5 लाख का चेंबर स्कैम: कोर्ट में 'घोटाला एक्सप्रेस' फुल स्पीड पर! रीवा के वकील सड़कों पर LIVE, पूछ रहे हैं: नया जजमेंट भवन या नया जंजाल? 

 

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा का नवीन न्यायालय भवन बाहर से भले ही भव्य और आधुनिक दिखता हो, लेकिन अंदर की व्यवस्था ने इस भव्यता की पोल खोल दी है। न्यायालय की कार्यवाही शुरू हो चुकी है, जिसके कारण वकीलों को नए भवन में आना पड़ रहा है, लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है।

वकील सड़क पर काम करने को मजबूर

  • बैठक व्यवस्था: अधिवक्ताओं के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें अपनी फाइलों और किताबों के साथ भवन के बाहर खड़े रहना पड़ रहा है और इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
  • बुनियादी ज़रूरतें: पानी और बिजली जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं, जिससे वकीलों को भीषण असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
  • आक्रोश: अधिवक्ताओं का कहना है कि बड़े भवन से व्यवस्था नहीं बनती, बल्कि नियमों का पालन और सही कार्यान्वयन आवश्यक है। सुविधाओं के अभाव से उनमें भ्रम और आक्रोश व्याप्त है, जो सीधे तौर पर न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

बार और बेंच के बीच तालमेल की कमी 
अधिवक्ताओं ने इस अव्यवस्था के लिए बार और बेंच (न्यायाधीशों) के बीच तालमेल की कमी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।

न्यायाधीश के आदेश पर विवाद
अधिवक्ताओं का आरोप है कि न्यायाधीश (डीजे महोदय) ने नई न्यायालय प्रक्रिया शुरू करने का आदेश तो दे दिया, लेकिन अधिवक्ता संघ (बार) की स्थापना और उनके बैठने की व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त समय और सहयोग नहीं दिया गया। वकीलों के अनुसार:

व्यवस्था बाधित: अधिवक्ता संघ के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन नहीं हो पाया, जिससे पूरी व्यवस्था बाधित हो गई।
अधूरी तैयारी: अधिवक्ताओं का कहना है कि जब तक बार की बुनियादी सुविधाएँ पूरी न हो जाएँ, तब तक न्यायिक प्रक्रिया को पूरी तरह से नए भवन में शिफ्ट नहीं करना चाहिए था।

यह स्थिति दर्शाती है कि अधिवक्ताओं का सम्मान और सुविधा सुनिश्चित किए बिना न्यायालय की कार्यवाही सुचारू नहीं हो सकती।

चेंबर आवंटन विवाद: अवैध वसूली और गुप्त सूची का आरोप 
वकीलों का आक्रोश केवल सुविधाओं के अभाव तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चेंबर आवंटन में धांधली के गंभीर आरोपों ने आग में घी डालने का काम किया है।

अवैध वसूली और शासकीय नियम उल्लंघन

  • आरोप: अधिवक्ताओं का आरोप है कि अधिवक्ता संघ (जिसका नेतृत्व राजेंद्र पांडे कर रहे थे) ने चेंबरों के आवंटन के लिए अवैध रूप से ₹5 लाख तक की राशि वसूली है।
  • शासकीय भवन: यह भवन शासकीय संपत्ति है और सरकार के नियमानुसार इसमें भुगतान लेना अनुचित है। चेंबर आवंटन नीति में भी इतनी बड़ी राशि लिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
  • गोपनीयता: आरोप है कि अवैध रूप से पैसा वसूला गया और चेंबर आवंटन की सूची गुप्त रखी गई। अधिवक्ताओं को चेंबर आवंटन की सही जानकारी नहीं दी गई, जिससे योग्य वकीलों को उनका हक नहीं मिल पाया।

वकीलों की दैनिक परेशानी और आक्रोश 
नए भवन की भव्यता के बावजूद, अधिवक्ताओं को अपनी पेशेवर दक्षता और दैनिक जीवन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

