सॉफ्टवेयर ने किया कमाल! मप्र के 'संपदा 2.0' को मिला राष्ट्रीय सम्मान, रुकेगा जमीनों का फर्जीवाड़ा

मध्य प्रदेश में जमीनों की रजिस्ट्री को और अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और आसान बनाने के लिए संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लॉन्च किया गया है। यह एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर 10 अक्टूबर 2024 को राज्य स्तर पर शुरू किया गया था। इस सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य भूमि पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाना है, जिससे न केवल कार्य में पारदर्शिता आए, बल्कि जमीन का फर्जीवाड़ा भी पूरी तरह से रोका जा सके। इसने पारंपरिक और जटिल पंजीकरण प्रक्रिया को खत्म करके एक सरल और उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रणाली स्थापित की है। संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर क्या है यह जानने के लिए यह समझना जरूरी है कि यह सिर्फ एक सॉफ्टवेयर नहीं, बल्कि सुशासन और डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कैसे मिला राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार? (Kaise mila rashtriya e-governance puraskar?)
संपदा 2.0 की सफलता और अभिनव विशेषताओं को देखते हुए, इसे वर्ष 2025 का राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार में स्वर्ण श्रेणी का सम्मान प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा प्रदान किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर को "Government Process Re-engineering by use of technology for Digital Transformation" श्रेणी में चुना गया, जो यह दर्शाता है कि इसने सरकारी प्रक्रियाओं को पूरी तरह से डिजिटल और आधुनिक बना दिया है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार किसे मिला यह सवाल अब मध्यप्रदेश के नाम से जुड़ गया है, जिसने इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है।
संपदा 2.0 की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं? (Sampada 2.0 ki pramukh visheshtayen kya hain?)
संपदा 2.0 कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है जो इसे अन्य सॉफ्टवेयर से अलग करती हैं। इसकी प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- आधार आधारित पहचान: अब भूमिस्वामी की पहचान आधार ई-ओथ और ई-केवाईसी के माध्यम से होती है, जिससे फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो जाती है।पेपरलेस पंजीकरण: यह सॉफ्टवेयर दस्तावेजों को पूरी तरह से पेपरलेस ई-पंजीयन करने की सुविधा देता है।
- वीडियो केवाईसी: 140 प्रकार के दस्तावेजों में से 75 का पंजीकरण वीडियो केवाईसी के माध्यम से किया जा सकता है, जिसके लिए उप-पंजीयक कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होती।
- जीआईएस तकनीक: इसमें जीआईएस तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे संपत्ति का विवरण संबंधित विभाग से सीधे एकीकृत हो जाता है।
- ऑनलाइन ई-स्टांप: कोई भी व्यक्ति कभी भी और कहीं से भी पोर्टल (www.sampada.mpigr.gov.in) के माध्यम से ई-स्टांप प्राप्त कर सकता है।
- मोबाइल ऐप: इसका मोबाइल ऐप लोगों को किसी भी क्षेत्र की गाइडलाइन दरें तुरंत देखने की सुविधा देता है।
- इन विशेषताओं ने मध्यप्रदेश में जमीन की रजिस्ट्री कैसे करें इस प्रक्रिया को बहुत आसान और सुरक्षित बना दिया है।
यह सॉफ्टवेयर भूमि फर्जीवाड़ा कैसे रोकता है? (Yah software bhoomi farziwada kaise rokta hai?)
संपदा 2.0 ने भूमि फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कई मजबूत कदम उठाए हैं। सबसे पहले, आधार ई-ओथ और ई-केवाईसी के माध्यम से संपत्ति के क्रेता और विक्रेता की पहचान सुनिश्चित की जाती है, जिससे किसी और की पहचान का उपयोग करके फर्जीवाड़ा करना असंभव हो जाता है। दूसरा, यह सॉफ्टवेयर दस्तावेजों के प्रारूपण को स्वचालित रूप से तैयार करता है, जिससे कानूनी आवश्यकताओं का पालन होता है। तीसरा, पंजीकरण पूरा होने पर दस्तावेज सीधे पक्षकारों के ईमेल और व्हाट्सऐप पर भेज दिए जाते हैं, जिससे दस्तावेजों के खोने या हेरफेर का खतरा नहीं रहता। जमीन का फर्जीवाड़ा कैसे रोका जा सकता है इसका यह एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसने प्रदेश में भूमि संबंधी विवादों को काफी हद तक कम किया है।
मध्यप्रदेश बना पेपरलेस ई-पंजीयन का अग्रणी राज्य (Madhya Pradesh bana paperless e-panjeeyan ka agrani rajya)
संपदा 2.0 के लागू होने के साथ, मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने दस्तावेजों को पूर्णतः पेपरलेस ई-पंजीयन प्रारंभ किया है। इस पहल ने न केवल समय और संसाधनों की बचत की है, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं को भी पर्यावरण-अनुकूल बनाया है। पेपरलेस पंजीकरण क्या होता है यह दर्शाता है कि अब कागजी कार्यवाही की जरूरत नहीं है, सारी प्रक्रियाएं डिजिटल रूप से संपन्न होती हैं। इससे नागरिकों को लंबी कतारों और बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिली है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की क्या प्रतिक्रिया है? (Mukhyamantri Dr. Mohan Yadav ki kya pratikriya hai?)
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस उपलब्धि पर प्रदेशवासियों, वाणिज्यिक कर विभाग और परियोजना से जुड़े सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि मध्यप्रदेश को डिजिटल भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में देश में अग्रणी बनाती है। मुख्यमंत्री ने इसे डिजिटल और सुशासन के उनके संकल्प का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल से लोगों को कार्यालय आए बिना, सुरक्षित और सरल तरीके से पंजीकरण की सुविधा मिलेगी, जो उनके प्रशासन की प्राथमिकता है।
नागरिकों को संपदा 2.0 से क्या लाभ मिल रहा है? (Nagrikon ko Sampada 2.0 se kya labh mil raha hai?)
संपदा 2.0 से नागरिकों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिल रहे हैं:
- सरल और तेज प्रक्रिया: पंजीकरण की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक सरल और तेज हो गई है।
- पारदर्शिता: हर कदम पर पारदर्शिता सुनिश्चित होती है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना खत्म हो जाती है।
- समय की बचत: वीडियो केवाईसी और ऑनलाइन ई-स्टांप की सुविधा के कारण लोगों का समय बचता है।
- सुरक्षा: आधार आधारित पहचान और डिजिटल हस्ताक्षर से दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- सुगमता: मोबाइल ऐप और ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जानकारी तक पहुंच आसान हो गई है।
- इन लाभों ने संपदा 2.0 का उपयोग कैसे करते हैं इस सवाल को बहुत प्रासंगिक बना दिया है और नागरिकों के जीवन को आसान बनाया है।