REWA : टैक्स समय पर जमा नहीं करने पर अब 12 प्रतिशत अधिभार वसूला जाएगा

 
REWA : टैक्स समय पर जमा नहीं करने पर अब 12 प्रतिशत अधिभार वसूला जाएगा

रीवा। नगर निगम आगामी वित्तीय वर्ष के लिए खर्च होने वाली राशि के लिए बजट प्रस्तुत करेगा। इससे पहले अधिकारियों की ओर से करीब महीने भर से अधिक समय तक मंथन किया गया। अब नगर निगम आयुक्त की ओर से निगम के प्रशासक संभागायुक्त अशोक भार्गव के सामने पेश किया गया है। इस बार कई नए प्रावधान किए गए हैं, जिसमें टैक्स वसूली समय पर होने और इसकी राशि बढ़ाने के लिए अधिभार बढ़ाने की तैयारी की गई है।

अभी तक नवंबर महीने से अधिभार की वसूली की जा रही है, जिसमें अधिकतम सात प्रतिशत तक विलंब से टैक्स जमा करने पर अधिभार वसूला जा रहा है। नए प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत किया जा रहा है। दूसरे शहरों में अधिभार अधिक वसूला जा रहा है लेकिन रीवा में अभी तक कम राशि थी। प्रशासक अभी इस बजट का अध्ययन कर रहे हैं, इसके पहले भी प्रारंभिक रूपरेखा अधिकारियों की ओर से प्रशासक को बताई गई थी, जिस पर उन्होंने कई संसोधन कराने के निर्देश दिए थे।

अब वित्तीय वर्ष 2020-21 का खाका तैयार कर प्रशासक के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। इस बजट का अनुमोदन 31 मार्च के पहले किया जाना है। इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से शहर की सारी व्यवस्थाएं कई दिनों से ठप हो गई हैं। नगर निगम आपात सेवाएं शहरवासियों को दे रहा है, इसलिए पूरी टीम उसी में लगी हुई है। पूर्व में प्रशासक ने कहा था कि सभी अधिकारियों के साथ एक बार वह बैठक करेंगे और बजट को अंतिम रूप देने के बाद पेश किया जाएगा। अब पूरी टीम दूसरे कार्यों में लगा दी गई है, जिसके चलते बजट पर अधिक अध्ययन नहीं किया जा सका है।

एमआइसी और परिषद की शक्तियां प्रशासक के पास
मेयर इन काउंसिल एवं नगर निगम परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वर्तमान में प्रशासक कार्यभार संभाल रहे हैं। ऐसे में एमआइसी और परिषद की सारी शक्तियां प्रशासक के पास ही हंै। पूर्व के वर्षों में नगर निगम के अधिकारियों द्वारा पहले मेयर इन काउंसिल में बजट पेश किया जाता था, जहां पर चर्चा के बाद इसे स्वीकृत कर परिषद को भेजा जाता था। परिषद में पेश होने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष सहित अन्य पार्षद अपने सुझाव और आपत्तियां रखते थे। इस बार परिषद की बैठक नहीं होगी, जिसके चलते प्रशासक द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाले बजट अंतिम माना जाएगा। 

बड़े घाटे का होगा अनुमानित बजट
आगामी वित्तीय वर्ष का बजट घाटे का होने का अनुमान बताया गया है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए जो अनुमान बीते साल पेश किया गया था, उसके अनुसार नगर निगम को आय नहीं हुई, जिसकी वजह से व्यय का अनुमान भी उसके तहत नहीं हुआ है। पिछला बजट 4 अरब 15 करोड़ 43 लाख 40 हजार रुपए के आय का अनुमानित था जबकि पूरे साल में 4 अरब 73 करोड़ 83 लाख 46 हजार का व्यय प्रस्तावित किया गया था। इस तरह से यह बजट 58 करोड़ रुपए के घाटे का बताया गया था लेकिन आगामी ३१ मार्च को समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में अनुमान से अधिक का घाटा होने की आशंका है।

बीते साल ऐसे था आय का अनुमान 
1 - निगम के टैक्स--- 40.38 करोड़
संपत्तिकर, जलकर, समेकितकर, शिक्षा उपकर, प्रकाश अधिभार, विज्ञापन कर, नगरीय विकास उपकर, प्रदर्शन-मनोरंजन टैक्स आदि।
2 - निर्दिष्ट राजस्व एवं क्षतिपूर्तियां-- 56.26 करोड़
इसके तहत मुद्रांक शुल्क, नजूल अंशदान, चुंगीक्षतिपूर्ति, यात्री क्षतिपूर्ति आदि।
3- निगम की संपत्तियों का किराया-- 30 करोड़
बाजार बैठकी, पाॄकग शुल्क, दुकानों का प्रीमियम, भवन-भूमि स्थानांतरण, प्रस्तावित प्रोजेक्ट आदि।
4- शुल्क एवं उपभोक्ता प्रभार -- 16.20 करोड़
विकास शुल्क, अनुज्ञा शुल्क, कांजी हाउस, हाकर्स कार्नर, स्लाटर हाउस, समझौता शुल्क, टैंकरों से उपभोक्ता प्रभार।
5- बिक्री एवं भाड़ा प्रभार-- 3 करोड़
निविदा प्रपत्र, राशनकार्ड आवेदन पत्र, कंपोस्ट खाद बिक्री।
6- अनुदान योगदान-- 257 करोड़
सड़क अनुरक्षण अनुदान, पेयजल अनुदान, सांसद-विधायक निधि, पेयजल योजना, अधोसंरचना विकास योजना, अमृत, आइएचएसडीपी, स्वच्छभारत मिशन, सीवरेज, ग्रीनरी आदि।
7- अन्य आय-- 3.85 करोड़
काम्पलेक्सों से प्राप्त किराया।

सरकार के अनुदान में हुई कटौती
नगर निगम को सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान में इस वर्ष से कटौती शुरू की गई है। करीब 84 करोड़ रुपए पूर्व में निगम ने अलग-अलग कार्यों के लिए बैंकों से ऋण लिया था। साथ ही शासन के कोष भी कुछ अग्रिम राशि ली गई थी। अब इन राशियों को जमा करने का समय आ गया है। निगम द्वारा राशि जमा नहीं किए जाने की वजह से शासन की ओर से मिलने वाली राशि में ही कटौती शुरू की गई है। चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि जहां करीब ढाई करोड़ रुपए महीने आ रही थी, वहीं अब महज 60 से 70 लाख रुपए तक ही आ रहे हैं। इस वजह से कर्मचारियों को वेतन सहित अन्य खर्चे निगम अपने व्यय पर कर रहा है। जिसकी वजह से आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। बिजली बिल का बकाया भी करीब 15 करोड़ रुपए जमा किया गया है।

आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट तैयार कर प्रशासक के पास भेजा गया है। जल्द ही प्रशासक द्वारा इसका अनुमोदन किया जाएगा।

सभाजीत यादव, आयुक्त नगर निगम

Related Topics

Latest News