REWA : विंध्य क्षेत्र में सर्द हवाओं के चलते बढ़ी ठिठुरन भरी ठंड, जानें क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी

 
REWA : विंध्य क्षेत्र में सर्द हवाओं के चलते बढ़ी ठिठुरन भरी ठंड, जानें क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी

रीवा. पहाड़ों पर हो रही वर्षा और बर्फबारी के चलते समूचे उत्तर भारत को ठिठुरन वाली ठंड के आगोश में ले लिया है। गर्म कपड़े तो निकल ही गए हैं, साथ-साथ अलवा की जरूरत महसूस होने लगी है। दिन में भले ही धूप निकल रही हो पर रात के तापमान में हो रही गिरावट ने सामान्य जन के जीवन को कष्टमय बना दिया है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो अभी 28 नवंबर तक ऐसे ही हालात रहेंगे।

रविवार की रात से शुरू ठंड का कहर लगातार जारी है। दिन में नकली धूप में भी तल्खी नहीं रही। वहीं रात में तो ठिठुरन वाली हालत पैदा हो जा रही है। बीते 48 घंटे के अंतराल में मौसम में आए बदलाव के बाद ठंड ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। दरअसल पहाड़ों पर हो रही बारिश व बर्फबारी ने समूचे उत्तर भारत को ठंड में जकड़ दिया है। मौसम विज्ञानियों की माने तो आने वाले समय में ठंड का असर और बढ़ेगा तथा सुबह के समय कोहरे का भी असर देखा जाएगा। उनका कहना है किजम्मू काश्मीर, हिमांचल प्रदेश व अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ तेज सर्द हवाएं चलने का असर उत्तर पूर्वी भारत पर पड़ रहा है।

ठिठुरन भरी ठंड से बचने के लिए खुले आसमान के नीचे रहने वाले किसान, मजदूर तबके का एक मात्र सहारा अब अलाव ही है। शहर के सॉई मंदिर, कोठी कम्पाउण्ड स्थित शिव मंदिर के आसपास रहने वाले तथा बस स्टैंड और अस्पतालों में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले लोगों के लिए ठिठुरन भरी ठंड भारी मुसीबत का सबब बनने लगी है। नतीजतन लोग खुद ही लकड़ी या अन्य जरावन तलाश कर ठंड से बचने के लिए वे अलाव का सहारा लेने लगे हैं।

नगर निगम प्रशासन की ओर से अभी तक कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है जिसके चलते खुले आसमान के नीचे रहने वाले स्थानीय लोग कागज, कचरा तथा अपने जुगाड़ से लकड़ी एकत्रित करके अलाव जलाने के साथ ही ठंड से बचने का जुगाड़ कर रहे हैं।

उधर बढ़ती ठंड ने गर्म कपड़ा व्यवसायियों के चेहरों पर खुशी ला दी है। उन्हें उम्मीद हो गई है कि अब उनका कारोबार चल निकलेगा। दरअसल अभी तक तल्ख धूप व गर्मी के चलते गर्म कपड़ों की ओर कोई देख भी नहीं रहा था। लेकिन पिछले 48 घंटों में जिस तरह से मौसम ने करवट ली है, व्यापारियों की बाछें खिल गई हैं।

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