गर्भधारण से बचने के वे 7 तरीके, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे..

 
गर्भधारण से बचने के वे 7 तरीके, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे..


गर्भ निरोध यानी बर्थ कंट्रोल के तरीकों को लेकर अक्सर महिलाएं दुविधा में रहती हैं. वैसे तो आजकल प्रेग्नेंसी को रोकने के कई तरीके हैं लेकिन इनके कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. गर्भ निरोध के कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.

इंजेक्शन- इस तरीके में प्रेग्नेंसी रोकने के लिए हर 3 महीने में प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन लगवाना पड़ता है. इसे लगवाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपको फिर कुछ भी याद रखने की जरूरत नहीं है. हालांकि, इंजेक्शन के जरिए बर्थ कंट्रोल के तरीके से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. स्टडीज से ये भी पता चला है कि 4 में से 1 महिला का वजन इंजेक्शन लेने के बाद बढ़ जाता है. इसे लेने के बाद सिर दर्द की भी शिकायत हो सकती है.

ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स- इसमें एक गोली हर दिन लेनी पड़ती है. ये गोली गर्भावस्था को रोकने के लिए प्रोजेस्टिन का इस्तेमाल करती है जिससे ओव्यूलेशन रुक जाता है. ये गोली कई किस्म की आती हैं. ये गोली लेने से ब्लीडिंग कम हो जाती है. इस गोली के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं जैसे कि वजन बढ़ना, मूड स्विंग्स या मुंहांसे आना.  कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेने से ब्लड क्लॉटिंग भी हो सकता है. जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर या माइग्रेन की शिकायत है, उन लोगों को ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स नहीं लेनी चाहिए.

कंडोम- कंडोम गर्भ निरोध का सबसे आम और सुरक्षित तरीका माना जाता है. पुरुषों के अलावा महिलाओं के लिए भी कंडोम आते हैं. ये अनचाहे गर्भ से बचाने के साथ-साथ यौन रोगों से भी बचाता है. हर बार एक नया कॉन्डम इस्तेमाल करना चाहिए. अगर इसे सही से इस्तेमाल किया जाए तो ये 98 फीसदी तक कारगर होता है. बहुत देर तक इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

इंट्रा यूट्राइन डिवाइस- इंट्रा यूट्राइन डिवाइस (IUDs) सबसे कामयाब गर्भनिरोधकों में से एक है. इसे कॉपर-टी या मल्टीनोड भी कहते हैं. बहुत कम महिलाएं बर्थ कंट्रोल के इस तरीके के बारे में जानती हैं. इसमें छोटे से आकार का एक डिवाइस महिलाओं के यूट्रस में फिट किया जाता है. इंट्रा यूट्राइन डिवाइस स्पर्म को गर्भाशय में प्रवेश करने से रोकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स इस डिवाइस को 99 फीसदी प्रभावी मानते हैं. ये 3 से 10 साल तक काम कर सकते हैं. इसे लगवाने के बाद रोज-रोज गोली खाने के झंझट से दूर रहा जा सकता है. 

ज्यादातर लोगों को लगता है कि आईयूडी लगवाने से पेल्विक में सूजन आ सकती है लेकिन ये गलत धारणा है. हालांकि इससे यौन संचारित संक्रमण बढ़ सकता है इसलिए इसे लगवाने से पहले टेस्ट जरूर करा लें. इससे कभी-कभार ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन ये समय के साथ ठीक हो जाता है.

इम्प्लान्ट्स- इम्प्लान्ट्स के जरिए बाजू के अंदर माचिस की तीली के आकार का एक पैच लगाया जाता है, जो प्रोजेस्टिन हार्मोन को बनाता है. ये हार्मोन महिलाओं में ओव्यूलेशन को रोकता है. इसे 98 फीसदी तक प्रभावी माना जाता है. ये तीन साल तक असरदार रहता है. ये पीरियड्स में होने वाले दर्द को भी कम करता है. हालांकि, इसे लगवाना IUD की तरह सुविधाजनक नहीं है. इसे लगवाने के बाद पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं. साथ ही कई महिलाओं को सिरदर्द और पाचन संबंधी दिक्कत हो सकती है.  

इमरजेंसी कॉन्ट्रासेपटिव पिल- इन्हें प्लान बी, इमरजेंसी पिल भी कहा जाता है. ये केवल इमरजेंसी के लिए हैं. अनसेफ सेक्स के बाद इसे तुरंत खा लेना चाहिए. इसे सेक्स के 72 घंटों के अंदर ही लेना होता है, उसके बाद ये असर नहीं करता. इसका बार-बार इस्तेमाल करने पर पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और पीरियड साइकल भी बिगड़ सकती है.

अन्य विकल्प- स्पर्म किलिंग क्रीम भी गर्भ निरोध का आसान तरीका है. इसे वजाइना के अंदर स्पॉन्ज के जरिए लगाया जाता है. इसे लगभग 71 फीसदी तक प्रभावी माना जाता है. डायाफ्राम को भी वजाइना के अंदर लगाया जाता है. सही तरीके से लगाने पर ये 92 से 96 फीसदी तक प्रभावी हो सकता है.   

(नोटः आप अपने डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद या अपनी मेडिकल हिस्ट्री के हिसाब से ही बर्थ कंट्रोल का विकल्प चुनें)

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