MP : वेंटिलेटर के इंतजार में 8 महीने की गर्भवती महिला ने नवजात के साथ तोडा दम, सोनू सूद ने भी वेंटिलेटर की व्यवस्था के लिए किया था प्रयास

 

इंदौर। कोरोना संक्रमण इंदौर में विकराल रूप ले चुका है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अस्पतालों में न बेड हैं, ना ही ऑक्सीजन है और ना ही दवाइयां। इनता ही नहीं स्वास्थ्य व्यवस्थाएं इस कदर चरमरा गई हैं कि कोरोना के अलावा भी दूसरे बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। शुक्रवार की देर रात वेंटिलेटर के इंतजार में 8 महीने की एक गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया।

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में वैक्सीन से ज्यादा साइड-इफेक्ट्स का करना पड़ता है सामना जाने .

महिला की जान बचाने एक संगठन ने शहर के हर बड़े नेता को फोन घुमाया, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उसने मुंबई तक में कॉल कर वेंटिलेटर मिल जाए, इसकी कोशिश की। कॉल जाने के बाद एक्टर सोनू सूद ने भी वेंटिलेटर की व्यवस्था की अपील की, लेकिन उनकी अपील भी महिला की जान नहीं बचा पाई।

राघव ने सोनू सूद से भी रात में मदद मांगी थी।

शुक्रवार रात को करीब 10 बजे उनका कॉल मेरे पास आया। उन्होंने बताया कि हालत बहुत खराब हो रही है, सीजर करना पड़ेगा। उनका ऑक्सीजन का लेवल घटकर 40 तक पहुंच गया था। मैंने जब पूछा कि अस्पताल वाले क्या कह रहे हैं तो उन्होंने बताया कि वे कह रहे हैं कि वेंटिलेटर की व्यवस्था करना होगी। तत्काल में ऐसी व्यवस्था करना मुश्किल था। इसके बाद भी हमने शहर के हर बड़े नेता अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद रात करीब साढ़े 12-1 बजे के बीच मैंने मुंबई में एक्टर सोनू सूद को कॉल किया और उसने मदद की गुहार लगाई। सूद ने भी मैसेज के जरिए वेंटिलेटर की व्यवस्था करने की अपील की। हालांकि रात करीब साढ़े 3 बजे पहले गर्भ में पल रहे बच्चे की पल्स आना बंद हुई, इसके कुछ देर बाद उसकी मां ने भी दम तोड़ दिया। महिला की एक पांच साल की बेटी है। उनके पति जॉब करते हैं।

करणी सेना के जिलाध्यक्ष अनुराग राघव ने बताया कि शनिवार रात को मेेरे परिचित और महिला के पति का कॉल आया था कि पत्नी की हालत काफी गंभीर है। बेड नहीं मिलने से वे काफी परेशान हो रहे थे। इसके बाद मैंने अपने स्तर पर कई कॉल कर बेड के बारे में पता किया। हालांकि कहीं भी आईसीयू वाला बेड नहीं मिला। इसके बाद मैंने ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ उसमें लगने वाले सभी उपकरण की व्यवस्था करवाई। करीब दो-तीन घंटे की कोशिश के बाद उन्हें नेहरू नगर में स्थिति निजी अस्पताल में एक बेड तो मिल गया। डॉक्टरों ने इलाज भी शुरू कर दिया।

निजी अस्पताल में काम करने वाली आया ने भी दम तोड़ा

शुक्रवार को भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। निजी अस्पताल में काम करने वाली आया बाई आशा ने भी बिना इलाज के दम तोड़ दिया। 18 साल का बेटा मां को लिए इधर-उधर भटकता रहा, लेकिन उन्हें कहीं बेड नहीं मिला। बेड दिलाने के लिए स्कूल की एक शिक्षिका ने प्रशासनिक अधिकारी को फोन लगाया, लेकिन बेड का नाम सुनते ही अफसर ने फोन रख दिया। आखिरकार बेटा मां को घर ले आया। वहां उनकी मौत हो गई।