MP : नगरीय निकाय चुनाव: कल से बिछेगी बिसात, बीजेपी- कांग्रेस की ये होगी रणनीति

 

भोपाल,  मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा शनिवार 13 मार्च को संभावित है। दरअसल शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के शहरों में विकास के लिए नगरोदय योजना के माध्यम से 3100 करोङ रुपए की राशि देने करने जा रहे हैं। जिसके बाद इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव आयोग  अगले दिन 407 नगरीय निकायों में चुनाव की घोषणा कर दे और इसी के साथ मध्यप्रदेश में आचार संहिता लागू हो जाएगी।

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नगरीय निकाय के चुनाव पिछले एक वर्ष से टलते आ रहे हैं। पहले कमलनाथ सरकार ने इन्हें तीन महीने आगे बढ़ाने की घोषणा की। उसके बाद कोरोना के चलते शिवराज सरकार को भी यह चुनाव आगे बढ़ाने लग पड़े। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय, कि बाद की चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं, सरकार ने यह निर्णय लिया कि अब चुनाव होंगे और राज्य निर्वाचन आयोग इसकी औपचारिक घोषणा शनिवार को कर सकता है।

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मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों की बात करें तो सभी 16 नगर निगमों में पिछले चुनावों में बीजेपी ने सफलता हासिल की थी और हर नगर निगम में उनका महापौर था। इसके साथ ही ज्यादातर निकायों में भी बीजेपी का परचम लहराया था। बीजेपी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के नेतृत्व में इस बार पिछले प्रदर्शन को बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करेंगी।

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बीजेपी के पक्ष में एक बात और है कि ग्वालियर चंबल अंचल में पिछली बार उनके विरोधी रहे अंचल के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार उनके साथ खड़े दिखाई देंगे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष साफ कह चुके हैं कि इस चुनाव में उम्र कोई मुद्दा नहीं होगा और इसलिए बीजेपी जीतने वालों को ही टिकट देगी। यह लगभग तय हैं। हालांकि व्यापक हो चुकी बीजेपी के अंदर विरोध के स्वर टिकट बांटने के साथ ही उठेंगे।इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन संगठनात्मक कुशलता बीजेपी में विरोधाभासो को आखिरकार दूर कर लेती है। इसके उदाहरण पहले भी मिले हैं।

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चुनाव में बीजेपी का प्रमुख मुद्दा शिवराज सरकार द्वारा पिछले 16 सालों में किए गए विकास कार्य होंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री लगातार यह कहते रहे हैं कि वे प्रदेश के छोटे-छोटे शहरों को भी स्मार्ट सिटी बनाना चाहते हैं और इसी का खाका भी नगरीय निकाय चुनाव में खीचेगे। इस बात की भी व्यापक उम्मीद है कि प्रदेश की हर नगरीय निकाय के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों अलग अलग घोषणापत्र जारी करेंगे और नगर में चुनाव जीतने के बाद पार्टी क्या करेगी, इस बात को जनता के सामने रखेगे।

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बात कांग्रेस की की जाए तो कमलनाथ इन चुनावों को लेकर काफी गंभीर है क्योंकि उनका भविष्य भी इन चुनावों पर निर्भर करता है। यदि वह अच्छी खासी सफलता कांग्रेस को दिला पाए तो फिर 2023 का विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जायेगा और यदि ऐसा नहीं हो पाया तो फिर उनके विरोधी दिल्ली दरबार में उनके खिलाफ मोर्चाबंदी और तेज कर देंगे।

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हालांकि कमलनाथ बहुत गहराई के साथ इन चुनावों की तैयारी कर रहे हैं और प्रत्याशियों का चयन तक करने के लिए उन्होंने बाकायदा अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से फीडबैक मंगाया है। कांग्रेस इन चुनावों में शिवराज सरकार कार्यकाल में किए गए अनियमितताओं को मुद्दा बनाएगी। हालाकि ऊट किस करवट बैठेगा, अप्रैल में ही तय होगा. 


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