रीवा में स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला उजागर : 30 लीटर की डस्टबिन 1300 में खरीदी, टैबलेट्स के दाम तीन गुना, जांच रिपोर्ट दबाई गई, कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी

प्रमुख आरोप और अनियमितताएं:
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अत्यधिक दरों पर सामग्री की खरीदी: 30 लीटर की डस्टबिन, जिसकी सरकारी दर ₹244.90 थी, उसे ₹1,300 में खरीदा गया। इसी तरह, ₹399 की टैबलेट्स के लिए ₹990 का भुगतान किया गया।
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केंद्रीय दर से अधिक कीमत पर घटिया सामग्री की खरीदी: ब्लीचिंग पाउडर, ग्लूकोमीटर और ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स निर्धारित मात्रा से कम खरीदे गए और उनकी कीमतें केंद्रीय दर से अधिक थीं।
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डीएमएफ फंड में अनियमितताएं: ₹167.42 लाख की राशि में भी अनियमितताएं की गईं।
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दस्तक अभियान में गड़बड़ियां: डीएमडी पोर्टल पर नियमानुसार फीडिंग नहीं की गई और दवाइयां खंडवार नहीं भेजी गईं।
कांग्रेस की मांग:
कांग्रेस नेताओं ने तत्कालीन और पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
कमिश्नर बी.एस. जामोद ने मामले की जांच कराने और अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
इस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से जनता में भी नाराजगी है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यदि दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन करेंगे।
यह मामला मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जनता और विपक्ष की निगाहें अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।