HIGHT COURT : अभिभावक स्कूल फीस का भुगतान करने में असमर्थ है तो भी बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं छात्र
स्कूल फीस का भुगतान नहीं कर पाने पर विद्यार्थियों को बोर्ड की परीक्षा देने से वंचित नहीं किया जा सकता है। निजी स्कूलों की फीस वृद्धि के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि आर्थिंक रूप से कमजोर हो जाने के कारण अगर कोई अभिभावक स्कूल फीस का भुगतान करने में असमर्थ है तो उनके बच्चे को बोर्ड परीक्षा से वंचित कर उसका एक साल बर्बाद नहीं किया जा सकता है। स्कूल प्रबंधन को ही सुनिश्चित करना होगा कि विद्यार्थी को परीक्षा से न रोका जाए। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में आगे और भी विस्तार से निर्देश दिया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।
दूसरी तरफ, हाल ही में कोरोना महामारी के दौरान निजी स्कूलों की फीस को लेकर चल रहे विवाद के बीच गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि फीस तय करने की सरकार के पास पूर्ण सत्ता है, सरकार अदालत को बीच में क्यों ला रही है। 25 फीसदी फीस घटाने के फैसले को स्कूल संचालकों के मानने से इनकार करने के बाद सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ व न्यायाधीश जे बी पारडीवाला की खंडपीठ ने गुजरात सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महामारी एक्ट व आपदा प्रबंधन एक्ट के आधार पर निजी स्कूल की फीस तय करने का सरकार को पूर्ण अधिकार है। उसे अपनी सत्ता का उपयोग करते हुए कोरोना महामारी के काल में सकूल शुल्क का निर्धारण करना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में स्वतंत्र निर्णय करने के बजाए अदालत को मध्यस्थ बनाना दुखद है।
शिक्षामंत्री भूपेंद्रसिंह चूडास्मा ने कहा कि अगस्त 2020 में सरकार ने निजी स्कूल संचालकों से प्रत्यक्ष व ऑनलाइन बैठक की लेकिन सरकार के 25 फीसदी स्कूल फीस घटाने के फैसले को उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सरकार ने अदालत में अर्जी दाखिल कर शुल्क निर्धारण पर फैसला करने की गुहार लगाई थी।
हाईकोर्ट के निर्देश परअब मुख्यमंत्री विजय रुपाणी तथा उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से चर्चा कर स्कूल फीस का निर्धारण करेंगे। अभिभावक संघ के वकील विशाल दवे का कहना है कि 25 प्रतिशत शिक्षण शुल्क की कटौती पर अभिभावक सहमत हैं। लेकिन फैडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल का कहना है कि सरकार सीधे 25 फीसदी फीस घटाना चाहती है।
जबकि निजी सकूल अपने यहां पढने वाले छात्र व छात्राओं के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति के आधार पर इससे अधिक शुल्क माफ करने को तैयार है। निजी शाला संचालक मंडल के अध्यक्ष अजय पटेल का कहना है कि वे अभिभावकों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर 25 से 100 फीसदी तक राहत देने को तैयार हैं लेकिन जरुरतमंद को ही।
यूपी के बरेली में स्कूल फीस को लेकर स्कूल प्रशासन और अविभावक आमने-सामने, आयोग में याचिका दायर
स्कूल फीस की मनमानी को लेकर बरेली में अब निजी स्कूल संचालक और अभिभावक आमने सामने आ गए है। जिसके चलते इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन के खिलाफ पैरेंटस फोरम ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में याचिका दायर की है। पैरेंटस फोरम के संयोजक खालिद जिलानी ने एसोसिएशन के अध्यक्ष पारुष अरोडा को मुख्य प्रतिवादी बनाया है। शासनादेशों के खिलाफ स्कूलों ने 20 सितंबर तक फीस जमा न होने पर छात्रों का नाम काटने की चेतावनी दी है। उन्होंने याचिका में स्कूलों से सिर्फ मासिक आधार पर ट्यूशन फीस लेने, मार्च 2021 तक फीस जमा करने का विकल्प देने और हर अभिभावक को मानसिक कष्ट की क्षति पूर्ति के लिए पांच-पांच हजार रुपये देने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि सुनवाई के बाद उपभोक्ता आयोग ने अगली तारीख 13 अक्टूबर तय की है।
कोरोना के बीच मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है। कोरोना से उपजे हालात के बीच विभाग को ऐसी शिकायतें मिल रही है कि कुछ प्राइवेट स्कूल दाखिला फीस समेत अन्य चार्ज लेने के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे है। फीस निर्धारित करने वाली कमेटी ने कहा कि यदि किसी स्कूल ने दाखिला फीस या अन्य गैर जरूरी चार्ज लेने की कोशिश की तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कमेटी ने यह जानकारी शिक्षा विभाग को भेज दी है। कमेटी ने कहा है कि सरकार के आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की मान्यता को रद्द कर दिया जाएगा। मद्रास और राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव असगर सेमून ने कहा है कि विभाग स्कूलों को फीस में तीस फीसद कमी करने का आदेश दे सकता है। कहने का मतलब है कि प्राइवेट स्कूलों से मार्च से अगस्त तक फीस में तीस फीसद कमी करके अभिभावकों को पैसे लौटाने के लिए कहा जा सकता है। इसके लिए शिक्षा विभाग कानून विभाग की राय ले रहा है। कुछ प्राइवेट स्कूल इसलिए भी परेशान हो गए है कि उन्हें ली हुई फीस का तीस फीसद हिस्सा वापिस करना पड़ सकता है।