MP : शव का अधिकार होता है, उसकी भी मानहानि होती है, ये है कानूनी विशेषज्ञाें की राय

 
MP : शव का अधिकार होता है, उसकी भी मानहानि होती है, ये है कानूनी विशेषज्ञाें की राय

इंदौर । शव का भी अधिकार होता है...उसकी भी मानहानि होती है। अपमान करने पर कानूनी धाराओं के अधीन कार्रवाई भी हो सकती है। परिवार वाले क्षतिपूर्ति भी मांग सकते हैं। शव की दुर्गति होने की स्थिति में स्वजन को अधिकार है कि वे अपकृत्य विधि के तहत कार्रवाई कर संबंधित के खिलाफ क्षतिपूर्ति के लिए वाद दायर कर सकते हैं। क्षतिपूर्ति कितनी होगी यह न्यायालयों के विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन इसकी कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है। इसके अलावा पुलिस भी स्वतः संज्ञान लेकर केस दर्ज कर सकती है।

इंदौर में एक पखवाड़े में शव के साथ लापरवाही के चार मामले सामने आए तो 'मीडिया' ने कानूनी विशेषज्ञों के साथ मिलकर तथ्य खंगाले।

नजीरः 25 साल पहले आया था एक फैसला

उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अभिभाषक विनय सराफ के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने 25 साल पहले पंडित परमानंद विरुद्ध भारत सरकार के प्रकरण में फैसला दिया था, जो इन मामलों में नजीर है। फैसले में कहा गया कि यह हर व्यक्ति का अधिकार है कि उसकी मृत्यु के बाद उसके शव का उसके धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक क्रियाकर्म किया जाए।

कानून की किताब से... 1- सिर्फ क्षतिपूर्ति ही नहीं, दंड का भी है प्रविधान

अपराध से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट राहुल पेठे का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीने के अधिकार को लेकर भी कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ जिंदा व्यक्ति का ही नहीं, मृतक का भी सम्मान होता है। उसकी भी मानहानि होती है। स्वजन दोषी के खिलाफ न्यायालय में केस दायर कर सकते हैं। पुलिस कार्रवाई न करे तो स्वजन न्यायालय के जरिए केस दर्ज करवा सकते हैं।

2- अपकृत्य विधि के तहत दोषियों पर केस दर्ज

इंदौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल ओझा के अनुसार, शव का अपमान होने पर मृतक के स्वजन अपकृत्य विधि के तहत दोषियों के खिलाफ क्षतिपूर्ति का केस दायर कर सकते हैं। क्षतिपूर्ति की रकम मृतक की आर्थिक और सामाजिक स्थिति के हिसाब से न्यायालय तय करता है। अस्पताल और कर्मचारियों के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है।

3- साक्ष्य से छेड़छाड़ का मामला भी बनता है, तीन से सात साल की सजा

कानूनविद और कानून के शिक्षक एडवोकेट पंकज वाधवानी का कहना है कि शव के साथ दुर्व्यवहार करना भादवि की धारा 201 के तहत दंडनीय अपराध है क्योंकि ऐसा करके साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। अपराध सिद्ध होने पर तीन साल से सात साल तक सजा का प्रावधान है।

कोरोना के मरीज के शव के निपटान को लेकर भी है गाइडलाइन

कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के शव के साथ उचित व्यवहार करने के लिए भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाइडलाइन निर्धारित की है। हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को कोरोना के मरीजों के शवों का सम्मानपूर्वक निपटान करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए हैं। उल्लंघन करने पर भादंवि की धारा 188 और महामारी फैलाने का कृत्य होने की धारा 269, 270 के तहत भी दंडनीय है।

ये मामले आए सामने

15 सितंबर 2020- महाराजा यशवंत राव अस्पताल (एमवायएच) में करीब नौ दिन पहले अस्पताल लाया गया एक लावारिस शव पोस्मार्टम के बाद स्ट्रेचर पर रखे-रखे ही सड़ गया और कंकाल में बदल गया।

19 सितंबर 2020- एमवाय अस्पताल में ही एक मासूम का शव मर्च्युरी में रखकर भूल गए। करीब पांच दिन तक शव एक बॉक्स में रखा रहा।

21 सितंबर 2020- यूनिक अस्पताल में 87 साल के कोरोना संक्रमित बुजुर्ग के शव को चूहों ने कुतर दिया। शव को बगैर किसी सुरक्षा के बेसमेंट में रख दिया गया था। जिला प्रशासन ने जांच बैठा दी, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आई।

26 सितंबर 2020- ग्रेटर कैलाश अस्पताल में भर्ती महू के कोरोना संक्रमित मरीज और खंडवा के एक व्यापारी का शव आपस में बदल दिया गया। खंडवा से आए व्यापारी के परिवार को महू के कोरोना संक्रमित का शव दे दिया गया। 80 किमी जाने के बाद जानकारी मिली तो परिवार वालों ने बीच रास्ते में शवों की अदला-बदली की।

Related Topics

Latest News