Rewa News : लापरवाही की भेंट चढ़ा युवा: बिछिया घाट पर सुरक्षा के अभाव में आर्यन बहा, घंटों रेस्क्यू का इंतजार

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) शुक्रवार दोपहर रीवा की बिछिया नदी में रील बनाते समय एक दुखद घटना घटित हुई, जिसमें 24 वर्षीय आर्यन खान नामक युवक, जो कि सीएसपी के ड्राइवर का पुत्र बताया जा रहा है, तेज बहाव में बह गया। उसके दोस्त तो सुरक्षित बाहर आ गए, लेकिन आर्यन लापता हो गया। इस घटना ने न केवल एक परिवार को संकट में डाला है, बल्कि क्षेत्रीय प्रशासन की तत्परता और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
घटना का विस्तृत विवरण
शुक्रवार दोपहर को आर्यन खान अपने दोस्तों के साथ बिछिया घाट पर था। वह रील बनाने का शौकीन था और इसी क्रम में मोबाइल से वीडियो शूट करते समय उसका पैर फिसल गया या वह नदी के तेज बहाव की चपेट में आ गया। चूंकि नदी का जलस्तर भारी बारिश के कारण बढ़ा हुआ था, आर्यन तुरंत ही पानी में बह गया। उसके दोस्तों ने उसे बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके और वे किसी तरह सुरक्षित नदी से बाहर निकल आए। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस को इस घटना की सूचना दी।
रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी और जन आक्रोश
घटना की सूचना मिलने के बाद बिछिया थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू कराया। थाना प्रभारी मनीषा उपाध्याय ने बताया कि युवक संभवतः पानी के तेज बहाव में काफी दूर बह गया है। हालाँकि, शुक्रवार शाम तक राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम मौके पर नहीं पहुँच पाई, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी गति से शुरू नहीं हो सका। अंधेरा होने के कारण शुक्रवार रात को सर्च ऑपरेशन रोकना पड़ा।
रेस्क्यू टीम की इस देरी के कारण स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। शनिवार सुबह तक जब NDRF की टीम नहीं पहुँची, तो गुस्साए लोगों ने बिछिया पुल पर चक्का जाम करने की कोशिश की, जिससे प्रशासनिक दबाव बढ़ गया। लोगों का यह कदम प्रशासन की जवाबदेही और तत्परता पर उनके अविश्वास को दर्शाता है। सौभाग्य से, जैसे ही NDRF की टीम मौके पर पहुँची, लोगों का गुस्सा शांत हुआ और खोज अभियान फिर से शुरू किया गया। पुलिस ने लोगों को समझाकर जाम हटवाया।
रेस्क्यू की चुनौतियां और प्रशासनिक चेतावनी
SDRF की टीम अब भी नदी में आर्यन की तलाश कर रही है। नदी का तेज प्रवाह और पानी का उच्च स्तर रेस्क्यू ऑपरेशन को और अधिक जटिल बना रहा है। अधिकारियों का कहना है कि आर्यन पानी के तेज बहाव में काफी दूर तक बह गया हो सकता है।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब प्रशासन ने पहले ही भारी बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोगों को घाटों, नदियों और झरनों से दूर रहने की हिदायत दी थी। बावजूद इसके, कुछ लोग केवल रील बनाने या तस्वीरें खिंचवाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। रीवा सहित प्रदेश के कई इलाकों में हाल के दिनों में रील बनाने के दौरान हुए हादसों की संख्या बढ़ी है। प्रशासन लगातार जनता से अपील कर रहा है कि वे मनोरंजन के लिए अपनी जान जोखिम में न डालें।
इस घटना से प्रमुख सीख
यह दुखद घटना कई महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टियों को उजागर करती है:
- आपदा प्रबंधन में तत्परता: आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया का समय कितना महत्वपूर्ण होता है, यह इस घटना से साफ झलकता है। रेस्क्यू टीम की देर से पहुँच स्थानीय लोगों के गुस्से का कारण बनी, जो प्रशासन की छवि को प्रभावित करता है।
- प्राकृतिक कारकों की चुनौती: तेज बहाव वाली नदियाँ और शाम के समय की घटती रोशनी रेस्क्यू अभियान को जटिल बना देती हैं। ऐसी परिस्थितियों में ड्रोन, सोनार और थर्मल इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग खोज कार्य को तेज और सुरक्षित बना सकता है।
- सामाजिक प्रतिक्रिया और प्रशासन: लोगों का आक्रोश और जाम लगाने की कोशिश यह दर्शाती है कि जनता को प्रशासन की जवाबदेही और तत्परता पर पूरा भरोसा नहीं है। प्रशासन को आपदा की स्थिति में बेहतर संवाद और जवाबदेही दिखानी चाहिए।
- पुलिस और NDRF की भूमिका: पुलिस ने समय रहते लोगों को समझाकर स्थिति को नियंत्रित किया, जो एक सकारात्मक पहलू है। NDRF की त्वरित तैनाती से रेस्क्यू कार्य प्रारंभ हुआ, यह दिखाता है कि विशेषज्ञ एजेंसियों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है।
- सूचना प्रसार और आपदा जागरूकता: इस मामले में सूचना के सही और समय पर प्रसार की कमी देखी गई। आपदा के समय एक प्रभावी सूचना प्रणाली जनता को सहयोगी बना सकती है और अफवाहों से बचा सकती है।
- समुदाय की भूमिका: जिस तरह से स्थानीय लोग सक्रिय हुए, यह दर्शाता है कि समुदाय की भागीदारी आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। प्रशासन को चाहिए कि वे समुदाय के साथ बेहतर तालमेल बनाएं ताकि समान रूप से संकट का सामना किया जा सके।
- यह घटना न केवल एक युवा के जीवन से जुड़ी है बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता, आपदा प्रबंधन और सामुदायिक सहयोग के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती है। बेहतर तैयारी और समयबद्ध कार्रवाई से ऐसे हादसों में जान बचाई जा सकती है और सामाजिक आक्रोश को भी टाला जा सकता है।
खतरे से अनजान युवा और प्रशासन की चेतावनी की अनदेखी
यह हादसा ऐसे समय में हुआ है जब प्रशासन ने भारी बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोगों को घाटों और झरनों से दूर रहने की लगातार चेतावनी दी थी। इसके बावजूद, आर्यन और कई अन्य युवा सोशल मीडिया पर "रील" बनाने के चक्कर में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। रीवा सहित पूरे प्रदेश में रील बनाने के दौरान हुए हादसों में वृद्धि देखी गई है, जो इस बात का संकेत है कि युवाओं में सुरक्षा के प्रति जागरूकता की भारी कमी है।
आपदा प्रबंधन की लचर प्रणाली: सबक सीखने में क्यों हो रही देरी?
यह हादसा आपदा प्रबंधन की लचर प्रणाली को भी दर्शाता है। रेस्क्यू टीम की देरी, जनता का बढ़ता आक्रोश और प्रशासन का बचाव - ये सभी पहलू बताते हैं कि आपातकालीन स्थितियों से निपटने में अभी भी बहुत सुधार की गुंजाइता है। यह सिर्फ एक युवा के जीवन का सवाल नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता, आपदा प्रबंधन और सामुदायिक सहयोग के महत्वपूर्ण पहलुओं को भी दर्शाता है। बेहतर तैयारी और समयबद्ध कार्रवाई से ऐसे हादसों में जान बचाई जा सकती है और सामाजिक आक्रोश को भी टाला जा सकता है।
क्या प्रशासन इस दुखद घटना से कोई सबक सीखेगा और बिछिया जैसे अन्य जोखिम भरे घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा?