REWA : शर्मनाक : विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गाँधी में एम्बुलेंस से शव ले जाने के लिए 500 रुपए की मांग, घंटो गिड़गिड़ाने बाद कंधे पर ले गए शव

 
REWA : शर्मनाक : विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गाँधी में एम्बुलेंस से शव ले जाने के लिए 500 रुपए की मांग, घंटो गिड़गिड़ाने बाद कंधे पर ले गए शव

रीवा. विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल में एक बार फिर मानवता को शर्मशार कर देने वाला वाक्या सामने आया है। एक गरीब परिवार के बुजुर्ग का शव ले जाने के लिए एम्बुलेस नहीं मिला। इतना ही नहीं गरीब परिवार अस्पताल परिसर में एम्बुलेस के लिए घंटों गिड़गिड़ाता रहा। लेकिन, उसे इस लिए एम्बुलेंस नहीं मिल सका कि उसके पास ५०० रुपए नहीं थे। बाद परिजन कंधे पर शव को लेकर घर गए।

एसजीएमएच के कैजुवलटी में लेकर पहुंचे थे परिजन 
बताया गया कि शहर के फोर्ड रोड स्थित मच्छरदानी मोहल्ला निवासी बुजुर्ग रमेश कुमार वर्मा की सोमवार की शाम अचानक तबियत बिगडऩे पर परिजन संजय गांधी अस्पताल लेकर पहुंचे। कैजुलटी में ही चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों के मुताबिक सांस की बीमारी बढऩे पर अस्पताल लेकर आए थे। देरशाम करीब ७.४५ बजे कैजुलवटी में ड्यूटी पर मौजूद सीएमओ डॉ. अलख प्रताप ङ्क्षसह ने बुजुर्ग मरीज को अटेंड किया। कैजुलवटी में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

REWA : शर्मनाक : विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गाँधी में एम्बुलेंस से शव ले जाने के लिए 500 रुपए की मांग, घंटो गिड़गिड़ाने बाद कंधे पर ले गए शव

अस्पताल में डेढ़ घंटे तक भटकते रहे परिजन 
परिजन अस्पताल परिसर में ही करीब डेढ़ घंटे तक स्ट्रेचर पर शव को रखे एम्बुलेंस के लिए भटकते रहे। परिजनों ने बताया कि एम्बुलेंस के लिए ५०० रुपए की मांग की गई। पैसे नहीं होने के कारण एम्बुलेंस नहीं मिला। इस पर घर के लोग गुढ़ चौराहे से बांस ले आए और कंधे पर शव को लेकर फोर्ड रोड तक गए। हैरान करने वाली बात तो यह कि अस्पताल से फोर्ड रोड की दूरी एक किमी भी नहीं है। शव पहुंचाने के लिए परिसर में एम्बुलेंस के लिए पैसे की मांग की गई। 

नहीं कराया पंचनामा 
मामले में सीएमओ डॉ. अलख प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि शव का पंचनामा करने के लिए परिजनों से बात की गई थी। लेकिन, वह तैयार नहीं हुए। एम्बुलेंस के लिए कोई नहीं आया। बाहर निजी एम्बुलेंस चालकों से बात की होगी। बाहर के एम्बुलेंस से अस्पताल प्रबंधन का कोई लेना देना नहीं है।

वर्जन...
अस्पताल में एम्बुलेंस के लिए किसी ने संपर्क नहीं किया और न ही अस्पताल प्रबंधन की ओर स किसी ने पैसे की मांग की है। कैजुवलटी में स्ट्रेचर पर ही ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने चेकअप किया। ब्राडडेड था यानी पहले से ही मृत्यु हो चुकी थी। 

डॉ. पीके लखटकिया, अधीक्षक, संजय गांधी अस्पताल



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