REWA : यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ : नागपुर, ग्वालियर और इंदौर से रीवा आने वाली बसों में सवारियो की सिर पर मंडरा रही 'मौत'

 

REWA : यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ : नागपुर, ग्वालियर और इंदौर से रीवा आने वाली बसों में सवारियो की सिर पर मंडरा रही 'मौत'

रीवा. जिले में नागपुर, ग्वालियर और इंदौर से रीवा आने वाली बसों के संचालक यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रदेश के बड़े शहरों से लेकर आस-पास के प्रदेश से रीवा आने वाली अधिकतर बसें मालवाहक बन गई हैं। सफर के दौरान मुसाफिरो के सिर पर सिर पर 'मौत' मंडराती रहती है। हैरानी की बात तो यह कि कई बार बसों की छत पर लगेज ओवरलोड लोड होने से बसें बेकाबू हो जाती हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी इस कदर है कि बस ऑपरेटर लगेज के नाम पर व्यापारियों पार्सल ढो रहे हैं। बस आपरेटर बेखौफ हाइवे पर नियम-कायदे की अनदेखी कर व्यापारियों का पार्सल ढो रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार तमाशबीन बने हैं।

बस आपरेटर लगेज के नाम पर ढो रहे पार्सल

जिला मुख्यालय उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती जिला है। यहां इंदौर, भोपाल, ग्वालियर सहित आस-पास के राज्यों सहित अन्य राज्यों से आने-जाने वाली ज्यादातर यात्री बसें लगेज के नाम पर व्यापारियों का पार्सल ढो रहीं हैं। नागपुर से रीवा आने वाली बसों में लोहा, मोटर पाट्र्स, फल और कपडों का बंडल, किराना आदि का पार्सल आता हैं। सोमवार सुबह 7.20 बजे कलेक्टर कार्यालय के सामने बस नंबर (एमपी 35 पी-0273) की छत से टायर के बंडल, मोटर पार्ट, स्टील की रिंग, कपड़े का बंडल अनलोड किया गया। इस बस पर ग्वालियर से आया कुछ पार्सल सिंगरौली की बस नंबर (एमपी-17पी-1287) में शिफ्ट कर दिया गया। ये कहानी अकेले एक बस या एक दिन की नहीं बल्कि हर रोज की है।

प्रयागराज, बनारस से आ रही बसें भी बनी मालवाह

नए और पुराने बसे स्टैंड को मिलाकर रीवा से पड़ोसी राज्यों को चलने वाली 150 से ज्यादा बसें हैं। जिसमें 60 बसों को रीवा आरटीओ कार्यालय से परमिट जारी किया गया है। शेष संबंधित राज्यों से बसें परमिट लेकर यात्रियों के सिर पर बसों की छत पर व्यापारियों का पार्सल ढो रही हैं। यात्रा के दौरान हर समय यात्री इस बात तो लेकर परेशान रहता है कि बसें सही सलामत गन्तव्य तक पहुंंच पाएंगी या नहीं। प्रयागराज से रीवा चलने वाली ज्यादातर बसें मोर्टर पार्टस, छोटे-छोटे सिलेंडर, किराना और सब्जी आदि वस्तुओं का बंडल ढो रही हैं। इसी तरह बनारस, मिर्जापुर से चलने वाली ज्यादाबर बसें मालवाहक बनी हैं। शहडोल, अनूपुर की बसें भी प्रयागराज आने-जाने में नियम-कायदे की अनदेखी कर पार्सल ढो रही हैं।

ट्रांसपोर्ट से सस्ता पड़ता है बसों पर पार्सल

कलेक्ट्रेट के सामने बने यात्री शेड के पास बस की छत से पार्सल अनलोड करने के दौरान कुछ कारोबारी सामान लेने के लिए पहुंचे थे। पूछने पर बताया कि ट्रांसपोर्ट की अपेक्षा बस पर पार्सल के नाम पर किराया सस्ता पड़ता है।

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