MP : अपनी ही बेटी से दुष्कर्म : जज ने मनुस्मृति का श्लोक पढ़ पिता को सुनाई उम्रकैद की सजा

 

MP : अपनी ही बेटी से दुष्कर्म : जज ने मनुस्मृति का श्लोक पढ़ पिता को सुनाई उम्रकैद की सजा

अपनी ही बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। बुधवार को उज्जैन में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) डॉ. आरती शुक्ला पांडेय ने फैसले से पहले मनुस्मृति का श्लोक पढ़ा। उसका हिन्दी अनुवाद भी सुनाया। फिर दुष्कर्मी पिता के लिए सजा मुकर्रर कर दी। 2,500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अभियोजन ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस करार देते हुए अदालत से मृत्युदंड की सजा देने की अपील की थी।

उप संचालक अभियोजन डॉ साकेत व्यास ने बताया कि 6 अप्रैल 2019 को 5वीं में पढ़ने वाली 11 साल की बच्ची ने चिमनगंज मंडी थाने में अपने ही पिता के खिलाफ एक साल से दुष्कर्म करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि पिता पेशे से ड्राइवर हैं। बीच-बीच में बाहर जाते रहते हैं। एक साल पहले जब वह कमरे में बैठी थी तो पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके बाद पांच-छह महीने में कई बार गंदी हरकत कर चुके हैं। पिता ने धमकी दी कि किसी से बताया तो जान से मार डालूंगा। डर के मारे इस बात को अपनी मां से भी नहीं बताई। एक दिन पेट में तकलीफ हुई तो मां को पिता की हरकत के बारे में बताया।

मां के साथ थाने पहुंचकर दर्ज कराई रिपोर्ट

पति की इस घिनौनी हरकत को सुनने के बाद पत्नी अपनी बेटी को लेकर खुद ही चिमनगंज मंडी थाने पहुंच गई। वहां पर आरोपी पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2) (एफ) (एन), 376(एबी), 5/6 पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कराया।

फैसले से पहले मनुस्मृति का यह श्लोक सुनाया

पिताचार्य: सुह्न्माताभार्यापुत्र: पुरोहित:।

नादण्डयोनामरोज्ञास्ति य: स्वधर्मे न तिष्ठति।।

अर्थात, जो भी अपराध करे, वह अवश्य दंडनीय है। चाहे वह पिता, माता, गुरु पत्नी, मित्र या पुरोहित ही क्यों न हो?

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