कोरोना संक्रमण से दिल और फेफड़ों में जम रहा थक्का, अब डॉक्टर दे रहे यह दवाई

 
कोरोना संक्रमण से दिल और फेफड़ों में जम रहा थक्का, अब डॉक्टर दे रहे यह दवाई

ग्वालियर। शहर के अस्पतालों में कोरोना का इलाज ले रहे मरीजों में खून गाढ़ा होने की शिकायत आ रही है। खून गाढ़ा होने के कारण इटली व अमेरिका में कई मरीजों का मल्टी आर्गन फेल होने से मौत हो चुकी है। यह समस्या जब देश में नजर आई तो डॉक्टर खून पतला करने की दवा मरीजों को देने लगे। आइसीएमआर ने गाइडलाइन में खून पतला करने की दवा नहीं रखीं थीं, पर बाद में इन दवाओं को भी इजाजत दे दी।

जयारोग्य अस्पताल के कार्डियक विभाग में 4 कोरोना संक्रमित मरीज पहुंचे, इन्हें दिल का दौरा पड़ा था। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि उनका खून गाढ़ा होने से दिल में थक्का जम रहा है। एक मरीज की तो डॉक्टर को एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी। बाकी तीन को खून पतला करने की दवा दी। दिल के साथ मरीजों में लंग्स में भी खून के थक्के जम रहे हैं। ऐसे मरीजों को खून पतला करने की दवा एस्पिरिन दी जा रही है। संक्रमित मरीजों में एरिथमिया की परेशानी भी नजर आ रही है।

संक्रमण के प्रभाव से गाढ़ा हो रहा खून

कोरोना का संक्रमण मरीज के शरीर में पहुंचकर असर दिखाता है। जैसे- संक्रमण मरीज में पहले से अन्य बीमारियों के कीटाणुओं को सक्रिय करता है और खून गाढ़ा करने लगता है। इससे दिल व लंग्स में थक्के जमने लगता है। सीटी स्कैन की रिपोर्ट में लंग्स में जमे थक्के दिखाई देते हैं। गाढ़ा खून जब हृदय में जाता है तो वहां पर बारीक नसों में उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे वह अधिक जमने लगता है और हृदयघात की आशंका बढ़ जाती है।

खून गाढ़ा होने से हुआ हृदयघात

जेएएच में कार्डियक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राम रावत का कहना है कि 2 जुलाई को शिवपुरी का मरीज दाताराम हृदय संबंधी परेशानी के चलते भर्ती हुआ था। कोरोना जांच में वे संक्रमित पाया गए। उनकी जांच में हृदय में खून का थक्का जमा होने का पता चला। शरीर का खून सामान्य से काफी गाढ़ा था। तब उनकी एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी। इनके अलावा तीन अन्य कोरोना मरीज भी हृदय संबंधी परेशानी लेकर आए। जांच में उनका खून भी गाढ़ा होना पाया गया। तब इन मरीजों को खून पतला करने की दवा दी गई।

एरिथमिया के शिकार हो रहे कोरोना मरीज

कोरोना संक्रमित पाए गए कुछ मरीजों को एरिथमिया की शिकायत पाई जा रही है। हृदय गति अनियमित होने को एरिथमिया कहा जाता है। डॉ. रावत का कहना है कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद मरीज बीपी सामान्य से अधिक 100 से 125 के बीच पाया जा रहा है। वहीं कोरोना का इलाज ले रहे मरीजों का बीपी सामान्य से काफी कम 50 से 60 के बीच में पाया जा रहा है।

27 प्रतिशत हृदयरोगी बने कोरोना के शिकार

सुपर स्पेशियलिटी में कोरोना मरीजों को इलाज दे रहे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विजय गर्ग का कहना है कि जिले के 167 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 47 मरीज ऐसे थे, जिन्हें हृदय संबंधी परेशानी थी। यानी 27 प्रतिशत हृदयरोगी कोरोना की चपेट में आने से मौत के शिकार बने। मरीजों का खून पतला करने के लिए दवा दी जा रही है।

इनका कहना है

कोरोना मरीजों में एरिथमिया की शिकायत देखने में आ रही है। साथ ही उनका खून गाढ़ा हो रहा है, जिससे हृदयघात व लंग्स में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को अब खून पतला करने की दवा भी देने लगे हैं।

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