रीवा रेलवे स्टेशन पर 'टिकट माफिया' का कब्ज़ा! आरपीएफ-स्टाफ की मिलीभगत से हजारों की टिकट ब्लैकिंग, सीसीटीवी-थाने के बावजूद कोई नहीं पकड़ा!

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। जितना चमकदार दिखता है रीवा रेलवे स्टेशन, उससे कई गुना ज्यादा अंदर से सड़ चुका है। यहां टिकट काउंटर पर साधारण आदमी को तत्काल टिकट मिलना नामुमकिन है। वजह — एक ऐसा गिरोह जो रेलवे स्टाफ, आरपीएफ और दलालों की मिलीभगत से हर दिन लाखों की टिकट ब्लैकिंग कर रहा है।
स्टेशन पर 12-15 लड़कों की टीम, जिनमें नाबालिग भी शामिल हैं, का गिरोह सक्रिय है। टिकट बुकिंग के नाम पर लोगों से 500 से 1000 तक की उगाही की जाती है।
एक दिन पहले ही जमा कराना पड़ता है तत्काल फार्म!
रीवा स्टेशन पर दलालों के बनाए कानून चलते हैं। अगर किसी को तत्काल टिकट चाहिए, तो एक-दो दिन पहले ही फार्म भर कर इन दलालों को देना पड़ता है। वरना आम आदमी का फार्म या तो गायब कर दिया जाता है या काउंटर में पीछे धकेल दिया जाता है।
फार्म बचाने के लिए देना पड़ता है 500-1000 रुपए
अगर कोई व्यक्ति चाहता है कि उसका फार्म गायब न हो, तो 500 से 1000 रुपए देने पड़ते हैं। ट्रेन के डिमांड के हिसाब से रेट फिक्स। जिस ट्रेन में भीड़ ज्यादा, उसमें टिकट ब्लैकिंग का रेट भी ज्यादा।
टिकट कलेक्शन करने खुद आता है सरगना
सुबह 10 बजे एसी काउंटर खुलते ही इनका खेल शुरू। 11 बजे स्लीपर बुकिंग में दलालों की फौज लाइन में। टिकट कटने के बाद 11.30 बजे गिरोह का मुखिया स्टेशन पहुंच कर टिकट कलेक्ट करता है।
नाबालिग बच्चों को भी बना रखा है मोहरा
इन दलालों ने नाबालिग लड़कों को भी इस गोरखधंधे में लगा रखा है। उन्हें प्रति टिकट 200-500 रुपए कमीशन दिया जाता है।
सीसीटीवी कैमरे और RPF के बावजूद नहीं होती कार्रवाई
सवाल ये कि जब स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, RPF और जीआरपी थाने के जवान तैनात हैं, तो ये माफिया कैसे हर दिन खुलेआम खेल खेल रहे? साफ है — इनकी जेबें भी इस गोरखधंधे से गरम होती हैं।
प्रशासन की चुप्पी, लोग परेशान
सामान्य यात्री परेशान हैं, कोई सुनने वाला नहीं। कोई अधिकारी इस अवैध धंधे को रोकने की हिम्मत नहीं कर रहा।