₹500 के लिए बिकी 'ईमानदारी'! सतना में बाबू की शर्मनाक करतूत, पूरे शहर में थू-थू
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत, लोकायुक्त विभाग ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। इस बार, रीवा संभाग की लोकायुक्त टीम ने सतना जिले के रामपुर बाघेलान तहसील कार्यालय में तैनात एक बाबू को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। इस बाबू का नाम उपेन्द्र पांडे है।
शिकायतकर्ता राम कृष्ण प्रजापति ने लोकायुक्त कार्यालय रीवा में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके भाई के खिलाफ दर्ज एक मामले में पेशी खत्म करने के लिए बाबू उपेन्द्र पांडे लगातार घूस की मांग कर रहे थे। शिकायतकर्ता के मुताबिक, बाबू ने पिछली तीन पेशियों में पहले ही 1500 रुपये रिश्वत के तौर पर ले लिए थे और अब 500 रुपये की और मांग कर रहे थे। यह मामला भाई के विरुद्ध 170 BNNS के तहत दर्ज हुआ था।
कैसे हुई लोकायुक्त की कार्रवाई?
लोकायुक्त कार्यालय रीवा को जैसे ही यह शिकायत मिली, उन्होंने तुरंत इसकी सत्यता की जांच शुरू की। लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक श्री सुनील कुमार पाटीदार के निर्देश पर, शिकायत का सत्यापन किया गया। सत्यापन में शिकायत सही पाई गई, जिसमें आरोपी बाबू ने 500 रुपये की रिश्वत की मांग की।
सत्यापन के बाद, 16 सितंबर, 2025 को लोकायुक्त टीम ने एक योजना बनाई। निरीक्षक श्री उपेन्द्र दुबे और श्री संदीप सिंह भदौरिया के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। इस टीम ने जाल बिछाकर आरोपी उपेन्द्र पांडे को उनके ही दफ्तर में, 500 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। जैसे ही आरोपी ने रिश्वत की रकम ली, लोकायुक्त टीम ने उसे दबोच लिया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की मुहिम
लोकायुक्त विभाग के महानिदेशक श्री योगेश देशमुख के निर्देश पर, पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। रीवा संभाग में ही साल 2025 में अभी तक 18 से ज्यादा ट्रैप मामले सामने आए हैं। ये मामले पंचायत, ग्रामीण विकास, राजस्व, पुलिस, स्कूल शिक्षा और आदिम जाति कल्याण जैसे विभागों से संबंधित हैं।
लोकायुक्त की इन कार्रवाइयों का असर भी दिख रहा है। वर्ष 2025 में, रीवा और सिंगरौली जिलों में तीन आरोपियों को माननीय विशेष न्यायालयों द्वारा कारावास की सजा सुनाई गई है। यह दिखाता है कि सिर्फ पकड़ने तक ही नहीं, बल्कि दोषियों को सजा दिलाने तक भी यह विभाग पूरी तरह सक्रिय है।
क्या कहते हैं लोकायुक्त के अधिकारी?
लोकायुक्त रीवा संभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। वे नागरिकों से अपील करते हैं कि यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी काम के बदले रिश्वत की मांग करता है, तो बिना डर के लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत करें। शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है और हर शिकायत पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। इस तरह की शिकायतें करने से ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है।
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि सरकारी कार्यालयों में छोटे-मोटे कामों के लिए भी रिश्वतखोरी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। लेकिन, लोकायुक्त जैसी संस्थाओं की सक्रियता से आम जनता को उम्मीद मिलती है कि उनके हक का काम बिना पैसे दिए भी हो सकता है।