BHOPAL : MP के अस्पतालों में ओपीडी बंद, फ्लू व इमरजेंसी मरीजों को ही मिलेगा इलाज
Mar 24, 2020, 17:37 IST
भोपाल। कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए अस्पतालों में भीड़ कम की जा रही है। इसके लिए मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों व जिला अस्पतालों में आगामी आदेश तक के लिए सामान्य ओपीडी मंगलवार से बंद कर दी गई है। यहां सिर्फ फ्लू ओपीडी में सर्दी-जुकाम के मरीजों व मेडिकल, सर्जिकल, ट्रामा, मातृ एवं शिशु रोग संबंधी इमरजेंसी में रोगियों को इलाज मिलेगा। इसका मकसद यह है कि अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का ज्यादा उपयोग कोरोना संदिग्धों व मरीजों के लिए किया जा सके। स्वास्थ्य आयुक्त ने सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। उधर, जिला प्रशासन द्वारा घोषित लॉकडाउन में दुकानें खोलने पर पुलिस ने देर रात तक 21 व्यापारियों पर एफआईआर दर्ज कर ली है। भीड़ लगाने व दुकान खोलने वालों पर रात में सख्ती की गई। मंगलवार को पुलिस कड़े कदम उठा सकती है।
पांच संदिग्धों की रिपोर्ट निगेटिव जेपी अस्पताल में भर्ती कोरोना के छह संदिग्धों में पांच की रिपोर्ट देर रात निगेटिव आई है। एक की रिपोर्ट आना बाकी है। अक्षय अस्पताल में भर्ती एक मरीज की रिपोर्ट भी निगेटिव है। शहर में रविवार को मिली पहली कोरोना पॉजिटिव युवती का एम्स में इलाज चल रहा है। उसे कोई तकलीफ नहीं है। उसके पिता व अन्य रिश्तेदारों के सैंपल भी मंगलवार को लिए जाएंगे। अभी तक युवती व उसके पिता के संपर्क में आए 157 लोगों की पहचान कर उन्हें अलग रहने को कहा गया है। भोपाल में आज की स्थिति में 379 लोग घरों में आइसोलेशन में हैं।
नीट पीजी काउंसिलिंग के लिए पंजीयन 25 की जगह 30 मार्च तक होंगे। इसके बाद आगामी सूचना तक के लिए काउंसिलिंग स्थगित कर दी गई है।
एक बार होगी सांची दूध की सप्लाई
भोपाल सहकारी दुग्ध संघ 24 घंटे में दो बार दूध की सप्लाई करता है, मंगलवार से इसे एक बार किया जा रहा है। कुछ उत्पादों की सप्लाई में कटौती भी कर दी गई है।
जेपी अस्पताल की सिविल सर्जन को हटाया, टंडन को जिम्मेदारी
कोरोना वायरस को लेकर हर जगह हाहाकार मचा है। इस बीच राजधानी के जेपी अस्पताल की सिविल सर्जन सह अधीक्षक डॉ. अल्का परगनिया को हटा दिया गया है। उनकी जगह बैरागढ़ सिविल अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. अरविंद टंडन (स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ) को जेपी अस्पताल का सिविल सर्जन बनाया गया है। माना जा रहा है कि कॉरोना वायरस से निपटने के लिए अस्पताल में माकूल व्यवस्थाएं नहीं होने की वजह से उन्हें हटाया गया है।