REWA : शहर में अतिक्रमणकरियों की भरमार, रसूखदारों के अतिक्रमण के बारे में पढ़िए ये खास रिपोर्ट

 
REWA : शहर में अतिक्रमणकरियों की भरमार, रसूखदारों के अतिक्रमण के बारे में पढ़िए ये खास रिपोर्ट

  • "निगम प्रशासन का दोहरा रवैया आया सामने एक ओर अवैध बिल्डिंग गिराई जा रही है वहीं दूसरी ओर अतिक्रमणकरियों को दिया जा रहा संरक्षण"

रीवा। शहर में सरकारी भूमि को टारगेट में लेकर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है। कई जगह बाधा उत्पन्न होने लगी है जिसकी वजह से अब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रारंभ की गई है। शहर के कई हिस्सों में एक साथ बड़े अतिक्रमण को तोडऩे की शुरुआत की गई है। साथ ही अन्य अतिक्रमणकारियों को भी नोटिस देकर सूचित किया गया है कि वह अपना कब्जा हटे लें अन्यथा तोडऩे की कार्रवाई होगी।

अतिक्रमण की कार्यवाही पर एक नज़र 

शहर के दो प्रमुख स्थानों पर किए गए अतिक्रमण को तोड़ा गया है। जिसमें द्वारिका नगर में सड़क की भूमि पर मकान बनाया जा रहा था तो वहीं ताला हाउस के पास नाले को पाटकर बहुमंजिला बिल्डिंग खड़ी कर दी गई है। जिला प्रशासन एवं नगर निगम के संयुक्त अभियान के तहत दोनों स्थानों पर टीमें भेजी गई थी।

शहर के वार्ड 24 द्वारिका नगर में संतोष सोनी नाम के व्यक्ति द्वारा शासकीय रास्ते में अतिक्रमण किया गया था। नगर निगम द्वारा जारी भवन अनुज्ञा की शर्तों के विपरीत अवैध निर्माण को रोकने की चेतावनी दी गई थी लेकिन संबंधित ने निर्माण जारी रखा। इस पर नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में वर्णित प्रावधानों के तहत अवैध निर्माण के हिस्से को जेसीबी से तोड़ा गया है। इसी प्रकार ताला हाउस के पास डॉ. जय सिंह (मझियार हाउस) का भवन 5 मंजिला जो अमहिया नाले के किनारे स्थित है, इसमें सिंह द्वारा अवैध रूप से नाले की सीमा एवं ग्रीन बेल्ट के क्षेत्र में निर्माण कराया गया था। एक दिन पहले ही प्रशासन की टीम ने यहां पर पहुंचकर मुआयना किया था। इसके बाद कार्रवाई की गई है और नाले का रास्ता खुलवाया गया। बताया गया है कि कुछ साल पहले भी इस स्थान से अतिक्रमण को हटाया गया था लेकिन फिर से संबंधित ने नाले की भूमि पर कब्जा कर लिया।

इसी प्रकार वार्ड 4 रेल्वे मोड़ के पास पडऱा रीवा में स्व. श्रीधर त्रिपाठी के नाम भूमि खसरा क्रमांक 71 के रकवा 0.40 में भवन निर्माण अनुज्ञा निगम द्वारा 2017 में प्रदान की गई थी, परंतु सम्बंधित द्वारा खुले भाग में भी निर्माण करा लिया गया था। खुले भाग पर आरसीसी कालम खड़ा कर भूतल, प्रथम तल, द्वितीय तल, तृतीय तल में निर्माण कराया गया था। इस विल्डिंग के दोनों तरफ खुले भाग में अवैध निर्माण कराया गया है। जिसे हटाने की नोटिस जारी की गई थी। संबंधित परिवार ने नगर निगम को सहमति पत्र दिया है कि वह स्वयं अतिरिक्त निर्माण हटा लेंगे। बताया गया है कि निगम आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि उक्त निर्माण का सत्यापन भी कराएं। 

निर्माण के दौरान खामोशी से बढ़ रहे अतिक्रमण

शहर में नगर निगम अधिकारियों की खामोशी से अतिक्रमण तेजी से बढ़ा है। अधिकांश बड़े अतिक्रमण पर लोगों की ओर से शिकायतें भी आती हैं लेकिन निगम के अधिकारी कार्रवाई करने बजाए अधिकांश में संरक्षण देते नजर आते हैं. यही वजह से है कि अब सरकारी भूमि पर तेजी के साथ अतिक्रमण हो रहा है। शहर के मुख्य नाले के दोनों ओर और शिल्पी प्लाजा वार्ड न 17 में बड़ी संख्या में अतिक्रमण है। वहीं सड़कों और नालियों पर कब्जा हो गया और निगम के अफसरों की खामोशी बनी रही। लापरवाही पर कार्रवाई नहीं होने की वजह से भी इस तरह के हालात बने हैं।

