 2010 से चल रहा था जमीनी विवाद 
यह आत्महत्या कोई क्षणिक आवेग का परिणाम नहीं थी, बल्कि 14 साल लंबी प्रताड़ना का दुखद अंत थी।

  • विवाद की जड़: परिजनों के अनुसार, उमा त्रिपाठी की पुश्तैनी जमीन पर उनके ही कुछ रिश्तेदारों ने अवैध कब्जा (Illegal Possession) कर रखा था।
  • 2010 से शिकायतें: परिवार ने वर्ष 2010 में ही प्रशासन को इस कब्जे की जानकारी दी थी।
  • कलेक्टर का आदेश: साल 2011 में तत्कालीन रीवा कलेक्टर ने मामले की सुनवाई करते हुए जमीन से कब्जा हटाने का स्पष्ट आदेश पारित किया था।
  • सिस्टम की विफलता: एक कलेक्टर के आदेश को 14 साल बीत जाने के बाद भी जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया जा सका। यह राजस्व विभाग (Revenue Department) की कार्यशैली पर सबसे बड़ा सवाल है।

प्रशासन पर गंभीर आरोप: पटवारी और RI की भूमिका संदिग्ध 
इस घटना के बाद परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। मृतका के बेटे ने सीधे तौर पर स्थानीय पटवारी (Patwari) और राजस्व निरीक्षक (Revenue Inspector - RI) पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।

आरोप: बेटे का कहना है, "मेरी माँ पिछले डेढ़ दशक से दफ्तरों के चक्कर काट रही थीं। जिम्मेदार अधिकारियों ने मामले को जानबूझकर लटकाए रखा। वे कार्रवाई करने के बजाय हम पर ही समझौते का दबाव बनाते थे। विपक्षियों से मिलीभगत के कारण हमें न्याय नहीं मिल सका।"

यह आरोप रीवा जिले में राजस्व विभाग की लचर कार्यप्रणाली की पोल खोलता है, जहाँ एक बेबस महिला को अपनी जमीन पाने के लिए जान देनी पड़ी।

6 घंटे तक बवाल: ग्रामीणों ने पुलिस को शव उठाने से रोका
आत्मदाह की खबर जैसे ही गांव में फैली, मातम आक्रोश में बदल गया। शनिवार सुबह होते-होते बड़ी संख्या में ग्रामीण और रिश्तेदार मौके पर जमा हो गए।

  • पुलिस का घेराव: सूचना मिलने पर जब चोरहटा थाना पुलिस (Chorhata Police) शव को कब्जे में लेने पहुंची, तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया।
  • शव उठाने से इनकार: परिजनों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक दोषी अधिकारियों और कब्जाधारियों पर FIR दर्ज नहीं होती, वे शव नहीं उठने देंगे।
  • 6 घंटे का ड्रामा: लगभग 6 घंटे तक पुलिस और ग्रामीणों के बीच गतिरोध बना रहा। वरिष्ठ अधिकारियों की समझाइश और कार्रवाई के आश्वासन के बाद ही शव को पोस्टमॉर्टम के लिए संजय गांधी अस्पताल (SGMH Rewa) भेजा जा सका।
  • अस्पताल में हंगामा: अस्पताल में भी शव पहुँचने पर परिजनों ने हंगामा किया और न्याय की गुहार लगाई।

बेटे का दर्द: 'माँ टूट चुकी थी, न्याय की आस खत्म हो गई थी'
उमा त्रिपाठी के बेटे का बयान किसी का भी दिल पसीजने के लिए काफी है। उन्होंने बताया कि माँ अक्सर कहती थीं कि "क्या जीते जी हमें हमारी जमीन मिलेगी?" लगातार मिल रही तारीखों और अधिकारियों के रूखे व्यवहार ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था। यह सुसाइड नहीं, बल्कि सिस्टम द्वारा की गई 'हत्या' है। बेटे ने मांग की है कि इस मामले को धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दर्ज किया जाए।

पुलिस और प्रशासन का पक्ष: क्या कह रही हैं CSP?
इस पूरे हाई-प्रोफाइल मामले में सीएसपी रितु उपाध्याय (CSP Ritu Upadhyay) ने कमान संभाली है।

  • आधिकारिक बयान: सीएसपी ने बताया कि मामला राजस्व विभाग से जुड़ा हुआ है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि महिला जमीनी विवाद और न्याय में देरी से आहत थीं।
  • जांच का आश्वासन: पुलिस ने कहा है कि वे हर पहलू की जांच कर रहे हैं। सुसाइड नोट (यदि कोई हो) और बयानों के आधार पर अग्रिम वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
  • राजस्व अधिकारियों का बचाव: दूसरी ओर, राजस्व विभाग के अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से लापरवाही के आरोपों को निराधार बताया है, लेकिन 14 साल तक आदेश का पालन न होना उनके दावों पर सवाल खड़े करता है।

निष्कर्ष: आखिर कब सुधरेगा सिस्टम?
रीवा के जोन्हि गांव की यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है, यह उस भरोसे की मौत है जो एक आम नागरिक प्रशासन पर करता है। 2011 के आदेश का 2025 तक पालन न होना यह बताता है कि फाइलों में दबे न्याय की कीमत कितनी भारी हो सकती है। अब देखना यह होगा कि क्या उमा त्रिपाठी की मौत के बाद प्रशासन जागेगा? क्या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी, या यह मामला भी किसी फाइल में दबकर रह जाएगा?

FAQ (Frequently Asked Questions)
Q1: रीवा के जोन्हि गांव में महिला ने आत्महत्या क्यों की? A: जोन्हि गांव की उमा त्रिपाठी ने अपनी जमीन पर रिश्तेदारों द्वारा किए गए अवैध कब्जे और 14 साल से राजस्व अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न किए जाने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
Q2: इस मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की है? A: चोरहटा थाना पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाया है और मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। सीएसपी रितु उपाध्याय ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
Q3: परिजनों ने किन अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं? A: परिजनों ने हल्का पटवारी और आरआई (RI) पर मिलीभगत करने, रिश्वतखोरी और मामले को जानबूझकर लटकाने का आरोप लगाया है।
Q4: क्या जमीन कब्जा हटाने का कोई आदेश था? A: हाँ, परिजनों के अनुसार साल 2011 में तत्कालीन कलेक्टर ने कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन 14 साल तक उस पर अमल नहीं हुआ।
Q5: भूमि विवाद की शिकायत कहाँ करें? A: भूमि विवाद की शिकायत आप तहसीलदार कोर्ट, एसडीएम कार्यालय या 'सीएम हेल्पलाइन 181' (मध्य प्रदेश) पर कर सकते हैं।