सतना PWD का 'घूसखेल': फर्जी NOC से ₹2.59 करोड़ उड़ाए! इंजीनियर मनोज द्विवेदी और दिल्ली का ठेकेदार EOW के फंदे में

 

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्यप्रदेश के सतना लोक निर्माण विभाग (PWD) में फर्जी दस्तावेज़ों के इस्तेमाल से करोड़ों रुपए के गबन का एक गंभीर मामला सामने आया है। इस धोखाधड़ी में, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मनोज द्विवेदी और दिल्ली की एस.आर. कन्स्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार की मिलीभगत से शासन को ₹2 करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान पहुँचाया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW), रीवा ने दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है और इसकी विवेचना शुरू कर दी है।

ठेकेदार ने क्या किया?
जाँच में यह खुलासा हुआ कि ठेकेदार ने ₹2.59 करोड़ की रोकी गई राशि का भुगतान प्राप्त करने के लिए एक फर्जी रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र (NOC) प्रस्तुत किया था। यह प्रमाण पत्र कथित तौर पर कलेक्टर कार्यालय, खनिज शाखा रीवा से जारी दिखाया गया था, जिसका उद्देश्य यह साबित करना था कि सड़क निर्माण में उपयोग किए गए खनिजों की रॉयल्टी सरकार को जमा कर दी गई है।

तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मनोज द्विवेदी ने इस कथित एनओसी को बिना किसी जाँच-पड़ताल के भुगतान की मंजूरी के लिए मार्क कर दिया।

फर्जीवाड़े का खुलासा
EOW की जाँच में जब इस पत्र की सत्यता जाँची गई, तो पता चला कि खनिज शाखा रीवा द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज़ कभी जारी ही नहीं नहीं किया गया था।

  • फर्जी एनओसी की आवक कार्यालय में भी दर्ज नहीं थी।
  • यह दस्तावेज़ पूरी तरह से मनगढ़ंत था।

इस गंभीर चूक के बावजूद, यंत्री ने लेखाधिकारी की आपत्ति को भी नजरअंदाज कर दिया और ₹2.59 करोड़ की राशि का भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया, जिससे शासन को सीधा आर्थिक नुकसान पहुँचा।

सड़क निर्माण कार्य और गड़बड़ी का दायरा 
यह धोखाधड़ी सतना जिले में वर्ष 2017 से 2022 के बीच हुए सीआरएफ योजना के तहत 46.70 किलोमीटर के सड़क निर्माण कार्यों से संबंधित है।

अनुबंध की तारीख: 1 मई 2017 को एस.आर. कन्स्ट्रक्शन दिल्ली से अनुबंध किया गया।
अंतिम भुगतान: 27 जुलाई 2021 को किया गया।

इस गड़बड़ी से प्रभावित मुख्य मार्गों में सेमरिया-बनकुइंया, मझियार, बकिया, लौलाछ, खाम्हा, इटौर, मैनपुरा, टिकरी, गोरड्या आदि शामिल हैं। क्या यह गबन सिर्फ इन सड़कों तक सीमित है, इसकी जाँच EOW कर रही है।

धोखाधड़ी का खुलासा कैसे हुआ? 
 

  • निर्माण कार्य के दौरान, नियमानुसार ठेकेदार को देयकों का भुगतान किया जा रहा था। हालांकि, काम में देरी होने के कारण माइलस्टोन के प्रावधानों के तहत ठेकेदार की ₹2.59 करोड़ की राशि रोक ली गई थी।
  • इस रोकी गई राशि को हड़पने के लिए ही ठेकेदार ने फर्जी एनओसी का इस्तेमाल किया, जिसे यंत्री ने बिना जाँच के मंजूरी दे दी। किस तरह बिना जाँच के मंजूरी दी गई, यह एक बड़ा सवाल है जिस पर EOW जांच कर रही है।

दर्ज हुआ मामला और जांच की शुरुआत 
EOW के एसपी ने पुष्टि की कि इस फर्जीवाड़े से शासन को ₹2 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है।

निम्नलिखित लोगों और संस्थाओं के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है:

  • तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मनोज द्विवेदी
  • एस.आर. कन्स्ट्रक्शन दिल्ली के ठेकेदार
  • अन्य संबंधित लोग

लगाई गई धाराएँ:

  • भारतीय दंड संहिता (IPC): धारा 120B (आपराधिक साजिश), 409 (विश्वास का आपराधिक हनन), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से कूटरचना), 471 (फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग करना)।
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम: धारा 7C, 13(1)(ए), 13(2)।

क्या भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की और धाराएं भी लग सकती हैं, यह जांच के दौरान तय होगा।

रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र (NOC) क्या है? 
रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र एक अति महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो खनिज विभाग द्वारा जारी किया जाता है।

  • कार्य: यह प्रमाणित करता है कि निर्माण कार्य में उपयोग किए गए खनिजों (जैसे रेत, गिट्टी आदि) की रॉयल्टी (राजस्व) शासन के कोष में विधिवत जमा कर दी गई है।
  • महत्व: सरकारी निर्माण कार्यों में, ठेकेदार के अंतिम भुगतान को जारी करने से पहले इस प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है।

इस मामले में, फर्जी NOC पेश कर न सिर्फ सरकारी नियमों का उल्लंघन किया गया, बल्कि शासन को गंभीर आर्थिक नुकसान भी पहुँचाया गया है।