Nizamuddin Markaz वालों ने डॉक्टरों पर थूका, स्टॉफ से की बदसलूकी

 
Nizamuddin Markaz वालों ने डॉक्टरों पर थूका, स्टॉफ से की बदसलूकी

Nizamuddin Markaz के कारण देशभर में कोरोना वायरस का विस्फोट हो गया है। यहां न केवल लॉकडाउन का उल्लंघन हुआ, बल्कि बीमारी को दूसरे राज्यों में फैलाने की भयंकर भूल भी की गई। पुलिस हरकत में आई और अब Nizamuddin Markaz में जमा लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है, लेकिन यहां भी ये लोग बाज नहीं आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, क्वारंटाइन सेंटर में ये लोग मेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। डॉक्टरों पर थूक रहे हैं। इस बीच, Nizamuddin Markaz को खाली करवाने के लिए जब पुलिसकर्मी और स्वास्थ्यकर्मी पहुंचे तो वहां गंदगी का साम्राज्य देखकर हैरान रह गए।

इतनी गंदगी कि कर्मचारियों का सिर चकरा गया

बता दें, दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी ) सेंट्रल जोन के डीएचओ डॉ. विवेकानंद भगत के नेतृत्व में इस पूरे इलाके को तीन बार सैनिटाइज किया गया। 9 मंजिला इस इमारत को सैनिटाइज करने में 4 कर्मचारियों को 1 घंटे से अधिक समय लग गया, जबकि इनके पास दवा छिड़कने की ऐसी आधुनिकतम मशीनें थीं जो 3-4 मिनट में 10 लीटर घोल को फॉग के रूप में स्प्रे करती थी।

निगम सूत्र ने बताया कि Nizamuddin Markaz में इतनी दुर्गंध आ रही थी कि वहां पर एक-एक पल रुकना भारी पड़ रहा था। सैनिटाइजेशन के लिए केमिकल के छिड़काव के दौरान उन्हें उल्टी तक आ रही थी। कर्मचारी ने बताया कि Nizamuddin Markaz में बने शौचालय इतने छोटे-छोटे थे कि उसमें बमुश्किल एक आदमी ही खड़ा हो पाता।

एक-एक कमरे में सोते थे कई लोग

निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि Nizamuddin Markaz की इमारत में बहुत छोटे-छोटे कमरे थे। उनमें जमीन पर प्लास्टिक की चटाइयां बिछी हुईं थीं। छोटी-छोटी चटाइयों पर 4-4 तकिये लगे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक-एक कमरे में कई लोग सोते थे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया जा रहा था।

3-4 हजार से ज्यादा जूते-चप्पल

Nizamuddin Markaz की रैक में करीब 4 हजार जोड़ी जूते-चप्पल रखे हुए थे। इसके अलावा गंदे कपड़े, चादरें व तकिया, अलग-अलग भाषाओं में तमाम किताबें कागजात आदि बिखरे पड़े थे।

कहीं जानबूझकर तो नहीं थूका

निगम सूत्र ने बताया कि Nizamuddin Markaz की इमारत में हर ओर दीवारों, दरवाजों, सीढ़ियों की रेलिग व ड्रमों को काटकर बनाए गए गमलों, बैठने की जगहों पर थूक के निशान थे। आशंका है कि जब इन लोगों को यहां से निकाला जाने लगा तो जानबूझकर पूरी इमारत में थूका ताकि स्वास्थ्य विभाग व पुलिसकर्मियों को भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए।


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