ऑपरेशन सिंदूर के 'हीरो': रीवा के ये दो दोस्त अब संभालते हैं भारत की पूरी सेना और नेवी

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) भारत के सैन्य इतिहास में पहली बार एक अभूतपूर्व घटना घटी है। थल सेना प्रमुख (Army Chief) जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख (Navy Chief) एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, दोनों न केवल एक ही राज्य (मध्य प्रदेश) से हैं, बल्कि एक ही स्कूल – सैनिक स्कूल, रीवा – और एक ही बैच (1973) के छात्र रहे हैं। इस अनोखी उपलब्धि को सेलिब्रेट करने के लिए, दोनों दिग्गज 45 साल बाद, शुक्रवार को अपने 'गुरुकुल' में लौटे।

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जनरल द्विवेदी और एडमिरल त्रिपाठी, जो स्कूल के दिनों में कक्षा में एक ही बेंच पर बैठा करते थे और जिनकी दोस्ती खून के रिश्ते से परे भाइयों जैसी है, ने 'अखिल भारतीय सैनिक स्कूल राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता' के समापन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर रीवा शहर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही और प्रशासन हाई अलर्ट पर रहा।

अखिल भारतीय सैनिक स्कूल राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता' का मंच
इस ऐतिहासिक मिलन का अवसर था विंध्य क्षेत्र की गौरवशाली संस्था सैनिक स्कूल, रीवा में 25 से 31 अक्टूबर 2025 तक आयोजित 'अखिल भारतीय सैनिक स्कूल राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता'।

  • कार्यक्रम: इस प्रतियोगिता में देशभर के 36 सैनिक स्कूलों के 460 चयनित छात्रों ने विभिन्न खेल विधाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
  • उद्देश्य: इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवाओं में अनुशासन, साहस और खेल भावना को बढ़ावा देना था।
  • समापन समारोह: दोनों सेना प्रमुखों ने प्रतियोगिता के समापन समारोह में भाग लिया, प्रतिभावान खिलाड़ियों से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल भी मौजूद रहे।

डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने दोनों सेना प्रमुखों की प्रशंसा करते हुए कहा कि, "आज तक बहुत ऑपरेशन हुए, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर अपने आप में ऐतिहासिक है। वे हमारे सेना अध्यक्षों के अपार साहस को दर्शाता है... आज दाेनों हीरो हमारे बीच हैं।" यह संबोधन दोनों प्रमुखों के साझा शौर्य और नेतृत्व को रेखांकित करता है।

सैनिक स्कूल: 'जीवन की बुनियाद' और भविष्य की तैयारी
थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने संबोधन में स्कूल के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल में दोबारा लौट कर आना उनके लिए बहुत गौरवशाली क्षण है, जिसने उनके पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन की नींव रखी है।

जनरल द्विवेदी के मुख्य विचार:

  • फाउंडेशन: सुबह की फिजिकल ट्रेनिंग से लेकर कक्षाओं में पठन-पाठन, खेल के मैदान में चुनौतियों और हॉस्टल में आपसी सहयोग तक, हर कार्य ने उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए प्रतिबद्ध एक सैनिक और नागरिक के रूप में आकार दिया।
  • उत्कृष्ट प्रदर्शन: उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि सैनिक स्कूल रीवा ने हाल ही में यूपीएससी के परीक्षा परिणामों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जहां 38 स्टूडेंट्स ने लिखित परीक्षा पास की और 10 स्टूडेंट्स NDA में सफल रहे। स्कूल को चार बार रक्षा मंत्री ट्रॉफी से भी सम्मानित किया गया है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने भी छात्रों को अपनी लगन और मेहनत बनाए रखने का गुरुमंत्र दिया, साथ ही अन्य छात्रों को अपना हौंसला बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।

सेना प्रमुखों का संक्षिप्त परिचय: विंध्य की माटी के लाल
दोनों सेना प्रमुखों का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा विंध्य क्षेत्र में हुई है।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी (थल सेना प्रमुख)

  • जन्म: 1 जुलाई 1964 (59 साल), मध्य प्रदेश
  • मूल निवास: रीवा जिले के गढ़ स्थित मुडिला गांव।
  • शिक्षा: सैनिक स्कूल रीवा, NDA खड़गवासला, इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून, यूएस आर्मी वॉर कॉलेज।
  • पुरस्कार: परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, तीन जनरल कमांडर कमांडिंग-इन-चार्ज प्रशस्ति कार्ड।
  • सैन्य करियर: 15 दिसंबर, 1984 को जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में कमीशन। लगभग 40 साल की सेवा। 19 फरवरी, 2024 को वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पदभार संभाला और बाद में थल सेना प्रमुख बने।
  • पारिवारिक पृष्ठभूमि: पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी का सपना था कि उनके तीन बेटे डॉक्टर, इंजीनियर और सेना में अफसर बनें, जो पूरा हुआ।

एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी (नौसेना प्रमुख)

  • जन्म: 15 मई 1964
  • मूल निवास: विंध्य के सतना रहने वाले हैं।
  • शिक्षा: सैनिक स्कूल रीवा, एनडीए खड़गवासला, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, यूएस नेवल वॉर कॉलेज।
  • पुरस्कार: नौसेना मेडल, अति विशिष्ट सेवा पदक, रॉबर्ट ई बैटमैन इंटरनेशनल पुरस्कार, घिमेया मेडल।
  • नौसेना करियर: 1 जुलाई 1985 को नौसेना में कमीशन। आईएनएस विनाश, किर्च और त्रिशूल की कमान संभाली। वेस्टर्न कमांड के संचालन अधिकारी, नौसेना संचालन निदेशक के रूप में कार्य किया। पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ और बाद में नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ।

यह ऐतिहासिक मिलन केवल एक स्कूल के लिए गर्व का क्षण नहीं है, बल्कि यह देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो दिखाता है कि एक साधारण शुरुआत और सच्ची दोस्ती से भी देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंचा जा सकता है।

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