MP : ये कैसा सरकारी अस्पताल? मासूमों को जिंदगी के बदले मिल रही मौत, 17 दिन में 23 माँ की गोद हुई सुनी

 

MP : ये कैसा सरकारी अस्पताल? मासूमों को जिंदगी के बदले मिल रही मौत, 17 दिन में 23 माँ की गोद हुई सुनी

भोपाल। मध्यप्रदेश के शहडोल में आज फिर दो और माताओं की गोद सुनी हो गई। एक ने अपने 3 महीने के तो दूसरे ने 4 माह की बच्ची को खो दिया। दोनों के मौत के पीछे की वजह सर्दी और बुखार बताया गया। हालत बिगड़ने पर परिजनों ने यहां जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टर दोनों को बचा नहीं पाए। एक बार फिर डॉक्टर मौत के आगे बेबस होकर घुटने टेक दिए। नवजातों की मौत से अस्पताल में फिर मातम पसर गया। बता दें कि बीते 17 दिनों में अस्पताल में मौत की चीखें सुनाई दे रही है। इन 17 दिनों में 23 माताओं की गोद सुनी हो गई, जो सरकार के बेहतर स्वास्थ्य के दावों की पोल खोलकर रख दी है। ये तो सिर्फ कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल का मामला है। सतना जिले में भी जिला अस्पताल में 9 शिशुओं की मौत का मामला सामने आया है, लेकिन इन मौतों पर अब तक जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।

23 मौतों का जिम्मेदार कौन

मध्यप्रदेश के शहडोल के जिला अस्पताल में एक के बाद एक हो रहे मासूम बच्चों के मौत के मामले में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर लगातार हो रही मासूमों के मौत के बाद भी जिम्मेदार लोग क्या कर रहे हैं, क्या जिला अस्पताल में कोई व्यवस्थाएं नहीं। हालत गंभीर थी तो रेफर क्यों नहीं किया गया। क्या इलाके में कोई बीमारी फैल रही है। ऐसे कई सवाल हैं जो बढ़ते मौत के आंकड़ों को लेकर खड़े हो रहे हैं। वहीं सरकार इन मौतों का जिम्मेदार कौन होगा। बता दें कि बीते 17 दिनों में 23 मासूमों की मौत हो गई है। अफसोस मंत्री के निरीक्षण और मुख्यमंत्री के जांच के आदेश के बाद भी ये मौत थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

मंत्री आए, मुख्यमंत्री दिए जांच के आदेश, लेकिन नहीं थम रहीं मौत

आखिर ये कैसा सरकारी अस्पताल है जहां मासूमों को जिंदगी नहीं, मौत नसीब हो रही है। ऐसा लग रहा है मानो अस्पताल में मौत तांडव कर रही है और एक-एक कर मासूमों की जान ले रही हैं। मौत की वजह जानने स्वास्थ्य मंत्री प्रमुराम चौधरी अस्पताल पहुंचे थे। उनके निरीक्षण के दौरान कई खामियां भी उजागर हुई। मौत के आंकड़ों को छुपाया गया था। इसके बाद भी अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन अफसोस मामले में सिर्फ खानापूर्ति होती दिख रही है। अभी तक जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। हालांकि स्वास्थ्य अमला अब गांवों में जाकर बीमारी का पता लगाने की कोशिश कर रही है। बावजूद मासूमों की मौत थम नहीं रही हैं।

इधर सतना में भी यही हाल

17 दिनों में 23 मौत का मामला तो शहडोल जिले में सामने आया है। आपको ये जानकार बेहद हैरानी होगा कि प्रदेश में एक नहीं बल्कि अब दो ऐसे जिला अस्पताल हो गए हैं जहां मासूमों को जिंदगी नहीं मौत नसीब हो रही हैं। दरअसल प्रदेश के सतना जिला अस्पताल में भी 11 दिन में नौ नवजातों की मौत हो गई। बड़ी बात यह है कि अब तक कोई भी बड़ा अधिकारी सामने नहीं आया है। इस बात की जानकारी लगने पर आनन-फानन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बैठक बुलाई और जांच शुरू की। शुरुआती जांच में पता चला कि जिन नवजातों की मौत 11 दिन में हुई है उनकी ऑडिट रिपोर्ट ही तैयार नहीं हुई है। मीडिया तक मामला पहुंचने के बाद अब आनन-फानन में ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य अधिकारियों को दी गई है। सभी नवजातों की उम्र एक माह से कम की है। नौ बच्चों में चार बच्चे इन बार्न व पांच आउट बार्न में भर्ती थे।

ऐसे बढ़ता गया मौत का आंकड़ा

29 नवंबर को सबसे पहले 5 बच्चों की मौत का मामला सामने आया। जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज ने मामले में आपात बैठक बुलाई।

30 नवंबर को फिर एक और बच्चे की उपचार के दौरान मौत हो गई। इसे लेकर सीएमएचओ ने कहा कि निमोनियो के चलते बच्चों की मौत हो रही है।

1 दिसंबर को दो और मासूमों की मौत शहडोल जिला अस्पताल में हो गई।

4 दिसंबर को फिर 3 नवजातों की मौत अस्पताल में हो गई। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम के निरीक्षण में खुलासा हुआ कि अस्पताल में अब तक 13 नहीं बल्कि 18 मौत हो गई।

इसके बाद भी मौत थमा नहीं बीते सप्ताह ही अलग-अलग तारीख में 3 बच्चों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।14 तारीख को 2 बच्चों की मौत का मामला सामने आया। 14 तारीख से पहले भी 3 और बच्चों की मौत अस्पताल में हो गई।

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