MP LIVE : बढ़ता संकट... 9 के फेर में फंसी कमलनाथ सरकार ,सरकार बचाए रखने के लिए 9 विधायकों की जरूरत

 
MP LIVE : बढ़ता संकट... 9 के फेर में फंसी कमलनाथ सरकार ,सरकार बचाए रखने के लिए 9 विधायकों की जरूरत

ग्वालियर। कहते हैं '9-9’ के फेर में उलझना हमेशा परेशानी भरा होता है। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम में कमलनाथ सरकार इसी फेर में फंसी नजर आ रही है। जी हां, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद से जिस तरह से कांग्रेस, भाजपा और सिंधिया के समर्थन में विधायक अभी तक खड़े नजर आ रहे हैं, इसमें कमलनाथ सरकार सहयोगियों के साथ कुल 99 विधायकों से आगे नहीं बढ़ सकी है। उसे सरकार बचाए रखने के लिए कम से कम 9 विधायकों के सहारे की जरूरत है।
9 की जरूरत चाहें, कांग्रेसी लौटें या भाजपा टूटे
मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी सरकार बचाने के लिए 9 विधायकों की जरूरत है। इसमें चाहें शेष बचे 16 बागी विधायकों में से 9 विधायक लौट आएं या फिर कुछ विधायक भाजपा के टूटें। अगर भाजपा का एक विधायक कांग्रेस अपने समर्थन में तोड़ने में (इस्तीफा दिलाकर) कामयाब रहती है तो उसे बागियों में से केवल 8 की जरूरत होगी। अगर भाजपा के दो विधायक तोड़ने में कामयाब रहती है तो उसे बागियों में से केवल 7 की जरूरत होगी, परन्तु हर हाल में विधायकों का जोड़ कम से कम 9 होना चाहिए।
9 के अंक से सीएम कमलनाथ का भी नाता
ज्योतिष गणना के अनुसार भी मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाता '9’ से रहा है। उनका जन्मदिन 18 नवंबर को पड़ता है। 1+8 को जोड़ 9 होता है, वहीं नवंबर का नाता भी नवम् यानि नौ से बैठता है। कमलनाथ प्रदेश के 18 वें मुख्यमंत्री हैं।छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से वे 9 बार जीत हासिल कर चुके हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा जाने के लिए उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दिया। इसके बाद से ही उनके लिए प्रदेश में डावांडोल स्थिति रही। कमलनाथ की जन्मतिथि 18 नवंबर 1946 के अनुसार अंकशास्त्र में '9’ का अंक लकी नहीं माना गया है।
18 का अंक कमजोर
ज्योताषाचार्य पं अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार 18 का अंक स्वयं में कमजोर होता है। इसमें 1 सूर्य का अंक व 8 शनि का योग होता है।
सूर्य व शनि एक दूसरे के विरोधी ग्रह माने गए हैं। इस नजरिये से देखें तो मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में उनकी स्थिति आरंभ से मजबूत नहीं मानी गई।
हमेशा सरकार के अब-तब जाने की आशंका बनी हुई रही है। कमलनाथ की जन्मांक 18 होने के नाते वे अब तक शासन में बने तो हुए हैं, परंतु उनके ही दल की गुटबाजी और विपक्ष की मजबूती ने उनकी स्थिति को कभी प्रबलता हासिल नहीं करने दी है।
सियासी घटनाक्रम में वर्तमान स्थिति
कांग्रेस के पाले में 99 विधायक (92 समर्थक विधायक भोपाल में+7 सहयोगी-सपा-बसपा, निर्दलीय) हैं। शेष बचे 16 में जितने भी वापस कांग्रेस में लौटे तो पार्टी का संख्या बल बढ़ेगा और उसकी परेशानी कम होगी।
भाजपा के पाले में 107 विधायक हैं। कांग्रेस के बागी विधायकों की जो भी स्थिति रहे, संख्याबल नहीं बढ़ेगा। उसके पास केवल कांग्रेस के सहयोगी दल के विधायकों को तोड़ने का ही विकल्प है।
कांग्रेस को विधानसभा में भाजपा से एक ज्यादा विधायक रखना है। 6 विधायकों के इस्तीफ स्वीकार कर अब तक संख्या भाजपा से ज्यादा 108 है। आगे के लिए अपने 16 विधायकों के अलावा भाजपा पर भी उसकी नजर है।

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