वर्दी की आड़ में 'नशीली सिरप का कारोबार: IG की फटकार से Rewa Police में हड़कंप, 15 दिन में ’तालाब साफ’ करने का अल्टीमेटम!
ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) गौरव राजपूत ने सोमवार को नशे के खिलाफ शुरू हुए 'ऑपरेशन प्रहार 2' के दौरान पुलिसकर्मियों और थाना प्रभारियों की संलिप्तता को लेकर जो कड़े शब्द कहे हैं, उसने पूरे सिस्टम पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। IG ने साफ कर दिया कि रीवा नशीली सिरप (कोरेक्स) का गढ़ बन चुका है और इसके पीछे वर्दी पहने हुए कुछ लोग जिम्मेदार हैं।
'तालाब को गंदा करने वाले' कहकर IG ने अपनी ही टीम को लताड़ा:
"हर जगह कुछ ऐसे लोग होते हैं जो तालाब को गंदा करने का काम करते हैं। पिछले चार महीनों में हमने ऐसे लोगों की सूची तैयार कर ली है। मैं नहीं चाहता कि मैं उस सूची में आगे बढूं। उस पर अपनी प्रतिक्रिया दूं, जिससे आपको शर्मिंदा होना पड़े।"
यह टिप्पणी केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि आंतरिक भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार है। यह तथ्य जगजाहिर है कि भोपाल से लेकर दिल्ली तक रीवा की चर्चा नशीली सिरप के सबसे बड़े गढ़ के रूप में हो रही है, और IG का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि यह अवैध कारोबार थाना प्रभारियों और पुलिसकर्मियों की शह पर ही धड़ल्ले से चल रहा है।

नितिन द्विवेदी एम्बुलेंस की आड़ में रीवा शहर में कफ सिरप सप्लाई कर रहा था।
Rewa नशीली सिरप का गढ़ क्यों बना: हर गली-मोहल्ले में शीशियां, थानेदार अनजान कैसे?
IG गौरव राजपूत ने व्यवस्था पर सबसे तीखा हमला सूचना और संज्ञान के अभाव पर किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि विंध्य प्रांत नशे की चपेट में गहरे डूबता चला जा रहा है और इस विकरालता को पुलिसकर्मियों को समझना होगा।
असंभव अनभिज्ञता: IG ने कहा, "यह संभव नहीं है कि हर जगह नशीली सिरप की शीशियां पड़ी हैं और थाना प्रभारियों को इसकी जानकारी न हो।" उन्होंने आगे कहा, "हम गांव-गांव, गली-गली और मोहल्ले-मोहल्ले तक इस नशीली कफ सिरप की चपेट में आ चुके हैं। इस विकरालता को समझिए और अपनी रिस्पांसबिलिटी का अहसास कीजिए।"

यह सीधा सवाल है कि जब आम जनता और मीडिया को पता है कि नशीली सिरप का कारोबार खुलेआम चल रहा है, तो थानेदार अनजान कैसे रह सकते हैं? यह या तो घोर लापरवाही है, या फिर अवैध कारोबार में सीधी संलिप्तता।
रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला जैसे बड़े नेता भी इस नशे पर सख्ती से रोक लगाने की बात कह चुके हैं, बावजूद इसके, कारोबार का फलना-फूलना पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगाता है।
ऑपरेशन प्रहार का मुख्य उद्देश्य क्या है: IG ने दी 15 दिन की अंतिम मोहलत
IG राजपूत ने संलिप्त पुलिसकर्मियों और लापरवाह थाना प्रभारियों को खुद को सुधारने का अंतिम मौका दिया है। ’ऑपरेशन प्रहार 2’ की शुरुआत के साथ ही यह डेडलाइन तय कर दी गई है:
- "जो लोग इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं, वो समय रहते सुधर जाएं। नहीं तो इस अभियान के शुरू होने के 15 दिन बाद वो अपने हश्र के जवाबदार खुद होंगे।"
- 'जो हुआ सो हुआ, अब नहीं बर्दाश्त': IG ने साफ कहा कि "अब तक जो हुआ सो हुआ। अब बिल्कुल भी गलती, लापरवाही या संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर आपको थाना दिया गया है, तो आपको अपने थाना क्षेत्र को मेडिकल नशे से मुक्त करना पड़ेगा।"
शर्मिंदगी का डर: IG ने पंजाब के पूर्व DGP का उदाहरण देते हुए कहा कि नशे ने DGP के घर और उनके बेटे तक को नहीं छोड़ा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पुलिस ने अपनी सामूहिक जवाबदारी नहीं निभाई, तो समाज उन्हें लज्जा की नजर से देखेगा और उन्हें 'लज्जा का हार पहनकर समाज के पास जाना पड़ेगा'।
इस अभियान में IG को "आप सभी के परिश्रम की आहुति" चाहिए, क्योंकि नशे को जड़ से खत्म करना तब तक संभव नहीं है जब तक पुलिसकर्मी खुद इस महा अभियान में पूरी ईमानदारी से शामिल नहीं होते।
Operation Prahar Rewa vs सिस्टम: लापरवाही बर्दाश्त नहीं और आगे की राह
IG गौरव राजपूत का यह सख्त रुख उस सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव का परिणाम है जो रीवा में नशे के अवैध कारोबार को लेकर बना है। यह अभियान सिस्टम को अंदर से साफ करने का प्रयास है।
निष्कर्ष: सिस्टम की सफाई
यह IG की मजबूरी है कि उन्हें नशे के खिलाफ अभियान के साथ-साथ अपने ही महकमे के खिलाफ अभियान भी चलाना पड़ रहा है। विपक्ष भी लगातार सरकार पर हमलावर है और IG की यह कड़ी चेतावनी दर्शाती है कि पुलिस प्रशासन अब इस दोहरे मोर्चे पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा। 15 दिन की मोहलत के बाद जिन 'तालाब को गंदा करने वालों' की सूची तैयार है, उन पर कार्रवाई होना लगभग तय है।
रीवा को नशीली सिरप के गढ़ से मुक्ति दिलाने के लिए केवल बाहरी तस्करों पर कार्रवाई काफी नहीं है, बल्कि सिस्टम के भीतर छुपे हुए गद्दारों को भी हटाना होगा।