"रीवा कोर्ट में चैंबरों का अवैध विक्रय: उच्च न्यायालय की मंजूरी के बिना हुआ आवंटन" : RTI से हुआ खुलासा

 
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रीवा जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं के चैंबर आवंटन में अनियमितताओं का मामला सामने आया है। एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से यह खुलासा हुआ है कि रीवा जिला अधिवक्ता संघ कथित रूप से अनाधिकृत रूप से चैंबरों का विक्रय और आवंटन कर रहा है, जबकि नवीन न्यायालय भवन को अभी तक माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अधिकृत नहीं किया गया है।

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घटना का सारांश:

  • चैंबर आवंटन में अनियमितता: सूत्रों के अनुसार, चैंबरों के आवंटन में "बंदरबांट" की जा रही है और राशि में हेराफेरी भी हो रही है।

  • न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन: न्यायिक प्रक्रिया के तहत जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अनुमति और उच्च न्यायालय के अनुमोदन के बिना इस तरह का कोई भी विक्रय या आवंटन अवैध माना जाता है।

  • पहला मामला: यह मध्य प्रदेश का संभवतः पहला ऐसा मामला है जहाँ जिला अधिवक्ता संघ पर बिना न्यायिक प्राधिकार के न्यायालय परिसर में संपत्ति के आवंटन और विक्रय का आरोप लगा है।

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चेंबर आवंटन के दिशा निर्देश, जो माननीय उच्च न्यायालय द्वारा संपूर्ण जिला के अधिवक्ता संघ के लिए चेंबर आवंटन की नीति के दिनांक 7/12/2017 के सन्दर्भ मे जारी की गई है जिसका पालन सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के जिला के अधिवक्ता संघ द्वारा किया जाना अनिवार्य है जिसका पालन जिला अधिवक्ता संघ रीवा द्वारा नहीं किया जा रहा है।

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कानूनी दृष्टिकोण:

न्यायालय परिसर में किसी भी प्रकार की संपत्ति का आवंटन या विक्रय केवल संबंधित न्यायिक प्राधिकरण की अनुमति से ही किया जा सकता है। इस प्रकार की अनियमितताएं न केवल न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन हैं, बल्कि भ्रष्टाचार की श्रेणी में भी आती हैं।

📢 संभावित कार्रवाई:

  • जांच की आवश्यकता: इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए संबंधित उच्च न्यायालय या राज्य न्यायिक परिषद को हस्तक्षेप करना चाहिए।

  • उत्तरदायित्व तय करना: जिन व्यक्तियों ने अनाधिकृत रूप से चैंबरों का विक्रय या आवंटन किया है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

  • भविष्य में रोकथाम: ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और निगरानी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।

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