परेशानी का चक्र

  • वकील अपनी फाइलों व किताबों के साथ इधर-उधर भटक रहे हैं, जिससे महत्वपूर्ण कागजात और गोपनीयता खतरे में है।
  • जल, बिजली, और बैठने की व्यवस्था की पूरी अनुपस्थिति के कारण, वे पूरी तरह से असहज और निराश हैं।
  • यह स्थिति उनकी कार्यक्षमता को कम कर रही है और आर्थिक तथा कार्य संबंधी दिक्कतों का कारण बन रही है।
  • आंदोलन की चेतावनी: अधिवक्ताओं ने संघ के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके हितों की अनदेखी की गई है।

भविष्य की चेतावनी: कार्य बहिष्कार की आशंका 
वकीलों के इस बढ़ते आक्रोश और प्रशासन की निष्क्रियता के बीच, न्यायिक कार्य के ठप होने की गंभीर आशंका है।

  • बहिष्कार की संभावना: अधिवक्ताओं ने स्पष्ट रूप से न्यायालय कार्य बंद करने (बहिष्कार) की संभावना जताई है, यदि उनकी उचित व्यवस्थाएँ तत्काल सुनिश्चित नहीं की गईं।
  • न्याय में बाधा: यदि अधिवक्ता संघ अपनी माँगें पूरी करने के लिए कार्य बहिष्कार करता है, तो इसका सीधा असर न्यायिक प्रक्रियाओं पर पड़ेगा, जिससे पक्षकारों को और भी अधिक परेशानी होगी और न्याय मिलने में विलम्ब होगा।

मुख्य निष्कर्ष: व्यवस्थागत चुनौतियाँ और विश्वसनीयता पर प्रश्न 
यह पूरा मामला रीवा के न्यायिक प्रशासन में गहरी व्यवस्थागत चुनौतियों को उजागर करता है। एक नया भवन केवल भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर है, लेकिन न्याय व्यवस्था की सफलता बार (अधिवक्ता) और बेंच (न्यायाधीश) के मजबूत तालमेल और बुनियादी सुविधाओं के सही कार्यान्वयन पर निर्भर करती है।

  • समाधान आवश्यक: इस स्थिति को तुरंत सुधारने के लिए, चेंबर आवंटन विवाद की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए, और प्रशासन को वकीलों के लिए तत्काल बुनियादी सुविधाएँ सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • विश्वसनीयता: अधिवक्ताओं का आक्रोश न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है और इस बात पर जोर देता है कि अधिवक्ताओं का सम्मान और सुविधा सुनिश्चित किए बिना न्यायालय की कार्यवाही सुचारू नहीं हो सकती।

FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. रीवा के नवीन न्यायालय भवन में अधिवक्ताओं की मुख्य समस्या क्या है?
A. अधिवक्ताओं की मुख्य समस्या बैठने, पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिसके कारण उन्हें भवन के बाहर खड़े होकर काम करना पड़ रहा है।

Q. चेंबर आवंटन को लेकर क्या विवाद है?
A. अधिवक्ताओं का आरोप है कि अधिवक्ता संघ (राजेंद्र पांडे के नेतृत्व में) ने चेंबरों के लिए अवैध रूप से ₹5 लाख तक की राशि वसूली है, जो शासकीय नियमों का उल्लंघन है, और आवंटन सूची गुप्त रखी गई है।

Q. अधिवक्ताओं ने अपनी मांगों के लिए क्या चेतावनी दी है?
A. अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता संघ के खिलाफ आंदोलन करने और उचित व्यवस्था न होने पर न्यायालय कार्य बंद करने (बहिष्कार) की चेतावनी दी है।

Q. वकीलों के अनुसार इस अव्यवस्था का मुख्य कारण क्या है?
A. वकीलों का आरोप है कि यह अव्यवस्था न्यायाधीश (बेंच) और अधिवक्ता संघ (बार) के बीच तालमेल की कमी का परिणाम है, क्योंकि न्यायाधीश ने बिना पूरी तैयारी के प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया।

Q. अधिवक्ता इस समस्या से किस तरह प्रभावित हो रहे हैं?
A. अधिवक्ता अपनी फाइलों के साथ भटक रहे हैं, उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है, और वे आर्थिक तथा कार्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया की सुगमता बाधित हो रही है।