MP : इंदौर को आशा से आस बोली - जब बिना किट पहने और बिना पानी पिए 8 घंटे ड्यूटी की, तब डर नहीं लगा था, अब क्या लगेगा

 


MP : इंदौर को आशा से आस बोली - जब बिना किट पहने और बिना पानी पिए 8 घंटे ड्यूटी की, तब डर नहीं लगा था, अब क्या लगेगा

इंदौर। लंबे समय से सबके दिमाग में घूम रहे सवाल का जवाब शुक्रवार काे मिल गया। काेविड-19 का जिले में सबसे पहला टीका जिला अस्पताल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आशा पवार को लगेगा। उम्मीदाें के इस टीके के लगने की शुरुआत एक मां से होने जा रही है।

आशा के अलावा, एमवाय अस्पताल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विनोद शिंदे, संतोष सुखदेव, अशोक मेढ़ा और शिव शिंदे का भी नाम लिस्ट में है। वहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों में सीएमएचओ डॉ. पूर्णिमा गाडरिया, डॉ. अमित मालाकार, डॉ. तरुण गुप्ता और जिला विस्तार व माध्यम अधिकारी डॉ. मनीषा पंडित काे भी टीका लगना है। शनिवार सुबह पांच सेंटरों से इसकी शुरुआत होगी। 

आशा बोलीं - मैं टीका लगवाने के लिए तैयार
जिला अस्पताल में काम करने वाली आशा ने कहा कि टीका लगवाने के लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूं। मुझे कोई घबराहट नहीं है। कोरोना काल में हम तीन-चार सौ लोगों के बीच रहते हैं, इसलिए हमें इसे लगवाना जरूरी है। मुझसे पूछा गया कि क्या आपको टीका लगवाना है। मैंने तत्काल हां कह दिया। परिवार में बच्चे सहित सभी को जब बताया, तो वह भी बहुत खुश हो गए।

खुश हूं, मेरा नाम पहले टीके के लिए आया
एमवाय अस्पताल में रहने वाले अशोक मेढ़ा ने बताया, शुक्रवार सुबह 11 बजे सूचना मिली कि आपको पहला टीका लगना है। यह सुन अच्छा लगा कि मेरा चयन पहले टीके के लिए हुआ है। मैंने कोरोना के समय लंबे समय तक ड्यूटी की है। वहां के हालात को पास से देखा है। टीके लोगों को जरूर लगवाना चाहिए। घर पर बताया, तो उन्होंने कहा कि जरूर लगवाओ। इस बीमारी से बचने के लिए यह टीका तो सभी को लगवाना ही है। वैसे तो सुबह 8 बजे मुझे आने के लिए कहा है, लेकिन मैं सुबह 7 बजे ही पहुंच जाऊंगा।

एमवाय अस्पताल में कार्यरत संतोष का नाम भी लिस्ट में है।
                        एमवाय अस्पताल में कार्यरत संतोष का नाम भी लिस्ट में है।

किट पहनने के बाद वाॅशरूम तक जाने के बारे में सोचना होता था

एमवाय में कार्यरत संतोष सुखदेव ने बताया, सुबह 11 बजे कॉल आया था कि आपको शनिवार सुबह 8 बजे एमवाय अस्पताल पहुंचा है। आपका नाम पहले टीके में शामिल है। वैक्सीन तो अब आया, हमने तो कोराेना काल के शुरुआती दिनों में ही कोविड अस्पताल में ड्यूटी की है। हमने तो अपनी आंखों से सबकुछ देखा है। जब उस समय डर नहीं लगा, तो अब क्या डर। वैक्सीन लगाने से तो और ज्यादा हम सुरक्षित हो जाएंगे। उन्होंने बताया, एक बार किट पहनने के बाद वाॅशरूम जाने तक के बारे में सोचना होता था, क्योंकि किट पूरी उतारना होती थी। ग्लव्ज और मास्क तो हर समय हमें पहने ही रहना होता था। परिवार तो अस्पताल में पेशेंट को छोड़कर चला जाता था। ऐसे में पेशेंट को खाना देने से लेकर उनके अन्य काम हम ही करते थे। यहां तक कि वार्ड बाॅय को डायपर तक बदलना पड़ता था।

विनोद शिंदे बोले - खुश हूं, टीके के लिए मेरे नाम का चयन हुआ।
                   विनोद शिंदे बोले - खुश हूं, टीके के लिए मेरे नाम का चयन हुआ।

8 घंटे बिना पानी पिए ड्यूटी की तब डर नहीं लगा
एमवाय अस्पताल में कार्यरत विनोद शिंदे ने बताया, मुझसे पूछा गया कि क्या टीका लगवाना है क्या? मैंने तत्काल हामी भर दी। सुबह 11 बजे मुझे बताया गया है कि शनिवार सुबह 8 बजे टीका लगवाने आना है। परिवार को बताया, तो उन्होंने कहा कि लगवा लो। कोरोना काल में तो मैंने उस समय ड्यूटी की, जब सामान्य मास्क और और ग्लव्ज थे। न तो स्पेशल मास्क थे ना ही किट आई थी। उन्होंने बताया, कोराेना की ड्यूटी के दौरान बिना पानी पिए ड्यूटी की। कारण था कि ऐसे में चेहरे तक हाथ जाता और कोराेना फैलने का डर रहता। कोरोना मरीजों से हमारी ऐसी दोस्ती हो गई थी कि वे नाम से बुलाते थे। उनके खाने से लेकर पानी तक का ख्याल हम ही रखते थे।

शिव शिंदे बोले - सबको लगवाना चाहिए टीका।
                      शिव शिंदे बोले - सबको लगवाना चाहिए टीका।

पत्नी थोड़े टेंशन में आई, समझाया तो समझ गई
जिला अस्पताल में कार्यरत शिव शिंदे ने बताया, मेरे पास फोन आया था, उन्होंने पूछा कि पहला टीका लगना है, आप तैयार हो तो नाम लिख लें? इस पर मैंने कहा कि हां जरूर। कोरोना काल में मैंने चार से पांच महीने तक ड्यूटी की। शुरुआत में थोड़ा डर जरूर लगा, लेकिन बाद में फिर आदत सी हो गई। टीके को लेकर कोई भय नहीं है। पत्नी थोड़ी टेंशन में थी, लेकिन जब उसे समझाया, तो वह भी मान गई।

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