BHOPAL : 100 साल की महिला और 2 माह के शिशु ने दी कोरोना को मात

 
BHOPAL : 100 साल की महिला और 2 माह के शिशु ने दी कोरोना को मात

भोपाल. मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दो राहतभरी खबरें हैं। एक खरगोन जिले से तो दूसरी छतरपुर जिले से। 100 साल की एक बुजुर्ग महिला मे कोरोना वायरस को मात दी है तो दूसरी तरफ दो महीने के एक नवजात शिशु ने कोरोना को हराया है।

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100 साल की महिला ठीक हुई
राज्य के खरगोन जिले में कैंसर से जूझ रही एक 100 वर्षीय महिला ने कोरोना को मात दी है। बुजुर्ग महिला अपने घर में 14 दिन चले इलाज के बाद कोविड-19 को सोमवार को मात दे दी। वह इस महामारी से उबरने वाले देश के सबसे उम्रदराज मरीजों की सूची शामिल हो गई हैं।

बीएमओ अनुज के अनुसार, जिले के बड़वाह कस्बे में रहने वाली उम्रदराज महिला रुक्मिणी चौहान जांच में 21 जुलाई को कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई थीं। हालांकि, उनमें इस महामारी के लक्षण नहीं थे। लिहाजा हमने उन्हें उनके घर पर अलग रहकर इलाज का फैसला किया।

ऐसे हुआ इलाज
परिवार के लोगों ने बताया कि उनकी उम्र 100 साल से ज्यादा है। वह अंडाशय के कैंसर से जूझ रही हैं और पिछले 5 साल से रोग शय्या पर हैं। इसलिए उनकी स्थिति पर विशेष रूप से नजर रखी गई। बीएमओ ने बताया कि वृद्धा को कोविड-19 की दवाएं और आयुर्वेदिक काढ़ा देने के साथ उनके शरीर में ऑक्सीजन के स्तर, तापमान और अन्य स्वास्थ्य सूचकांकों की नियमित अंतराल में जांच की जाती रही और अब वो पूरी तरह से ठीक हैं।

छतरपुर का मामला
शिशुओं में कोरोना के उच्च जोखिम वाले धारणाओं के विपरीत खजुराहो में दो माह के बच्चे ने कोविड-19 के संक्रमण को हराया है। सबसे अहम बात यह है कि इस शिशु के अभिभावकों ने इस संक्रमण के दौरान भी मां के दूध का महत्व समझा और बच्चे को इससे वंचित नहीं किया।

छतरपुर जिले के खजुराहो में रहने वाले एक दंपत्ति जो दिल्ली में काम करते है, के यहां 13 जून को शिशु का जन्म हुआ। उस वक्त मां कोरोना से संक्रमित थी। जन्म के कुछ समय बाद वह अपने गांव लौट आए। एक महीने के बाद जब बच्चा बीमार हुआ तो उसका कोविड टेस्ट करवाया गया। शिशु की रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर उसे खजुराहो कोविड केयर सेंटर में रखा गया।

सेंटर के प्रभारी डॉ. विनीत शर्मा ने बताया कि चूंकि छ: माह तक शिशु को केवल स्तनपान दिया जाना चाहिए, और बच्चा पूरी तरह मां के दूध पर आश्रित था, इसलिये उसकी मां और शिशु के लिए सेंटर में खास इंतजाम किए गए। इलाज के दौरान भी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए शिशु को स्तनपान जारी रखा गया।


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