पिस्टल, CCTV भी नहीं कर पाए साबित! रोशन राक्स को अपर सत्र न्यायालय से मिली राहत, वकील 'शेरा सिंह' की पैरवी से अपर सत्र न्यायालय से बरी
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में अपर सत्र न्यायालय से एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला फैसला सामने आया है। हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) के गंभीर आरोप का सामना कर रहे आरोपी रोशन गुप्ता उर्फ रोशन राक्स को माननीय अपर सत्र न्यायाधीश अशरफ अली के न्यायालय ने दोषमुक्त घोषित कर दिया है। यह फैसला अभियोजन पक्ष (Prosecution) के अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में विफल रहने के बाद आया।
क्या हुआ जब अभियोजन पक्ष विफल रहा?
सम्पूर्ण विचारण (Trial) के उपरांत, न्यायालय ने यह पाया कि अभियोजन पक्ष जप्त किए गए साक्ष्यों, गवाहों, जप्त पिस्टल और यहाँ तक कि घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज को भी आरोपी रोशन राक्स के खिलाफ निर्णायक रूप से साबित नहीं कर सका। इस विफलता के परिणामस्वरूप, आरोपी को धारा 307 आईपीसी (हत्या का प्रयास) और आयुध अधिनियम की धारा 25 और 27 के अपराधों से बरी कर दिया गया।
क्या था पूरा मामला? हर्ष दुबे पर फायर, इंजीनियर को लगी गोली
यह पूरा मामला दिनांक 22 अप्रैल 2024 का है, जब पुलिस थाना समान, जिला रीवा में फरियादी हर्ष दुबे ने एक लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
- घटनास्थल: रिपोर्ट के अनुसार, फरियादी हर्ष दुबे अपने दोस्तों के साथ V2 मॉल, बरा, रीवा के बाहर खड़े थे।
- आरोप: तभी आरोपी रोशन राक्स अपने दो साथियों के साथ मोटरसाइकिल पर आया और फरियादी हर्ष की हत्या करने की नियत से पिस्टल से फायर किया।
- निशाना चूकना और चोट: फरियादी हर्ष खुद को बचाने के लिए वहाँ से भागा, लेकिन आरोपी रोशन राक्स द्वारा किया गया दुबारा फायर पास में खड़े बिजली विभाग, सिलपरा में पदस्थ इंजीनियर दिनेश कुमार तिवारी को जा लगा। गोली लगने से इंजीनियर दिनेश कुमार तिवारी को उनके सीने में प्राणघातक चोट आई थी।
फरियादी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपी रोशन राक्स के खिलाफ IPC की धारा 307 और आयुध अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से घटना में प्रयुक्त पिस्टल की जब्ती भी की थी और सीसीटीवी फुटेज को भी साक्ष्य के तौर पर जब्त किया था।
अभियोजन पक्ष की नाकामी: क्यों साबित नहीं हो सका आरोप?
अभियोजन पक्ष का प्राथमिक दायित्व होता है कि वह सभी संदेहों को दूर करते हुए यह साबित करे कि आरोपी ने ही अपराध किया है। इस मामले में, सीसीटीवी फुटेज क्यों साबित नहीं हुई? और अभियोजन क्यों विफल रहा, इसके संभावित कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- साक्ष्यों की विश्वसनीयता: हो सकता है कि गवाहों ने ट्रायल के दौरान अपने पूर्व बयानों को बदला हो या उनकी गवाही में विसंगति पाई गई हो।
- जब्त पिस्टल का संबंध: यह साबित करना मुश्किल रहा होगा कि जब्त की गई पिस्टल से चलाई गई गोली ही इंजीनियर दिनेश कुमार तिवारी को लगी थी (बैलेस्टिक रिपोर्ट)।
- सीसीटीवी फुटेज की अस्पष्टता: हो सकता है कि जब्त की गई सीसीटीवी फुटेज की गुणवत्ता खराब हो, जिससे आरोपी की पहचान या उसके कृत्य को स्पष्ट रूप से स्थापित न किया जा सका हो।
- हत्या के प्रयास का इरादा : धारा 307 IPC के तहत 'हत्या के इरादे' को साबित करना महत्वपूर्ण होता है। अभियोजन पक्ष शायद यह साबित नहीं कर पाया कि रोशन राक्स का निश्चित इरादा हर्ष दुबे या दिनेश कुमार तिवारी की हत्या करना ही था।
कानूनी सिद्धांत यह है कि 'संदेह का लाभ' हमेशा आरोपी को मिलता है। चूंकि अभियोजन पक्ष अपने मामले को ठोस रूप से साबित करने में असफल रहा, इसलिए न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
कानूनी लड़ाई और बचाव पक्ष के वकील
आरोपी रोशन राक्स की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता राजीव सिंह परिहार ('शेरा सिंह') ने की। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने निश्चित रूप से अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों में कमियाँ (Lapses), विसंगतियाँ (Contradictions), और तकनीकी खामियाँ (Technical Flaws) उजागर की होंगी, जिससे न्यायालय को यह निष्कर्ष निकालने में मदद मिली कि आरोपी के खिलाफ संदेह से परे कोई ठोस मामला नहीं बनता है।
आरोपी रोशन राक्स का सोशल मीडिया/बैकग्राउंड विवरण
रोशन गुप्ता, जिसे रोशन राक्स के नाम से जाना जाता है.
- सोशल मीडिया उपस्थिति: जैसा कि अक्सर इस तरह के मामलों में पाया जाता है, रोशन राक्स की सोशल मीडिया पर उपस्थिति हो सकती है, जहाँ वह अपनी लाइफस्टाइल, दोस्त/सहकर्मी और कुछ मामलों में कानूनी/राजनीतिक संपर्क प्रदर्शित करता हो। (सटीक वर्तमान सोशल मीडिया प्रोफाइल सार्वजनिक नहीं हैं, लेकिन नाम 'रोशन गुप्ता उर्फ रॉक्स' का उल्लेख अदालती दस्तावेजों और मीडिया रिपोर्टों में मिलता है।)
- पूर्व में भी आपराधिक मामले: कुछ मीडिया रिपोर्टों और अदालती दस्तावेजों (जैसे कि जमानत याचिकाओं) से यह संकेत मिलता है कि रोशन राक्स आदतन अपराधी की श्रेणी में रहा है और उसका नाम पहले भी विभिन्न आपराधिक मामलों से जुड़ा रहा है।
- सह-आरोपी: इस घटना में उसके साथ अनुज दुबे और सुजल मिश्रा जैसे अन्य साथी भी शामिल थे। (यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोर्ट का यह फैसला केवल इस विशेष मामले और रोशन राक्स पर लागू होता है।)
इस दोषमुक्ति ने एक बार फिर भारतीय न्याय प्रणाली की जटिलता और महत्व को रेखांकित किया है, जहाँ साक्ष्य की कमी या कमजोरी के कारण गंभीर मामलों में भी आरोपी को बरी किया जा सकता है।