इनपर नहीं हुई कार्यवाही 

चाय सुट्टा बार समेत शिल्पी प्लाजा ए और बी ब्लॉक के पीछे फुटपाथ पर फैला है अतिक्रमण,नहीं है किसी के पास कोई अनुमति चक्रधर सिटी के सामने संचालित चाय सुट्टा बार की बिना किसी अनुमति के संचालित है इसके संचालक द्वारा दिन भर बीच सड़क पर जाम लगवाया जाता है। इसके अलावा शिल्पी प्लाज़ा ए और बी ब्लॉक के पीछे फुटपाथ पर अतिक्रमण फैलाया गया है,पूरी सड़क जाम रहती है,दिन भर जाम लगा रहता है।

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                               शाम होते ही MP17 पार्किंग में अवारातत्वों का लगता है जमावड़ा 

वहीं एक नज़र डालो तो अवैध रूप से संचालित चाय सुट्टा बार पर क्यों मेहरबान है नगर निगम अमला? नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने को भूल गया प्रशासन

नगर निगम रीवा की शासकीय भूमि में अब कोई भी व्यक्ति अतिक्रमण कर सकता है,अतिक्रमण विरोधी दस्ते को केवल गरीब और छोटे व्यवसायियों का अतिक्रमण दिखाई देता है जबकि रसूखदार एवं बड़े अतिक्रमणकारियों पर नगर निगम प्रशासन मेहरबान दिखाई देता है।

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 शिल्पी प्लाजा पीछे पार्किंग पर मधुवन फूड्स जहाँ वाकिंग जोन पर धीरे धीरे किया जा रहा अतिक्रमण 

नगर पालिक निगम रीवा की बेशकीमती जमीन पर रसूखदार बिना किसी डर के अवैध कब्जा कर रहे हैं और राजस्व को भी चूना लगा रहे हैं,इस ओर नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है और केवल नोटिस जारी कर कार्यवाही को खत्म किया जा रहा है।

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चाय सुट्टा बार जहाँ शाम होते ही 100 की संख्या में लगता है जमावड़ा, भारी अड़े तिरछे वाहनों से लगता है जाम 

जानकारी के मुताबिक चक्रधर सिटी सेंटर एवं सैमसंग केयर के सामने चाय सुट्टा बार के नाम से व्यवसाय करने वाले व्यापारी द्वारा नगर निगम की शासकीय भूमि पर बिना किसी अनुमति के व्यापार किया जा रहा है,एवं अवैध रूप से टीन शेड का निर्माण कर लिया गया है किंतु अब तक नगर निगम द्वारा इसे हटाने की कोई कार्यवाही नहीं की गई। एक वर्ष पूर्व नगर निगम ने एक नोटिस जारी कर मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। नगर निगम के इस दोहरे रवैये से साफ जाहिर होता है कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही केवल गरीबों के लिए होती है और बड़े अतिक्रमणकारियों को अभयदान दिया गया है।

तीस हजार रुपये मासिक किराये पर हुआ है एग्रीमेंट

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सूत्रों की मानें तो अब्दुल वफ़ाती से तीस हजार रुपये प्रति माह के मासिक किराये पर चाय सुट्टा बार संचालित करने वाले ने एक एग्रीमेंट किया है जिसके तहत यह दुकान खोली गई है लेकिन नगर निगम ने अपने नोटिस में साफ तौर पर यह स्पष्ट किया है कि यह एक अतिक्रमण है जिसे हटाया जाएगा लेकिन सवाल यह है कि जब यह अतिक्रमण किया गया है तो किसी ने इसे कैसे एग्रीमेंट कर इसे किराये पर दे दिया है।

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मॉम्स मैजिक समेत कई ऐसे नई दुकानें है जो पूरी तरह से अवैध अतिक्रमण है जो निगम के संरक्षण से फल फूल रही है। 

आखिर किसका प्राप्त है संरक्षण

बताया यह जाता है कि इस रिक्त पड़ी शासकीय भूमि पर कई लोगों की गिद्ध जैसी नजर है और धीरे धीरे कर इसमें कब्जा किया जा रहा है,सूत्रों की मानें तो यहाँ अतिक्रमण करवाने में नगर निगम के जोन क्रमांक 2 के कई अधिकारियों का भी हाँथ है। उच्च स्तर पर भी शिकायत दर्ज कराई गई है। जल्द ही इस अतिक्रमण की वास्तविक अन्य जानकारी भी प्रकाशित की जाएगी।

अवैध निर्माण नहीं रोक पाने वाले अधिकारियों को शोकाज

शहर में हर ओर बढ़ते अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं करने की वजह से नगर निगम के आयुक्त ने फिर कई अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिसमें पदीय दायित्व का निर्वहन नहीं करने और स्वेच्छाचारिता के अनुसार काम करने का आरोप है।

यह नोटिस जोन क्रमांक एक के प्रभारी कार्यपालन यंत्री एसके चतुर्वेदी, प्रभारी सहायक यंत्री राजेश मिश्रा, उपयंत्री रमेश सिंह को दो वेतन वृद्धियां असंचयी प्रभाव से रोकने के लिए दिया गया है। अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा।

इसके साथ ही जोन 4 के समयपाल केशव प्रसाद पटेल द्वारा पांच फरवरी को बिना सक्षम स्वीकृति के कर्तव्य में अनुपस्थित रहने पर निगमायुक्त द्वारा एक दिवस के वेतन काटे जाने के निर्देश दिए गए हैं. 


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