MP : भोपाल कलेक्टर, कमिश्नर और डीआईजी को बीती रात तलब कर मुख्यमंत्री ने ही लिखी थी विधायक मसूद पर ‘एक्शन’ की पटकथा

 

MP : भोपाल कलेक्टर, कमिश्नर और डीआईजी को बीती रात तलब कर मुख्यमंत्री ने ही लिखी थी विधायक मसूद पर ‘एक्शन’ की पटकथा

भोपाल की मध्य सीट के विधायक आरिफ मसूद उसी दिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की नजर में चढ़ गए थे, जब उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर भोपाल में भारी भीड़ जमा कर ली थी। गुरुवार सुबह उनके खानूगांव के बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में बने इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज पर कार्रवाई को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, इसकी पटकथा मुख्यमंत्री चौहान ने खुद लिखी थी। इसके लिए उन्होंने बुधवार रात को ही भोपाल कलेक्टर, कमिश्नर और डीआईजी को तलब कर लिया था।

ऐसे हुई तैयारी

पहले पूरा नक्शा तैयार किया, जिसमें कोर्ट में लंबित बिल्डिंग के मामले के अतिरिक्त बनाए गए अतिक्रमण को चिन्हित किया गया था। सुबह करीब 6 बजे पुलिस और प्रशासन पुलिस कंट्रोल रूम में जमा हुआ। सुबह तक चुनिंदा अधिकारियों के अलावा किसी को नहीं पता था कि कार्रवाई कहां की जानी है। पूरी प्लानिंग के साथ शहर में 450 का पुलिस बल लगाया गया। इसके लिए 26 पॉइंट बनाए गए थे।

इसमें से करीब 200 पुलिसकर्मी कॉलेज में अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान नगर निगम प्रशासन के साथ था, जबकि कलेक्टर और डीआईजी कंट्रोल रूम से इस पूरी कार्रवाई पर नियंत्रण और निगरानी रखे रहे। यह पूरी कार्रवाई सुबह 9.30 बजे से दोपहर 12.45 बजे तक की गई। इधर, मसूद ने इस पूरी कार्रवाई को दोषपूर्ण बताते हुए प्रशासन और सरकार पर बिना सूचना कार्रवाई किए जाने के आरोप लगाए हैं।

उन्होंने अपने समर्थकों से किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं करने की अपील की है। एक अनुमान के अनुसार मसूद के समान ही करीब 15 साल पुराने 40 से अधिक और निर्माण इस इलाके में बताएं जाते हैं। हालांकि जिला प्रशासन और नगर निगम इसको लेकर अब कुछ बोलने को तैयार नहीं।

निगम का कहना 15 दिन पहले दिया था नोटिस

नगर निगम परमिशन शाखा के असिस्टेंट इंजीनियर एके साहनी ने बताया कि मसूद को करीब 15 दिन पहले कॉलेज परिसर में अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस दिया था। यह नोटिस धारा 307 के तहत दिया जाता है। इसमें तीन दिन के अंदर खुद ही अतिक्रमण हटाने के निर्देश होते हैं। मसूद ने 15 दिन बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया है। इसलिए गुरुवार सुबह नियम अनुसार कार्रवाई की गई।

यह कॉलेज 1999 में बना था

जानकारी के अनुसार 1999 में मध्यप्रदेश शासन ने अमन एजुकेशन सोसाइटी के नाम पर खानूगांव में बड़े तालाब के एप्रोच इलाके में इस एरिया को लीज पर दिया गया था। समिति ने यहां पर कॉलेज और ऑफिस की बिल्डिंग बनाने के लिए नगर निगम में अनुमति के लिए आवेदन किया था।

एक महीने बाद भी परमिशन नहीं मिलने के चलते समिति डिस्ट्रिक्ट कोर्ट चली गई, जहां दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट ने आदेश दिया कि अनुमति संबंधी लगाए गए कॉलेज के स्ट्रक्चर को किसी तरह से नगर निगम कार्रवाई नहीं करेगा। कोर्ट ने स्टे दे दिया। यह 2005 का मामला रहा। इसके बाद नगर निगम इस आदेश को लेकर हाईकोर्ट चला गया।

उसने अपनी तरफ से दायर याचिका में कहा कि हमने इस संबंध में मसूद को कई बार नोटिस भेजे थे, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इसलिए उनकी बिल्डिंग परमिशन रद्द की जाए। असिस्टेंट इंजीनियर एके साहनी ने बताया कि मामला कोर्ट में फाइनल सुनवाई में है। जल्दी इस संबंध में फैसला आ जाएगा।

कार्रवाई पर उठे सवाल

यह पूरी कार्रवाई नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने किया। आमतौर पर नगर निगम दोपहर 12 बजे के बाद कार्रवाई करता है, लेकिन यह कार्रवाई सुबह 6 बजे की गई। सबसे बड़ी बात थी कि अस्थाई स्ट्रक्चर को ही तोड़ा गया। इसके अलावा सिर्फ 600 स्क्वायर फीट पक्के निमार्ण को तोड़ा गया। इसमें भी सीढ़ियां और बाथरूम आदि बने हुए थे।

सबसे बड़ी बात कि नगर निगम की जेसीबी मशीनें एक बार जा चुकी थी, लेकिन दोबारा उन्हें बुलाया गया। इस बार वे मलबे को साइड में करने के लिए निगम द्वारा लगाई गईं। सबसे बड़ी बात कि अतिक्रमण की साइड से नगर निगम सामान को जब्त करता है, लेकिन यहां पर यह कार्रवाई भी नहीं की गई।

छह अतिक्रमण पर कार्रवाई की

बताया जाता है बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में मसूद का कॉलेज आता है। यह फुल टैंक लेवल के 50 मीटर के दायरे में है। कॉलेज परिसर में करीब 12 हजार वर्ग फीट में निर्माण है। नगर निगम में जो कार्यवाही की वह एक गेम जोन, बिल्डिंग से लगा पक्का निर्माण, परिसर के बाहर पार्किंग के लिए बनाया गया अस्थायी शेड और अंदर तीन अन्य अस्थायी निमार्ण गिराए। यहां से कोई भी सामान जब्त नहीं किया, इतना नहीं कॉलेज प्रबंधन के कहने पर मलबे को भी हटाया गया, जबकि नगर निगम मलवा नहीं हटाता है।

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