कांग्रेस के सबसे सीनियर नेताओं में एक मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में निधन : कांग्रेस के तमाम नेताओं ने प्रकट किया अपना दुख
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया. खराब सेहत की वजह से मोतीलाल वोरा का दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. बता दें कि कल ही उनका जन्मदिन भी था.
बताया जा रहा है कि मोतीलाल वोरा को दो दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इससे पहले वो कोविड-19 से भी संक्रमित हुए थे. उस वक्त उनका इलाज एम्स, दिल्ली में किया गया था. इलाज के बाद वो ठीक हो गए थे और अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके थे.
उनके निधन पर कांग्रेस के तमाम नेताओं ने अपना दुख प्रकट किया है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, "वोरा जी एक सच्चे कांग्रेसी और अद्भुत इंसान थे. हम उन्हें बहुत मिस करेंगे. उनके परिवार और दोस्तों को मेरा प्यार और संवेदनाएं."
93 साल के मोतीलाल वोरा अपने आखिरी दस सालों में भी एक्टिव रहे. वोरा साहब को लोग प्यार से दद्दू भी बुलाते थे और उनके बारे में मशहूर था कि बतौर कोषाध्यक्ष वे पार्टी की पाई-पाई का हिसाब रखा रखते थे और एक पैसा भी आप फिजूल खर्च नहीं करा सकते थे. वोरा खुद एक पत्रकार रह चुके थे और कई अखबारों में उन्होंने अपनी पारी निभाई. यही वजह है कि वे पत्रकारों के बीच बेहद लोकप्रिय थे. हालांकि उन्हें पत्रकारों की गुगली से बचना खूब आता था और कभी भी किसी विवाद में नहीं पड़े.Vora ji was a true congressman and a wonderful human being. We will miss him very much.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 21, 2020
My love & condolences to his family and friends. pic.twitter.com/MvBBGGJV27
पार्टी के हेड क्वार्टर में कोई रहे ना रहे मोतीलाल वोरा दस्तूर के तौर पर हर दिन पार्टी दफ्तर में जरूर आते थे. 24 अकबर रोड पर कोई भी मददगार या कार्यकर्ता आता था तो मोतीलाल वोरा से आसानी से मुलाकात कर सकता था. मोतीलाल वोरा ने लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी के संगठन में काम किया. वह गांधी परिवार के वफादार माने जाते थे. 26 जनवरी हो या पार्टी का कोई और कार्यक्रम मोतीलाल वोरा हमेशा सोनिया गांधी के दाएं-बाएं नजर आते थे.
उन्होंने एक लंबी सियासी पारी खेली. जनवरी 1989 से दिसंबर तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. मोतीलाल इसके अलावा केंद्र सरकार में भी बतौर कैबिनेट मंत्री के पद पर आसीन रहे. 1993 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के गवर्नर के तौर पर जिम्मेदारी संभाली थी और 3 साल तक वहां राज्यपाल रहे.
मोतीलाल वोरा लंबे समय तक कांग्रेस में कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते रहे थे. लेकिन साल 2018 में बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने मोतीलाल वोरा से कोषाध्याक्ष की जिम्मेदारी लेकर अहमद पटेल को दे दी थी.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद जब पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया था तो उसके बाद मोतीलाल वोरा के भी अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने की काफी चर्चा हुई थी. हालांकि अंत में उस पद की जिम्मेदारी सोनिया गांधी को दी गई.