शहर को जाम और गंदगी से मुक्ति दिलाएंगे कमिश्नर बी.एस. जामौद? नगर निगम को सोमवार तक 'सफाई' का अल्टीमेटम, अवैध कब्जेदार बोले- 'हमें कोई हाथ नहीं लगा सकता, हम RSS से जुड़े हैं!'

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर एक बार फिर अतिक्रमण के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का गवाह बनने जा रहा है। कमिश्नर बी.एस. जामौद ने शहर के मुख्य मार्गों, कोर्ट परिसर के आसपास और शैक्षणिक संस्थानों के पास फैले अवैध कब्ज़ों को हटाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह कार्रवाई सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के उस आदेश का अनुपालन है, जिसमें स्कूल-कॉलेजों के पास गुटखा-पान की दुकानों के संचालन पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे। कमिश्नर कार्यालय के ठीक सामने से अतिक्रमण हटाकर इस अभियान की शुरुआत कर दी गई है और नगर निगम को सोमवार तक पूरे शहर से अवैध कब्ज़े हटाने का स्पष्ट अल्टीमेटम दिया गया है।
कहां-कहां फैला है अतिक्रमण का जाल?
शहर में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन चुका है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कमिश्नर के निशाने पर कई प्रमुख क्षेत्र हैं:
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कोर्ट गेट नंबर 1 के सामने (वार्ड 17 और 18): यह क्षेत्र विशेष रूप से अवैध कब्ज़ों की चपेट में है। यहां 'डीके चाय, चोटीवाला फूड व्यापारी' और कई अन्य चाय-पान की दुकानें संचालित हो रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि यह स्थान वकीलों के लिए निर्धारित पार्किंग स्थल है, जिसे पूर्व कलेक्टर इलैयाराजा टी के आदेश पर बनाया गया था। इसके बावजूद, इस महत्वपूर्ण पार्किंग की जगह पर अवैध रूप से ठेले-गुमटियां संचालित हो रही हैं, जिससे वकीलों और आम जनता दोनों को परेशानी हो रही है।
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कमिश्नर कार्यालय के आसपास: खुद कमिश्नर कार्यालय के आगे-पीछे का क्षेत्र भी अतिक्रमण से अछूता नहीं है।
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GDC (शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय) के पास: यह वह महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बावजूद गुटखा और पान की दुकानें धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं।
अतिक्रमण के साथ अपराध का गठजोड़? गंभीर आरोप!
शहर में फैले इस अतिक्रमण के साथ कई गंभीर आपराधिक गतिविधियों के आरोप भी सामने आ रहे हैं। पूर्व में भी कुछ पान वाले सट्टा (जुए) के कारोबार में लिप्त पाए गए थे और उन पर कार्रवाई भी हुई थी।
सबसे चौंकाने वाला आरोप 'डीके चाय वाला' पर है। सूत्रों के अनुसार, यह व्यक्ति कोरेक्स (एक नशीली दवा) के अवैध कारोबार में भी लिप्त बताया जा रहा है, और उसके आस-पास सट्टा भी खुलवाया जाता है। इस पर कई बार कार्रवाई भी की जा चुकी है, लेकिन यह गतिविधियां बंद नहीं हुई हैं। यह दर्शाता है कि अतिक्रमण केवल एक भौतिक बाधा नहीं, बल्कि आपराधिक तत्वों का भी अड्डा बन गया है, जो शैक्षणिक संस्थानों के पास युवाओं को नशे और जुए की दलदल में धकेल रहे हैं।
'हमें कोई हाथ नहीं लगा सकता, हम RSS से जुड़े हैं!'
सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ अवैध ठेले वाले और कब्जेदार खुलेआम प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं। वे कथित तौर पर यह कहते हुए पाए गए हैं कि "हम RSS से जुड़े लोग हैं, हमें न कलेक्टर, न कमिश्नर और न ही नगर निगम कुछ कर सकता है।" ऐसे दावे कानून के शासन पर सीधा प्रहार हैं और यह गंभीर सवाल उठाते हैं कि क्या राजनीतिक संरक्षण के चलते कुछ लोग खुद को कानून से ऊपर समझने लगे हैं? ऐसे दावों की सच्चाई और इनके पीछे की शक्ति की जांच भी आवश्यक है, ताकि प्रशासन बिना किसी दबाव के अपना काम कर सके।
कमिश्नर का सीधा आदेश: 'अब नो-कॉम्प्रोमाइज!'
रीवा कमिश्नर बी.एस. जामौद ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कल, 18 जुलाई 2025 को, कमिश्नरी कार्यालय के ठीक सामने से अतिक्रमण हटवाने का सीधा आदेश दिया और तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की गई। नगर निगम को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सोमवार तक पूरे शहर से अतिक्रमण साफ किया जाए। यह आदेश दर्शाता है कि प्रशासन इस बार किसी भी ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगा और अपराधियों व ऐसे दावों से जुड़े लोगों पर भी नकेल कसेगा।
क्यों बनी रहती है यह समस्या?
नगर निगम अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तो करता है, लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं बन पाता। अक्सर देखा जाता है कि टीम के हटते ही अतिक्रमणकारी फिर से उसी स्थान पर कब्जा जमा लेते हैं, जिससे शहर में बार-बार जाम की स्थिति बनती है और आवागमन बाधित होता है। कुछ दिनों पहले ही कोर्ट गेट नंबर 3 के सामने से भी अतिक्रमण हटाया गया था, लेकिन वहां भी यह समस्या फिर से उभर आई है। यह एक गंभीर चुनौती है कि प्रशासन की बार-बार की मेहनत के बावजूद अतिक्रमणकारी दोबारा कैसे सक्रिय हो जाते हैं।
कौन हैं अतिक्रमण हटाने वाले प्रभारी?
शहर में अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी अतिक्रमण प्रभारी सुखेंद्र चतुर्वेदी, सुरेश द्विवेदी और राजू द्विवेदी संभाल रहे हैं। ये अधिकारी पूरे शहर में कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन बार-बार होने वाले अतिक्रमण की समस्या से निपटने के लिए एक दीर्घकालिक और सख्त योजना की आवश्यकता है।
अब क्या होगा?
कमिश्नर बी.एस. जामौद के इस बार के सख्त निर्देश से उम्मीद जगी है कि शायद इस बार शहर को अतिक्रमण के इस दुष्चक्र और इसके साथ जुड़े आपराधिक गतिविधियों से मुक्ति मिल पाएगी। यह देखना होगा कि नगर निगम सोमवार तक के अल्टीमेटम का कैसे पालन करता है और प्रशासन अतिक्रमणकारियों, नशे के कारोबारियों और कानून को चुनौती देने वाले तत्वों पर कितनी कठोरता से नकेल कस पाता है ताकि सड़क और फुटपाथ आम जनता के लिए पूरी तरह से सुलभ हों और मुख्यमंत्री के निर्देशों का भी पूर्णतः पालन हो सके।