SHAAN E भोपाल EXPRESS व जनशताब्दी EXPRESS में अब आराम करना होगा और भी आरामदायक : जानिए कैसे

 
SHAAN E भोपाल EXPRESS व जनशताब्दी EXPRESS में अब आराम करना होगा और भी आरामदायक : जानिए कैसे

भोपाल । शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस व जनशताब्दी एक्सप्रेस में दो महीने बाद सफर और आरामदायक हो जाएगा। इन ट्रेनों के दौड़ते समय यात्रियों को झटके नहीं लगेंगे। किन्हीं कारणों से दुर्घटना होती भी है तो कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे। और भी कई फायदे होंगे। ऐसा एलएचबी कोच (जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश के सहयोग से तैयार कोच) लगने से होगा। दोनों ट्रेनों के लिए ऐसे 44 कोच आवंटित हो गए हैं, जो दो महीने के भीतर मिल जाएंगे। अभी दोनों ट्रेनों में पुरानी डिजाइन के कोच लगे हैं।


दोनों ट्रेनें भोपाल रेल मंडल की हैं, जो हबीबगंज रेलवे स्टेशन से रोजाना चलती हैं। भोपाल एक्सप्रेस प्रतिदिन रात 9 बजे हजरत निजामुद्दीन और जनशताब्दी एक्सप्रेस शाम 5.40 बजे जबलपुर जाती है। भोपाल एक्सप्रेस को दो साल पहले एलएचबी कोच मिलने थे। डेढ़ साल पहले कुछ कोच मिल भी गए थे, लेकिन ऐनवक्त पर उत्तर रेलवे को देने पड़े। यहां तक कि रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन अश्विन लोहानी भी उक्त ट्रेन को एलएचबी कोच देने की बात कह चुके थे। इन तमाम प्रयासों के बाद भोपाल एक्सप्रेस के साथ-साथ जनशताब्दी एक्सप्रेस को भी एलएचबी कोच आवंटित हो गए हैं। भोपाल एक्सप्रेस के लिए रायबरेली से और जनशताब्दी के लिए कपूरथला से कोच आएंगे। ये कोच दो महीने के भीतर मिल जाएंगे।


ऐसे आरामदायक होगा सफर

सेंटर बफर कपलिंग लगी होती है, इसलिए दुर्घटना होने पर कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते।

एलएचबी औसत गति 160 से 200 किमी तक दौड़ने में सक्षम होते हैं।

कोच में एंटी टेलीस्कोपिक सिस्टम लगा होता है। इसके कारण ये पटरी से नहीं उतरते।

कोच का साउंड लेवल 60 डेसीबल से भी कम होता है। ट्रेन के चलने से निकलने वाली आवाज यात्रियों तक कम पहुंचती है।

5 लाख किमी चलने पर मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती है। सामान्य कोच को 2 से 4 लाख किमी चलने पर मेंटेनेंस करना पड़ता है।

कोच के भीतर एयर कंडीशनिंग सिस्टम लगे होते हैं, जो तापमान को नियंत्रित करते हैं।

इनकी बाहरी दीवारें सामान्य कोचों की तुलना में अधिक मजबूत होती हैं, हादसों के समय यात्रियों के नुकसान की आशंका कम होती है।

कोच की भीतरी डिजाइन में स्क्रू कम उपयोग हुए हैं। हादसों की स्थिति में यात्रियों को ज्यादा चोटें नहीं आती।

सामान्य कोचों की तुलना में अधिक लंबाई होती है। सीटों के बीच आने-जाने के लिए अधिक स्थान होता है।

दोनों ट्रेनों को एलएचबी कोच आवंटित हुए हैं। जब ये कोच लग जाएंगे तो यात्रियों को सहूलियतें होंगी।

आईए सिद्दीकी, प्रवक्ता भोपाल रेल मंडल

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