REWA : शेल्टर होम खाली, बेसहारा लोग मंदिरों के बाहर झोपड़ी में कर रहे बसेरा

 
REWA : शेल्टर होम खाली, बेसहारा लोग मंदिरों के बाहर झोपड़ी में कर रहे बसेरा

रीवा। शहर में रह रहे बेसहारा लोगों को आश्रय देने के लिए बनाए गए शेल्टर होम खाली हैं और जिनके लिए इन्हें बनाया गया है वह मंदिरों के बाहर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। अब ठंड के दिनों में इनकी देखरेख अधिक करने की जरूरत होती है, इसके बाजवूद वह अपना स्थान छोडऩे को तैयार नहीं हैं।

ऐसे में इनके बीमार होने का खतरा भी इस समय बढऩे लगा है। प्रशासनिक व्यवस्था के बावजूद उसका लाभ ये नहीं उठा पा रहे हैं। इसके पहले भी ठंड के दिनों में ऐसे ही मंदिरों के बाहर दिन-रात ये रहते रहे हैं। पूर्व में ठंड की वजह से इनकी मौतें भी होती रही हैं.

प्रशासन ने नगर निगम और रेडक्रास द्वारा बनाए गए आश्रय स्थलों में इन्हें रखने का प्रयास किया था लेकिन नहीं गए। हाल ही में सेंधवा से महिला भिखारी की एक तस्वीर ऐसी आई जिसने शेल्टर होम की व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल उठाया है। शेल्टर होम तो शासन ने बनवा दिए हैं लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा है। रीवा में नगर निगम की टीमें मंदिरों के पास भिक्षा मांगने वाले लोगों को आश्रय स्थलों में ठहरने के लिए ले जाने के लिए आए दिन पहुंचती है लेकिन ये जाने को तैयार नहीं होते।

मंदिर परिसर में भोजन और कपड़े मिलते हैं
शहर के कोठी कंपाउंड परिसर में साईं मंदिर और शिवमंदिर में करीब आधा सैकड़ा की संख्या में बेसहारा लोग भिक्षा मांग कर अपना जीवकोपार्जन कर रहे हैं। साईंमंदिर के पास बैठी गीता केवट निवासी टीकर, लक्ष्मी बंसल गुढ़ चौराहा, गुडिय़ा बुनकर चिकान मोहल्ला, रामलाल निवासी गढ़ी, संतोष साकेत आदि बताते हैं कि उनके जीवकोपार्जन के लिए कोई दूसरा इंतजाम नहीं है। अब वृद्ध होने के बाद वह कोई काम भी नहीं कर सकते, इसलिए मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालु भोजन और कपड़ों की व्यवस्था कर देते हैं। भंडारा होता है तो भरपेट भोजन मिलता है। साथ ही कुछ पैसे भी मिल जाते हैं। इनका कहना है कि मंदिर परिसर से अपना स्थान छोड़ देंगे तो कोई दूसरा आ जाएगा और उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलेगी, इसलिए वह मंदिर परिसर से दूर नहीं जाना चाहते।

अलाव की अभी तक व्यवस्था नहीं
साईंमंदिर और शिवमंदिर कोठी में बैठे बेसहारा लोगों ने बताया कि नगर निगम द्वारा पूर्व के वर्षों में अलाव के लिए लकड़ी के साथ ही कंबल की व्यवस्था की जाती थी। लेकिन इस साल अब तक अलाव के लिए लकड़ी नहीं दी गई है। कुछ जगह आग लगी होने पर इनका कहना है कि यह श्रद्धालुओं की ओर से व्यवस्था दी गई है।

शहर के तीन स्थानों पर शेल्टर होम की है व्यवस्था
बुजुर्गों और बेसहारा लोगों को ठहरने के लिए शहर में तीन स्थानों पर शेल्टर होम संचालित हैं। जिसमें रेडक्रास सोसायटी द्वारा स्वागत भवन में 25 लोगों को ठहरने की आवासीय व्यवस्था है। यहां पर भोजन एवं आवास व्यवस्था नि:शुल्क है। वर्तमान में 21 लोग रह रहे हैं। कुछ ऐसे लोग जिनका परिवार दूर रहता है और वह आर्थिक रूप से सक्षम हैं, उनसे कुछ शुल्क भी लिए जा रहे हैं। यहां पर भोजन के साथ मनोरंजन की भी व्यवस्था है। वहीं नगर निगम द्वारा अस्पताल चौराहे में अटल आश्रयगृह है जहां पर 20 पुरुषों और 10 महिलाओं के लिए व्यवस्था है। दीनदयाल आश्रय स्थल पर एक हाल पर ही 30 लोगों के ठहरने का इंतजाम किया गया है। इस तरह से शहर में कुल 85 लोगों को ठहरने के लिए आश्रय स्थल संचालित किए जा रहे हैं। 

गरीबों और बेसहारा बुजुर्गों के लिए 25 बेड का वृद्धाश्रम रेडक्रास द्वारा नि:शुल्क संचालित किया जा रहा है। हम उन लोगों को भी सेवा देते हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं लेकिन घर में देखभाल की व्यवस्था नहीं है। वृद्धाश्रम में ऐसे लोग हैं। वृद्धाश्रम के विस्तार का प्रस्ताव भी प्रशासन को दिया गया है।
डॉ. प्रभाकर चतुर्वेदी, प्रभारी अधिकारी वृद्धाश्रम

शहर के रैन बसेरों को आश्रय स्थल के रूप में विकसित किया गया है। 30-30 बेड के दो आश्रय स्थल हैं, जहां पर लोगों को नि:शुल्क ठहरने की व्यवस्था दी गई है। ठंड के दिनों में रजाई के भी इंतजाम हैं। जिनके पास आवास की व्यवस्था नहीं है उन्हें आश्रय स्थल के बारे में जानकारी भी दी जा रही है।

कृष्ण पटेल, सिटी मैनेजर एनयूएलएम

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