REWA : जमीन की कुंडली खोलेगा आधार : मुआवजा और ऋण में फर्जीवाड़ा रोकने की कवायद शुरू

 

रीवा. मुआवजा और फसल बीमा राशि का दोहरा लाभ लेने सहित अन्य तरह के फर्जीवाड़ा से जुड़े मामले सामने आने के बाद सरकार ने अब भूमि के खसरे से आधार लिंक कराने का निर्देश दिया है। इसके लिए प्रधानमंत्री बीमा योजना सहित अन्य कार्यों के लिए अब भूमिस्वामी से आधार नंबर मांगा जा रहा है।

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फसल बीमा और खरेरे में किसान का आधार नंबर दर्ज किया जाएगा। इससे आधार नंबर के जरिए तुरंत ऑनलाइन रिकार्ड पता चल जाएगा कि किस जमीन पर कितना मुआवजा दिया गया है और कितना कर्ज लिया गया है। इससे मुआवजे व कर्ज की डुप्लीकेसी रुकेगी। एक ही खेत पर अलग-अलग योजनाओं का नाम लेने की गड़बड़ी पर भी रोक लग सकेगी। सरकार ने लैंड डिजिटाइजेशन के तहत इस पर काम शुरू करने की तैयारी कर ली है।

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आधार नंबर से पूरा ब्यौरा मिलेगा

ऑनलाइन पता चल जाएगा कि कौन सा खसरा किसका है। अभी ऑनलाइन रिकार्ड होने पर भी जमीन के मालिक का नाम पता नहीं चलता है। आधार नंबर दर्ज होने से मालिक का नाम भी पता चलेगा। आधार नंबर चेक करके ही कर्ज व मुआवजा दिया जाएगा। यदि किसी एक आधार पर दो बार मुआवजा या कर्ज दिया गया, तो ऑनलाइन ही पता चल जाएगा। सॉफ्टवेयर में इसके लिए ऑटो चैकिंग का सिस्टम भी डाला जा सकता है। अभी इस पर काम चल रहा है। संभावना है कि अगले वित्तीय वर्ष में इसे लाया जाए।

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एक ही भूमि से कई बार कर्ज लेने के आ चुके हैं मामले

किसानों के कर्ज के मामले में जब पिछली सरकार के समय डाटा-स्क्रूटनी हुई थी, तो कई केस ऐसे सामने आए थे, जिनमें खेती की एक ही जमीन पर दो बार मुआवजे या कर्ज ले लिए गए। रीवा जिले में खासतौर पर सहकारी बैंक के साथ ही अन्य कामर्शियल बैंकों से एक ही भूमि से कर्ज लिया गया था। एक जमीन पर एक ही बार कर्ज लिया जा सकता है। वजह ये कि कर्ज न चुकाने की स्थिति में हक जब्ती पर रहेगा। इसी तरह मुआवजा डबल लेने के केस भी सामने आए। इसके पीछे की वजह ये रही कि फसल बीमा में रिकार्ड दुरुस्त नहीं पाए गए। साथ ही त्वरित चेकिंग का सिस्टम नहीं है। कर्ज देने का काम बैंक करते हैं, जबकि मुआवजा आपदा राहत व फसल बीमा के तहत दिया जाता है।इस कारण यह पता ही नहीं पता कि जमीन किसकी है।

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रिकार्ड डिजिटल करने का प्रयास

रीवा सहित पूरे प्रदेश में लैंड है। डिजिटाइजेशन के तहत तेजी से काम हो रहा है। इसी के तहत आधार नंबर को खसरे से लिंक कराने का कार्य राजस्व विभाग और कृषि विभाग को दिया गया है। राजस्व विभाग ने अभी लैंड डिजिटाइजेशन का करीब 80 प्रतिशत काम कर दिया है। अब इसे अपग्रेड मोड में लाया जा रहा यानी तकनीकी तौर पर अपग्रेड कर सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी सुधारने काम होगा। इसी के तहत आधार नंबर लिंकअप पर विचार हुआ है। कुछ समय पहले ही ऋण पुस्तिकाओं का डिजिटल वर्जन जारी किया गया है। जिसके चलते कहीं पर भी लोग अपना ऋण पुस्तिका देख सकेंगे।