MP : कलाम की कलम से प्रेरित होकर रीवा की बेटी स्वर्णलता ने लिखी 'वो शाम' नाम की उपन्यास : पढ़िए

 

रीवा. जिन किताबों पे सलीके से जमी वक्त की गर्द उन किताबों के ही यादों के खज़़ाने में निकले। जी हां, समय के साथ जीवन के हर रंगमंच का सजना, संवरना जरूरी है। अगर वक्त हाथ से निकल गया तो फिर जीवन में पछतावे के सिवा कुछ नहीं होता। रीवा रियासत की सरजमीं में पली बढ़ी और मध्य प्रदेश के रूस्तम जी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बीएसएफ अकादमी टेकनपुर ग्वालियर में इंजीनियरिंग की की पढ़ाई कर रहीं स्वर्णलता पटेल ने 'वो शाम' नाम की किताब लिखी है। जिसमें उन्होंने जीवन के हर रंगमंच के फलसफे को साहित्य के शब्दों में पिरोया है। इस किताब में दोस्ती के किस्से भी हैं। रिश्तों की मिठास भी है।


वक्त का तकाजा भी है तो जीवन की उमंगे भी है। यह किताब समाज के ताने बाने को बुनती है तो हर कहानी में एक सन्देश भी छिपा है। जो अच्छाई की बात करता है। हनुमना तहसील क्षेत्र के मलैगवां गांव निवासी कौशल प्रसाद पटेल की बेटी स्वर्णलता इंजीनियरिंग की छात्रा है। पिता बीएसएफ कोलकता में ड्यूटी दे रहे हैं। स्वर्णलता ने पढ़ाई के साथ-साथ 'वो शाम' नाम की उपन्यास लिखा है। इंदौर से पब्लिकेशन हुई है। स्वर्णलता पटेल ने मानव भावों को अभिव्यक्त किया है। स्वर्णलता कहती हैं कि उपन्यास समाज की विचारधारा सकारात्मक बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उपन्यास मानव जीवन की संपूर्ण कहानी है। मानव जीवन की समस्याओं एवं मान्यताओं का जितना सजीव वर्णन उपन्यासों में संभव हो सका है। साहित्य की अन्य विधाओं में नहीं है।


कलाम की कलम से प्रेरित होकर लिखा उपन्यास
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही स्वर्णलता किसान की पोती डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अग्नि की उड़ान नामक नावेल पढऩे से प्रेरित होकर 'वो शाम' किताब लिखना शुरू की। स्वर्णतला कहती हैं कि मैने अपने जीवन में प्रथम हिंदी साहित्य की पुस्तक अग्नि की उड़ान पढ़ी, उस वक्त कक्षा दसवीं थीं। डॉ. कलाम के व्यक्तित्व का जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ा। स्वर्णता ने पूर्व राष्ट्रपति को आदर्श माना है। स्वर्णलता ने अपने किताब में समाज की वर्तमान परिस्थियों को पिरोया है। कलाम की किताबों से प्रेरित होकर स्वर्णलता ने कई कविताएं भी लिखा है।