रीवा में खाद्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल: दूध में पानी, नकली पनीर - क्या 'सिस्टम' सो रहा है या मिलावटखोरों से मिला हुआ है?

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर में खाने-पीने की चीज़ों में भारी मिलावट का खेल धड़ल्ले से चल रहा है, लेकिन खाद्य विभाग की निष्क्रियता अब सीधे तौर पर सवालों के घेरे में है. जनता का आरोप है कि दूध में पानी मिलाया जा रहा है, स्थानीय और अवैध रूप से बने पनीर को शुद्ध बताकर बेचा जा रहा है, और मिठाइयों से लेकर अन्य खाद्य पदार्थों तक में गुणवत्ता से खिलवाड़ हो रहा है. सवाल उठता है कि क्या रीवा का 'सिस्टम' पूरी तरह से सोया हुआ है, या फिर यह मिलावटखोरों के साथ मिला हुआ है?

हर कोने में मिलावट, विभाग बेखबर!
शहर के हर छोटे-बड़े बाज़ार से लेकर दुकानों तक, मिलावट की खबरें आम हो चुकी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि:

दूध में पानी: सुबह-शाम घरों में आने वाले दूध से लेकर डेयरी उत्पादों तक में पानी की मिलावट खुलेआम चल रही है. इससे न सिर्फ उपभोक्ताओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है.
नकली या घटिया पनीर: स्थानीय स्तर पर बन रहे या बाहर से आ रहे घटिया गुणवत्ता वाले पनीर को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है. इसकी शुद्धता और स्वास्थ्य मानकों पर कोई जाँच नहीं हो रही है.
मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों में भी कमी: त्यौहारों पर बनने वाली मिठाइयों से लेकर रोज़मर्रा के खाने-पीने की चीज़ों में भी गुणवत्ता नियंत्रण नहीं दिख रहा है.
खाद्य विभाग पर उठते गंभीर सवाल
यह स्थिति खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है. आखिर विभाग कर क्या रहा है? क्या अधिकारियों को इन शिकायतों की जानकारी नहीं है, या जानबूझकर आँखें मूँदी जा रही हैं? जनता के मन में यह आशंका घर कर गई है कि कहीं विभाग के लोग मिलावटखोरों से साठगाँठ करके तो नहीं बैठे हैं.

स्थानीय निवासियों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा मानकों की नियमित जाँच क्यों नहीं की जाती? मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या विभाग सिर्फ बड़े मामलों में ही सक्रिय होता है, या फिर छोटे मामलों में उसे 'लाभ' नहीं दिखता?

तत्काल कार्रवाई और उच्च स्तरीय जाँच की मांग
रीवा की जनता अब इस पूरे मामले में तत्काल और कठोर कार्रवाई की मांग कर रही है. यह सिर्फ खाद्य सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा मुद्दा है. प्रशासन को चाहिए कि वह खाद्य विभाग को सक्रिय करे, अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जाँच कराए, और दोषी अधिकारियों व मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करे.

क्या प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर जागेगा और जनता को शुद्ध व सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराएगा?