ENTERTAINMENT: अंधेरे में मोबाइल देखने वालों को हो रही है ये गंभीर बीमारी, वैज्ञानिकों ने भी चेताया

 
ENTERTAINMENT: अंधेरे में मोबाइल देखने वालों को हो रही है ये गंभीर बीमारी, वैज्ञानिकों ने भी चेताया

अगर व्यक्ति लंबे समय तक इस नीली रौशनी को देखता है तो वो अंधा तक हो सकता है।

नई दिल्ली: अक्सर रात को कंप्यूटर और मोबाइल देखते समय आपने महसूस किया होगा कि उनसे नीली रौशनी निकलती है। आप हालांकि उस रौशनी को देखने के अभ्यस्त हो जाते हैं लेकिन शायद आप नहीं जानते है कि ये नीली रौशनी आपके लिए बेहद खतरनाक है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली रौशनी स्थायी अंधापन ला सकती है। यानी अगर व्यक्ति लंबे समय तक इस नीली रौशनी को देखता है तो वो अंधा तक हो सकता है। है ना गंभीर बात, आइए इसके मुख्य पहलू जानते हैं।

चीन की एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि नीली रौशनी के साए में रहने वाले लोग अक्सर अंंधेपन का शिकार होते हैं। यह अध्ययन अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो में किए गए एक शोध के बाद सामने आया है। 

शोध के मुताबिक लगातार नीला प्रकाश देखने से आंखों की प्रकाश के लिए संवेदनशील कोशिकाएं में जहरीले अणु उत्पन्न हो सकते हैं, जो धब्बेदार अपघटन का कारण बन सकता है। आखों में आए ये धब्बेदार बदलाव स्थायी तौर पर अंधेपन का कारण बनते हैं। यह नीली रौशनी अमेरिका जैसे देश में अंधेपन के प्रमुख कारणों में शुमार हो गई है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो के रसायन और जैवरसायन विभाग के सहायक प्रोफेसर अजित करुणाथने ने बताया, "यह कोई रहस्य नहीं है कि नीला प्रकाश हमारे देखने की क्षमता को हानि पहुंचाता है और आंख की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है। हमारे शोध से यह पता चलता है कि ऐसा कैसे होगा। हमें उम्मीद है कि इससे इसे रोकने के लिए दवाइयां बनाने में मदद मिलेगी और नए प्रकार का आई ड्रॉप बनाया जा सकेगा।

धब्बेदार अपघटन का मुख्य कारण फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं का मरना है, जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं।

यानी डिजिटल युग भले ही आ गया हो और मोबाइल और कंप्यूटर पर लगातार काम करना आपकी मजबूरी बन गया हो लेकिन फिर भी सेहत को ध्यान में रखते हुए आपको इसके खतरनाक पहलुओं से दूर रहना ही होगा।

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