'बीएलओ' ड्यूटी का बढ़ता दबाव: सीधी में एक और बलि, बीमार कर्मचारी को छुट्टी क्यों नहीं मिली? बेटे ने खोला प्रशासन का काला सच, क्या निर्वाचन आयोग लेगा एक्शन? 

 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) सीधी जिले के रामपुर नैकिन में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की मंगलवार दोपहर निर्वाचन आयोग के एसआईआर (SIR) कार्य के दौरान दुखद मृत्यु हो गई। मृतका की पहचान वीणा मिश्रा (55 वर्ष) के रूप में हुई है, जो कपूरी बेदौलिहान क्रमांक 1 में पिछले 15 सालों से अपनी सेवाएँ दे रही थीं।

यह घटना तब हुई जब वीणा मिश्रा एसआईआर का काम कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें अचानक सीने में तेज दर्द उठा और वह मौके पर मौजूद बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) और आरआई (राजस्व निरीक्षक) के सामने जमीन पर गिरकर बेहोश हो गईं।

  • घटनास्थल: रामपुर नैकिन, सीधी जिला
  • कार्य: निर्वाचन आयोग का एसआईआर कार्य
  • समय: मंगलवार दोपहर
  • प्रारंभिक लक्षण: सीने में तेज दर्द और बेहोशी

घटना के तुरंत बाद, उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों ने परिजनों को सूचित किया। परिवार उन्हें आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल ले गया। वहाँ प्राथमिक उपचार के बाद, डॉक्टरों ने उनकी हालत को गंभीर बताते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए रीवा के संजय गांधी अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में या अस्पताल पहुँचने के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई।

वीणा मिश्रा सीधी जिले के रामपुर नैकिन में पदस्थत थी।

परिजन और बेटे का आरोप: काम का दबाव बना मृत्यु की वजह 
वीणा मिश्रा की मौत के बाद उनके घर में मातम पसर गया है और उनके बेटे नीरज मिश्रा ने अधिकारियों पर संवेदनहीनता और लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। नीरज मिश्रा के अनुसार, उनकी माँ को तीन दिन पहले भी हार्ट अटैक आया था, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों ने उन्हें आराम या अवकाश नहीं दिया और उन पर कार्य पूरा करने का दबाव बनाया।

नीरज मिश्रा ने दावा किया कि इसी दबाव में उनकी माँ को एक बार फिर कार्यस्थल पर बुलाया गया, जहाँ उनकी हालत और भी बिगड़ गई। उन्होंने अधिकारियों के इस व्यवहार को अमानवीय बताया है।

"मेरी मां को तीन दिन पहले भी हार्ट अटैक आया था। इसके बावजूद काम से छुट्टी नहीं मिली। दूसरी बार आज हार्ट अटैक आया। अगर अधिकारियों ने थोड़ा भी मानवीय व्यवहार दिखाया होता, मेरी मां जिंदा होती। मौत के लिए संवेदनहीन प्रशासन जिम्मेदार है।" - नीरज मिश्रा

वीणा मिश्रा की मौत के बाद घर में मातम पसरा।
यह आरोप सीधे तौर पर दर्शाते हैं कि स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति के बावजूद काम के अत्याधिक दबाव और छुट्टी न मिलने के कारण वीणा मिश्रा को दोबारा कार्य पर जाना पड़ा, जो उनकी मौत का तात्कालिक कारण बना। क्या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को काम के दबाव के कारण हार्ट अटैक आया? परिजनों के अनुसार, हाँ, यह काम का अत्यधिक दबाव ही था।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का सेवाकाल 
वीणा मिश्रा ने एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में 15 वर्षों तक अपनी सेवाएँ दीं।

  • पद: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
  • कार्यस्थल: कपूरी बेदौलिहान क्रमांक 1
  • सेवाकाल: 15 वर्ष

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण, स्वास्थ्य और बाल विकास से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें अक्सर निर्वाचन कार्यों (जैसे बीएलओ ड्यूटी, एसआईआर) जैसे अतिरिक्त सरकारी कार्यों में भी लगाया जाता है, जिसके लिए उन्हें अक्सर लंबी ड्यूटी करनी पड़ती है और कार्य का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है।

मृत्यु का कारण: डॉक्टरी जांच
रीवा के संजय गांधी अस्पताल में डॉक्टरों ने वीणा मिश्रा को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने उनकी मृत्यु का कारण हार्ट अटैक (हृदयघात) बताया। चूंकि यह एक गंभीर आरोप का मामला है, इसलिए प्रशासन को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए कि अधिकारियों ने छुट्टी क्यों नहीं दी और किन परिस्थितियों में गंभीर स्वास्थ्य समस्या वाली महिला को निर्वाचन कार्य के लिए बुलाया गया।

संवेदनशील प्रशासन की कमी पर सवाल 
यह घटना सरकारी कर्मचारियों पर, विशेष रूप से उन महिलाओं पर, जो कई अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ निभाती हैं, कार्य के अत्यधिक दबाव के गंभीर मुद्दे को उजागर करती है।

किसकी मौत हुई और कैसे हुई - यह सवाल अब प्रशासन की कार्यशैली और उसके मानवीय दृष्टिकोण पर सीधा सवाल खड़ा करता है। किसी भी कर्मचारी को, खासकर गंभीर रूप से बीमार होने पर, काम के लिए मजबूर करना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह नौकरी सुरक्षा और कर्मचारी कल्याण की नीतियों के विपरीत भी है। नीरज मिश्रा का यह कथन कि "संवेदनहीन प्रशासन जिम्मेदार है" इस पूरे प्रकरण का सार प्रस्तुत करता है।

प्रशासन को इस मामले में तुरंत जांच करनी चाहिए कि कार्यस्थल पर क्या हुआ और इस संवेदनहीनता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।