MP : फिर सुर्खियों में आया TRS कॉलेज, एक और भ्रष्टाचार हुआ उजागर, छात्रों के करोड़ों रुपए फीस के बंदरबाट बाद मरम्मत के नाम पर पांच बार भुगतान

 
MP : फिर सुर्खियों में आया TRS कॉलेज, एक और भ्रष्टाचार हुआ उजागर, छात्रों के करोड़ों रुपए फीस के बंदरबाट बाद मरम्मत के नाम पर पांच बार भुगतान


रीवा। प्रदेश के सबसे बड़े कालेजों में शामिल टीआरएस कालेज इन दिनों भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में है। हाल ही में कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में पाया गया है कि करोड़ों रुपए छात्रों के फीस पर बंदरबाट की गई है। इसमें कोई एक नहीं बल्कि अलग-अलग समय पर रहे कई अन्य जिम्मेदारों ने मिलकर घपला किया है।

जांच दल ने अपनी रिपोर्ट कुछ दिन पहले ही कलेक्टर को सौंपी है। जिसमें कई खुलासे हुए हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक कालेज के भवनों की मरम्मत के नाम पर ऐसे फर्जीवाड़ा किया गया कि एक ही स्थान पर प्लास्टर कराए जाने के नाम पर पांच बार भुगतान किया।

बीते कुछ सालों के अंतराल में टीआरएस कालेज परिसर का विकास भी तेजी के साथ कराया गया। परिसर का कायाकल्प तो हुआ लेकिन उसके नाम पर भ्रष्टाचार भी व्यापक पैमाने पर किया गया। करोड़ों के इस भ्रष्टाचार पर अभी प्रशासन जिम्मेदारियां कर रहा है, संबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किए जा रहे हैं। कहा गया है कि जल्द ही बड़ी कार्रवाई होगी।

प्लास्टर के कार्य का ऐसा पकड़ा गया भुगतान
जांच दल ने टीआरएस कालेज के कैशबुक एवं अन्य दस्तावेजों का विस्तार से अध्ययन किया तो पाया गया है कि कालेज के एनवी भवन के पीछे प्लास्टर का कार्य कराया गया था। इसमें खेल यह किया गया कि एक ही दीवार की साइज हर बार बढ़ाई और घटाई जाती रही। यह भुगतान बीते साल के हैं। जिसमें 12 फरवरी 2019 को 3.53 लाख, 21 और 26 फरवरी को भी इतना-इतना ही भुगतान हुआ। 29 अप्रेल 2019 को 3.55 लाख रुपए और तीन मई 2019 को 3.81 लाख रुपए का भुगतान किया गया। बताया गया है कि एक ही दीवार में प्लास्टर कराने के नाम पर अलग-अलग बार कुल 17.96 लाख रुपए का भुगतान कर डाला।

कार्यों का सत्यापन भी मनमानी रूप से हुआ
कालेज द्वारा कार्यों का सत्यापन कराने के लिए समिति भी गठित की गई थी। समिति की ओर से कार्य पूरा होने का सत्यापन किया गया था। इसलिए सवाल उठाया गया है कि जब एक बार कार्य सत्यापित कराया जा चुका था तो दोबारा उसी कार्य को भुगतान अलग से क्यों कराया गया। ऐसा एक-दो नहीं बल्कि पांच बार किया गया है। इतना ही नहीं जांच दल ने यह भी आपत्ति उठाई है कि प्राचार्य एवं समिति सदस्यों के बीच जो पत्राचार भी बताए गए हैं उसमें कहीं भी पत्र क्रमांक एवं आवक-जावक का उल्लेख नहीं है, सामान्य कागज में एक-दूसरे को सूचना प्रेषित की गई है।

संभागायुक्त इन लोगों को जारी कर चुके हैं नोटिस
कालेज में भत्तों के नाम पर भी बड़े पैमाने पर विसंगतियां सामने आई हैं। कुछ दिन पहले ही संभागायुक्त ने रिपोर्ट की अनुशंसा पर तीन पूर्व प्राचार्यों के साथ ही कुल 15 शिक्षकों और कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ. सत्येन्द्र शर्मा को 14.99 लाख, डॉ. एसयू खान 52.31 लाख, डॉ. रामलला शुक्ला 1.39 करोड़, डॉ. कल्पना अग्रवाल 34.19 लाख, डॉ. सुनील कुमार दुबे 26.93 लाख, डॉ. आरएन तिवारी 29.65 लाख, डॉ. संजय सिंह 30.26 लाख, डॉ. आरके धुर्वे 21.67 लाख, डॉ. आरपी चतुर्वेदी 11.27 लाख, डॉ. अजय शंकर पाण्डेय 10.11 लाख, डॉ. एसएन पाण्डेय 8.82 लाख, डॉ. अवध शुक्ला 6.25 लाख, डॉ. एचडी गुप्ता 3.32 लाख, डॉ. अभिलाषा गौतम 3.31 लाख, प्रियंका मिश्रा श्रमिक- 2.57 लाख, प्रभात प्रजापति श्रमिक 1.04 लाख, रामप्रकाश चतुर्वेदी भृत्य 2.95 लाख रुपए भत्ता लेने के चलते सवालों के घेरे में हैं। इनमें सत्येन्द्र शर्मा एवं एसयू खान तत्कालीन प्राचार्य रहे हैं, दोनों सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। जानकारी मिली है कि कई लोगों ने नोटिस का जवाब भी प्रस्तुत कर दिया है।

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