SATNA : जिला पंचायत CEO की बड़ी कार्यवाही, सरपंच सचिवों से की 13 करोड़ गबन और अनुपयोगी राशि की रिकवरी

 
SATNA : जिला पंचायत CEO की बड़ी कार्यवाही, सरपंच सचिवों से की 13 करोड़ गबन और अनुपयोगी राशि की रिकवरी

सतना। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में निर्माण कार्यों के लिये राशि तो ले ली जाती है लेकिन काफी संख्या में निर्माण एजेंसियां उस राशि का सही इस्तेमाल नहीं करती हैं। कुछ लोग तो राशि निकाल कर बिना काम कराए हजम कर जाते हैं तो कुछ ज्यादा राशि निकालकर काम कम का कराते हैं। वहीं कुछ जगह पर राशि बिना उपयोग के पड़ी रहती है। ऐसे मामलों को प्राथमिकता में लेते हुए जिपं सीईओ ऋजु बाफना वसूली अभियान चलाया और 13 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि की वसूली कर रिकार्ड बना लिया। इसके पहले वसूली का रिकार्ड तत्कालीन जिपं सीईओ सूफिया फारुखी के नाम था।
सबसे ज्यादा वसूली डीएमएफ से

जिला खनिज मद से विभिन्न विकास कार्यों के लिये भारी भरकम राशि जारी की गई थी। जिसमें सबसे ज्यादा राशि जिला अस्पताल को दी गई थी। लेकिन जिला अस्पताल प्रबंधन इस राशि का उपयोग नहीं कर रहा था। बल्कि राशि को दबा कर बैठा हुआ था। समीक्षा में इस राशि का उपयोग न पाते हुए जिपं सीईओ ने लगभग तीन करोड़ रुपये की राशि वापस जमा करा ली। इसके अलावा ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी भवन, स्कूल बाउण्ड्री, रोड सहित अन्य निर्माण कार्यों के लिए राशि जारी की गई थी। लेकिन पंचायतों ने या तो निर्माण नहीं कराया या फिर मूल्यांकन में राशि का दुरुपयोग होना पाया गया। इस तरह की राशि भी वापस बुलाई गई। इस तरह से डीएमएफ मद से 9.21 करोड़ रुपए की वसूली हुई है।

5 साल से राशि लेकर बैठे थे

स्वच्छ भारत मिशन के तहत 1.93 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। इसमें सबसे ज्यादा वसूली पहले 4 से 5 साल पहले चलने वाले निर्मल भारत अभियान की राशि से हुई है। पांच साल पहले ग्राम पंचायत को शौचालय निर्माण के लिये राशि दी जाती थी। लेकिन जांच में पाया गया कि काफी संख्या में राशि का दुरुपयोग किया गया तो कई स्थानों पर काम ही नहीं किया गया। इस तरह के मामलों में भी सख्ती से राशि की वसूली की गई है।

आवास योजना से वसूले 68 लाख

हितग्राहियों को आवास योजना के तहत राशि प्रदान की जाती है। लेकिन यहां पर समीक्षा के दौरान पाया गया कि कई हितग्राही राशि लेकर हजम कर गए और आवास निर्माण नहीं किया। कुछ तो ऐसे भी मिले कि राशि लेकर पलायन कर गए। कई ऐसे रहे कि राशि पूरी ली और आधा अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जिसमें आपात्र को राशि दे दी गई। ऐसे सभी मामलों में सख्ती के साथ राशि वसूली का अभियान शुरू किया गया। इस तरह से 68.82 लाख रुपये की वसूली कर ली गई।

परफार्मेंस ग्रांट से भी वसूल लिये

जिला पंचायत अध्यक्ष सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से प्रस्तावित विभिन्न कार्य के लिये ग्राम पंचायतों को राशि दी गई। लेकिन इसमें भी काफी संख्या में काम नहीं हुआ और राशि अनुपयोगी दबाकर रख ली गई थी या फिर मूल्यांकन से कम काम होना पाया गया। इस तरह की 56.47 लाख रुपये की वसूली निर्माण एजेंसियों के हलक में हाथ डाल कर की गई।

सरपंच सचिव से वसूली गई गबन की राशि

विभिन्न ग्राम पंचायतों में गबन के मामले सामने आने पर धारा 40 और 92 के तहत प्रकरण कायम कर इनकी पेशियां शुरू की गई। इसके बाद इनके दोष सिद्ध पाये जाने पर वर्तमान और पुराने सचिव और सरपंचों को वसूली के आदेश दिये गए। इस तरह के तमाम मामलों में 19.61 लाख रुपये वसूले गए। यह राशि वसूलना अपने आप में टेढ़ी खीर था। इसी तरह सर्व शिक्षा अभियान में मूल्यांकन से कम राशि खर्च करने, राशि निकालकर काम न कराने जैसे मामलों में भी वसूली करते हुए 49.05 लाख रुपये जिपं के खाते में वापस जमा कराए गए। किचनशेड के काम न होने पर 5.64 लाख और नल जल योजना में गड़बड़झाले में फंसे 2.98 लाख रुपये की वसूली कराई गई।

सूफिया के वक्त हुई थी वसूली

जब यहां जिपं सीईओ सूफिया फारुखी थीं तो उन्होंने गड़बड़झाले और अनियमितता के मामले में व्यापक तौर पर वसूली का अभियान शुरू किया था। तब सरपंच सचिवों से बड़े पैमाने पर राशि जमा कराई गई थी। लेकिन उनके साथ फायदा यह था उनके पति पुलिस अधीक्षक थे लिहाजा वसूली में पुलिस का सपोर्ट काफी मिल जाता था। लेकिन इस बार की वसूली उनके समय हुई वसूली से काफी ज्यादा बताई गई है।


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