REWA : विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गांधी अस्पताल में हर माह 50 मासूमों की हो रही मौत, 256 नवजात शिशु भी शामिल

 
REWA : विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गांधी अस्पताल में हर माह 50 मासूमों की हो रही मौत, 256 नवजात शिशु भी शामिल

रीवा. विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गांधी अस्पताल परिसर में स्थित गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल (जीएमएच) में कोरोना काल के दौरान 254 नवजात शिशुओं ने दमतोड़ रहे हैं। जबकि यहां पंर बच्चा वार्ड में 12 साल के 152 बच्चों की भी आठ माह में मौत हो गई। कोरोना काल में अप्रैल से नवंबर के बीच हर माह औसत 50 मासूमों की मौत हो रही है। दो हजार से अधिक नवजात शिशुओं को एसएनसीयू (नवजात गहन शिशु गहन चिकित्सा इकाई) में भर्ती कराया गया। इस दौरान नवजात शिशुओं के मौत का आंकड़ा डेढ़ गुना हो गया। 

कोरोना काल में कम हो गई बच्चों की संख्या 
श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय से सबद्ध जीएमएच में दो एसएनसीयू हैं। कोरोना काल में नवजात शिशुओं की संख्या कम हो गई है। जबकि सामान्य दिनों में 100 से अधिक नवाजात एसएनसीयू में भर्ती हो रहे थे। कोरोना काल में सामन्य दिनों की अपेक्षा आस-पास जिले से रेफर होकर आने वालों की संख्या कम हो गई है। जीएमएच रेकार्ड के अनुसार कोरोना काल में अप्रैल से नवंबर तक एसएनसीयू में 2078 नवजात भर्ती हुए। जिसमें इलाज के दौरान 256 नवजात शिशुओं ने दमतोड़ दिए। इसी तरह बच्चा वार्ड में भर्ती किए गए 12 साल तक के बच्चे कोरोना काल में दो हजार भर्ती हुए। जिसमें 152 ने दमतोड़ दिए। वर्तमान समय में आधा दर्जन से अधिक नवजात शिशुओं की स्थित गंभीर बनी हुई है।

एसएनसीयू-बच्चा वार्ड में 406 की मौत 
अस्पताल रेकार्ड के मुताबिक एसएनसीयू और बच्चा वार्ड को मिलाकर करीब चार हजार भर्ती हुए। जिसमें दोनों को मिलाकर 406 मासूम काल के गाल में समा गए। यदि मौत के आंकड़े पर नजर डाले तो कोरोना काल में हर माह करीब 10 बच्चों की मौत हो रही है। जिसमें नवाज शिशुओं की संख्या अधिक है।

इस वजह से हो रही मौत 
चिकित्सक नवजात शिशुओं के मौत की वजह शिशुओं का वजन कम होना, जन्म से रोना नहीं। जन्म के समय इंफेक्शन अधिक होना बता रहे हैं। इसके अलावा जन्म के बाद पीलिया सहित कई अन्य बीमारियों के चपेट में आ रहे। चिकित्सकों की रिपोर्ट के अनुसार सतना जिले से सबसे अधिक नवजात रेफर होकर आ रहे हैं। ज्यादातर नवजात की हालत गंभीर रहती है। कई बार रास्ते में ही नवजात दमतोड़ देते हैं। एसजीएमएच में सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल आदि कई जिले से रेफर होकर आ रहे हैं।

जिला अस्पताल से रेफर होकर जीएमएच आए 48 नवजात शिशु 
कोरोना काल के दौरान जिला अस्पताल से 48 नवजात शिशु रेफर होकर जीएमएच में आए हैं। जबकि जिला अस्प्ताल में अप्रैल से नवंबर तक 384 बच्चे भर्ती हुए। जिसमें 7 की मौत हो चुकी है। सिविल सर्जन डॉ केपी गुप्ता का दावा है कि बीते दो माह एक भी नवाजात की मौत नहीं हुई है। वर्तमान समय में दस नवाजात का इलाज चल रहा है। 

वर्जन...
कोरोना काल में सामान्य दिनों की अपेक्षा बच्चों के मौत का आंकड़ा डेढ़ गुना बढ़ गया। कई बार आस-पास जिले से रेफर होकर आने वाले नवजात की स्थिति ठीक नहीं रहती। कोरोना के दौरान शिशुओं को प्रारंभिक बीमारी में अस्पताल आने से कतराते हैं। गंभीर स्थिति पर आने में दिक्कत बढ़ जाती है। 

डॉ नरेश बजाज, विभागाध्यक्ष, शिशु एवं बाल्य रोग विभाग

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