रीवा में 'माल' मांगते इंजीनियर का वीडियो वायरल: टीपी गुर्दवान बोले- बड़े अफसरों को पैसा देना पड़ता है!

 

रीवा में यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक-1 के प्रभारी कार्यपालन यंत्री (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) टीपी गुर्दवान का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे खुले तौर पर भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। इस वीडियो में वे कह रहे हैं कि केस कोई भी हो, बड़े अफसरों को 'माल' (पैसा) देना पड़ता है। उनका कहना है कि सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार फैला हुआ है और जांच अधिकारी पैसों का लेन-देन कर मामले को रफा-दफा कर देंगे।

टीपी गुर्दवान का यह वीडियो रीवा में यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक-1 के प्रभारी कार्यपालन यंत्री के रूप में उनकी भूमिका और सरकारी सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े करता है। इस घटना की पूरी जानकारी विस्तार से निम्नलिखित है:

1. टीपी गुर्दवान का वायरल वीडियो और भ्रष्टाचार का कबूलनामा:

  • वीडियो का सामने आना: रीवा में यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक-1 के प्रभारी कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान का एक एक्सक्लूसिव वीडियो दैनिक भास्कर के पास है, जिसमें वे खुले तौर पर भ्रष्टाचार की बात करते नजर आ रहे हैं।
  • "बड़े अफसरों को माल चाहिए": वीडियो में गुर्दवान स्पष्ट रूप से कहते हैं, "केस कोई भी हो, बड़े अफसरों को माल (पैसा) देना पड़ता है।" वे अपनी उंगलियों से पैसे गिनने का इशारा भी करते हैं, जो उनके इस दावे को और पुष्ट करता है।
  • सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार: गुर्दवान यह भी कहते हैं कि सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार है और जांच अधिकारी पैसों का लेन-देन कर किसी भी मामले को "रफा-दफा" कर देंगे। यह बयान सीधे तौर पर सरकारी जांच प्रक्रियाओं की सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाता है।
  • फर्जी डिग्री मामले में शिकायत वापस लेने का दबाव: वीडियो का मुख्य मुद्दा गुर्दवान की कथित फर्जी एएमआईई (AMIE) डिग्री से जुड़ा है। वे आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी, जिन्होंने इस मामले में आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी, से अपनी शिकायत वापस लेने का आग्रह कर रहे हैं।

2. आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी से बातचीत:

  • शिकायत को 'उछालने' से रोकना: गुर्दवान आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी से कहते हैं, "सर्विस बुक वाले प्रकरण को बहुत आगे तक उछाल रहे हो।" द्विवेदी के इनकार के बावजूद, गुर्दवान अपनी बात पर अड़े रहते हैं।
  • पैसे के नुकसान का तर्क: गुर्दवान का तर्क है कि अगर शिकायत ऊपर तक जाती है तो अधिकारियों को 'माल' चाहिए होगा, और इससे उनका (गुर्दवान का) ही "नुकसान" होगा।
  • तीसरे व्यक्ति (ठेकेदार) का समर्थन: बातचीत में एक ठेकेदार भी शामिल है, जो गुर्दवान के भ्रष्टाचार के दावे का समर्थन करता है। वह कहता है, "सभी ढूंढ रहे हैं माल (पैसा)। माल किसको नहीं चाहिए बताइए? अधिकारी बिना खाए घूम दौड़ रहे हैं तो माल (पैसे) के लिए ही तो है। हम भी चाबी लेकर माल की तलाश में ही हैं।" यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार सिस्टम में कितनी गहराई तक फैला हुआ है।
  • शिकायत वापस लेने का तरीका: गुर्दवान, द्विवेदी को एक लिखित पत्र अधीक्षण यंत्री (एसई) को देने का सुझाव देते हैं। इस पत्र में यह लिखने को कहा जाता है कि उन्होंने (द्विवेदी ने) गुर्दवान के डिग्री और सर्विस बुक संबंधी कागज देख लिए हैं और उन्हें आगे कोई जांच नहीं करवानी है। गुर्दवान का कहना है कि ऐसा करने से "मैटर यहीं खत्म हो जाएगा और ऊपर तक नहीं जाएगा।"
  • 40 साल की नौकरी का हवाला: गुर्दवान यह भी कहते हैं, "अब 40 साल से लड़ रहे हैं नौकरी में तो 6 महीने और लड़ लेंगे," जो दर्शाता है कि वे अपनी नौकरी बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

3. फर्जी एएमआईई डिग्री का मामला और जांच की स्थिति:

  • आरोप: टीपी गुर्दवान पर एएमआईई की फर्जी डिग्री का उपयोग करने का आरोप है।
  • आरटीआई का उपयोग: आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने आरटीआई के माध्यम से गुर्दवान की सर्विस बुक और डिग्री से संबंधित दस्तावेज मांगे थे, जिससे यह मामला उजागर हुआ।
  • जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव तक: कमिश्नर रीवा संभाग बाबू सिंह जामोद ने इस मामले की अंतिम जांच रिपोर्ट एक महीने पहले ही प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास विभाग दीपाली रस्तोगी को भेज दी है।
  • कार्रवाई का अभाव: हैरान करने वाली बात यह है कि जांच रिपोर्ट भेजे जाने के एक महीने बाद भी टीपी गुर्दवान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं।

4. गुर्दवान का पहले भी सामने आया वीडियो:

  • अप्रैल माह का वीडियो: अप्रैल माह में भी टीपी गुर्दवान का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वे उपयंत्री अनित राज को बचाने की बात कर रहे थे।
  • दस्तावेजों में सुधार और संरक्षण: उस वीडियो में गुर्दवान ने कहा था कि उन्होंने "बैक डेट में जाकर दस्तावेजों में सुधार कर" अनित राज को संरक्षण दिया था। उन्होंने विधायक अभय मिश्रा से जुड़े एक प्रकरण में भी अनित राज को बचाने का दावा किया था।
  • "नौकरी न जाने देने" की बात: गुर्दवान ने यह भी कहा था कि वे नहीं चाहते कि किसी की नौकरी उनकी "कलम से जाए" और उन्होंने "कई बार" अनित राज सिंह को बचाया है।
  • कलेक्टर द्वारा नोटिस: इस मामले के बाद कलेक्टर प्रतिभा पाल ने टीपी गुर्दवान को नोटिस जारी कर 3 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा था।

निष्कर्ष:

टीपी गुर्दवान का यह नवीनतम वीडियो न केवल उनके व्यक्तिगत आचरण पर सवाल उठाता है बल्कि सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी उजागर करता है। यह दिखाता है कि कैसे अधिकारी खुलेआम भ्रष्टाचार की बात करते हैं, जांच से बचने के लिए शिकायतकर्ताओं पर दबाव डालते हैं, और उच्च अधिकारियों के सामने भी 'माल' की पेशकश का दावा करते हैं। यह मामला सरकारी पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है, खासकर जब जांच रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।