REWA : चहेतों को दिया लाभ, खुद को फंसता देख बैठाई जांच : 70 लाख के घोटाले का मामला : पढ़िए

 

REWA : चहेतों को दिया लाभ, खुद को फंसता देख बैठाई जांच : 70 लाख के घोटाले का मामला : पढ़िए

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। जिले का जिला शिक्षा अधिकारी का कार्यालय सदैव विवादों के घेरे में रहता है नया मामला एरियर भुगतान को लेकर प्रकाश में आया है जहां ताबडतोड दस्खत कर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अपात्र लोगों के खाते में अनुदान राशि के 70 लाख रुपए डाल दिए गए। पात्र लोगों द्वारा शिकायत किए जाने पर खुद को फंसता देख जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आनन-फानन में न केवल जांच कमेटी का गठन किया गया बल्कि जांच कमेटी ने पूरे मामले की 3 दिन के अंदर जांच कर जांच प्रतिवेदन अनुदान शाखा के सहायक ग्रेड 3 अखिलेश तिवारी व मुख्य लिपिक एवं कैसियर अशोक शर्मा को दोषी करार देते हुए कलेक्टर को सौंप दिया। जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद रीवा कलेक्टर द्वारा क्रमशः अशोक शर्मा एवं अखिलेश तिवारी को निलंबित कर दिया गया है साथ ही मामले की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।

क्या है मामला

बता दे की जिले के तीन स्कूलों को एडेड विद्यालय घोषित किया गया था। उन विद्यालयों के कर्मचारियों को भुगतान कलेक्ट्रेट के ट्रेजरी से किया जाता हैं । बताते हैं कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ कैशियर अशोक शर्मा अनुदान शाखा प्रभारी अखिलेश तिवारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी ने मिलीभगत कर 14 कर्मचारियों के खाते में 70 लाख रुपए की राशि डाल दी गई। उक्त मामले की शिकायत पात्र कर्मचारियों द्वारा जन सुनवाई के दौरान कलेक्टर रीवा से की गई थी। जांच करने के आदेश जैसे ही कलेक्ट्रेट रीवा से जारी हुआ उसी समय जिला शिक्षा अधिकारी आर एन पटेल खुद को फंसता देख आनन-फानन में शिक्षा विभाग की कमेटी बनाकर जांच प्रतिवेदन तैयार कर दिया ।जांच प्रतिवेदन में कैसे अशोक शर्मा एवं अनुदान शाखा प्रभारी अखिलेश तिवारी को दोषी करार दिया गया है।

इनके खाते में भेजा पैसा

बताया गया है जिन खातों के आधार पर शिकायत की गई थी उनमें कहा गया था कि अर्चना तिवारी सुषमा तिवारी रोली तिवारी अब भैया लाल के खाते में अनुदान के पैसे डाले गए यह सभी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच सहायक अध्यापक विजय तिवारी के रिश्तेदार है विजय तिवारी के कहने पर ही अनुदान शाखा प्रभारी कैशियर एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा राशि का भुगतान किया गया है पूरे मामले में परसेंटेज लेकर भुगतान करने का भी आरोप लगाया गया है।

बचने का जुगाड़

खुद के बचाव में जिला शिक्षा अधिकारी ने कलेक्टर को अवगत कराते हुए बताया कि कि उक्त एरियर का भुगतान पूर्व डीईओ अंजनी त्रिपाठी के समय किया गया है विभाग के अधिकारियों की मानें तो 70 लाख रुपये का भुगतान रीवा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किया गया है उस समय जिला शिक्षा अधिकारी आरएन पटेल थे। लेकिन जांच प्रतिवेदन में कहीं भी उनका जिक्र नहीं है।

खुद जांच कमेटी में

जानकार बताते हैं कि जब किसी पर आरोप लगता है या किसी तरह का घोटाला होता है उसके जांच के लिए बनाई गई जांच कमेटी में उन लोगों को नहीं रखा जाता है जिन पर आरोप लगे हैं इस मामले में अनुदान शाखा प्रभारी कैसियर सहित जिला शिक्षा अधिकारी पर आरोप लगे थे बावजूद इसके जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा गठित कमेटी खुद जांचकर्ता अधिकारी के तौर पर मौजूद रहे। जांच प्रतिवेदन में भी उन्होंने खुद को क्लीन चिट दे दिया है।

प्रक्रिया पर एक नजर

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एरियर भुगतान के संबंध में सबसे पहले अनुदान शाखा प्रभारी रोस्टर तैयार करता है जिसमें कैसियर द्वारा गैस का लेखा जोखा का पत्रक तैयार कर पूरी फाइल को जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करता है फाइल जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर कर भुगतान के लिए फाइल को ट्रेजरी ऑफिस भेज दिया जाता है जहां से संबंधित कर्मचारी के खाते में पैसे भेज दिए जाते हैं पूरे मामले में अधिक से अधिक परसेंटेज के खेल के कारण यह बड़ा घोटाला प्रकाश में आया है।

जिला पंचायत सीईओ करेंगे जांच

कलेक्टर द्वारा किए गए निलंबन के बाद जब पक्षपातपूर्ण कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह लगने लगा तो कलेक्टर रीवा द्वारा पूरी फाइल जिला पंचायत सीईओ के कार्यालय भेज कर पुनः जांच करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं जिनके द्वारा जांच कर इस बात का पता लगाया जाएगा कि आखिरकार पूरे मामले में दोषी कौन कौन है।


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