सतना में 'मासूमियत' शर्मसार: 4 साल की बच्ची से दुष्कर्म, 'ऑटो वाले अंकल' ने किया हैवानियत; पूरा शहर स्तब्ध!

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक बेहद शर्मनाक और संवेदनशील घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में स्कूल जाने वाली बच्चियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां सिविल लाइन थाना क्षेत्र में केजी फर्स्ट में पढ़ने वाली एक 4 साल की मासूम छात्रा के साथ उसी के स्कूल ऑटो चालक ने दुराचार किया। यह घटना 19 अगस्त को हुई, जब बच्ची रोजाना की तरह अकेले ऑटो में सवार थी।

क्या है पूरा मामला?
पीड़ित बच्ची के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी 4 साल की बेटी के साथ स्कूल ऑटो चालक द्वारा दुराचार किया गया। यह घटना तब हुई जब मासूम अकेले ऑटो में थी। बच्ची के साथ हुई इस हैवानियत के बाद उसके परिवार में गहरा सदमा है। शिकायत के आधार पर, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी ऑटो चालक राजकुमार दाहिया को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है।

प्रमुख अंतर्दृष्टि और सुरक्षा के सवाल
यह घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं है, बल्कि यह समाज और प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करती है।

1. सुरक्षा की गंभीर कमी: यह मामला दर्शाता है कि स्कूल जाने वाले बच्चों, खासकर नाबालिगों की सुरक्षा के लिए हमारे पास पर्याप्त उपाय नहीं हैं। स्कूल बस या ऑटो का चयन करते समय क्या ड्राइवर और उनके सहायकों की पृष्ठभूमि की जांच की जाती है? यह एक बड़ा सवाल है। अभिभावकों और स्कूल प्रशासन को इस संबंध में सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

2. आत्मनिर्भरता और जोखिम: छोटे बच्चों को अकेले ऑटो या रिक्शा में स्कूल भेजना एक आम चलन है, जो इस घटना के बाद जोखिम भरा प्रतीत होता है। इस मामले ने यह उजागर किया है कि अकेले यात्रा करने वाली बच्चियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी है।

3. त्वरित पुलिस कार्रवाई: इस मामले में पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की, जो एक सकारात्मक कदम है। आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना यह संदेश देता है कि कानून ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा। हालांकि, सवाल यह भी है कि क्या पुलिस इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निवारक उपायों पर भी उतना ही ध्यान दे रही है।

समाज में डर और असुरक्षा का माहौल
यह घटना न केवल पीड़ित परिवार, बल्कि पूरे सतना जिले के अभिभावकों में डर और असुरक्षा का कारण बन गई है। कई माता-पिता अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने के तरीके और वाहन के चयन पर फिर से विचार करने लगे हैं। बच्चों की सुरक्षा को लेकर इस तरह की घटनाएं समाज में एक गहरे डर को जन्म देती हैं, जिसका असर लंबे समय तक रहता है।

सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
इस मामले ने स्कूलों, स्कूल वाहन संचालकों और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय और निगरानी की आवश्यकता को उजागर किया है। यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि बच्चों को स्कूल ले जाने वाले सभी वाहन चालकों और सहायकों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य हो। साथ ही, बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

इस घटना ने सतना जिले सहित पूरे देश में नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के विषय में गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। बच्चों के प्रति इस तरह के जघन्य अपराधों को रोकने के लिए समाज, प्रशासन और परिवारों को मिलकर काम करना होगा।