जामताड़ा की तर्ज पर MP का निवाड़ी जिला भी बना ऑनलाइन फ्रॉड का गढ़ , ट्रेनिंग सेंटर से लेकर कॉल सेंटर तक युवाओं ने फैलाया कारोबार

 

जामताड़ा की तर्ज पर MP का निवाड़ी जिला भी बना ऑनलाइन फ्रॉड का गढ़ , ट्रेनिंग सेंटर से लेकर कॉल सेंटर तक युवाओं ने फैलाया कारोबार

जामताड़ा की तर्ज पर मध्य प्रदेश का निवाड़ी जिला भी ऑनलाइन फ्रॉड का गढ़ बन रहा है।उत्तर प्रदेश की बॉर्डर से लगे निवाड़ी के जिले के गोरखास और अस्तारी गांव के युवा ऑनलाइन फ्राड कर रहे हैं। अस्तारी गांव में कॉल सेंटर तक बना रखा है। यहां युवाओं को ट्रेनिंग दी जाती है। यह खुलासा सायबर क्राइम भोपाल के हत्थे चढ़े 4 ठगों ने किया। आरोपियों ने ऑनलाइन लॉटरी और ड्रा खुलने के नाम पर लोगों से करोड़ों की कमाई कर चुके हैं।

जालसाजों ने लॉटरी खुलने के नाम पर सूखीसेवनिया थाने के ग्राम चौपड़ा कला निवासी परवेज (17) से 38 हजार रुपए से ज्याद ऐंठ लिए थे। परवेज ने अपनी बहन की शादी के लिए यह रकम जोड़कर रखी थी। उसने सूखीसेवनिया थाने में 7 महीने पहले ऑनलाइन ठगी की शिकायत की थी। जांच के बाद 26 फरवरी को पुलिस ने FIR दर्ज की थी। मामला सायबर क्राइम को सौंप दिया गया।

इस तरह पुलिस आरोपियों तक पहुंची

सायबर पुलिस प्रदेश भर का चक्कर लगाते हुए निवाड़ी पहुंची। यहां से पुलिस ने गोरखास से विनोद अहिरवार, अंकित अहिरवार और अरविंद प्रजापति को पकड़ा, जबकि अस्तारी से राघवेंद्र यादव पकड़ा गया। उनके पास से 4 मोबाइल फोन, एक एटीएम कार्ड, 1 माइक्रो एटीएम और एक थम्ब इंप्रेशन मशीन को जब्त किया। आरोपियों ने गांव में ठगी के रुपयों से पक्के मकान खड़े कर लिए हैं।

पूछताछ में आरोपियों ने यह खुलासा किया

पकड़े गए आरोपी 10वीं और 12वीं पास हैं, जबकि एक सेकंड ईयर तक पढ़ा बताया जाता है। राघवेंद्र ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन फ्रॉड के बारे में टीवी और इंटरनेट के माध्यम से जाना। इसके बाद इस खेले से जुड़े लोगों के संपर्क में आए और फिर उन्होंने भी करीब 5 साल पहले इस पर काम शुरू कर दिया। वह अब तक हजारों की संख्या में लोगों को कॉल कर लकी ड्रॉ और लॉटरी खुलने का झांसा दे चुके हैं। इसी तरह वे प्रदेश ही नहीं पूरे देश में लोगों को कॉल कर धोखाधड़ी करते हैं।

इस तरह फसाते हैं जाल में

आरोपियों ने बताया कि वे ऑनलाइन मिले डाटा के आधार पर लोगों को कॉल करते हैं। उन्हें झांसा में लेते हुए उनसे अलग-अलग खातों में रुपए फीस से लेकर अन्य तरह के टैक्स के नाम पर जमा करवाते थे। जब लगता था कि अब सामने वाला रुपए नहीं देगा, तो सिम तोड़कर फेंक देते थे। उसके बाद नए ग्राहक खोजते थे।

इस तरह चल रहा था नेटवर्क

विनोद अहिरवार - लोगों को फर्जी कॉल कर लकी ड्रा का लालच देकर धोखाधड़ी पूर्वक पैसे जमा करवाना।

अंकित अहिरवार - एटीएम कार्ड से पैसे निकालना।

अरिवंद प्रजापति - स्वयं के कियोस्क से पैसे निकालना एवं सिम की व्यवस्था करना।

राघवेंद्र यादव - मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की सीमा पर चने की दुकान चलाना, फोन करना एवं कमशीन पर नकद पैसे मुख्य आरोपियों तक पहुंचाना तथा आरोपियों को संरक्षण देना।

ऐसे जुटाते थे फ्राड के संसाधन

​​​​​​​डाटा - इसके लिए आरोपी उत्तर प्रदेश के गिरोह के सदस्यों और ऑनलाइन डाटा की साइट के संपर्क में रहते थे।​​​​​​​

सिम - इस काम के लिए सबसे महत्वपूर्ण सिम आरोपी फर्जी कागजातों की मदद से प्राप्त करते थे। पुलिस की मुख्य चुनौती इसी गिरोह को तोड़ना है।

लॉटरी का झांसा देकर जमा कराए रुपए

परवेज ने बताया कि कंपनी की तरफ से उसकी 3 लाख 90 हजार की लॉटरी खुलने का कॉल आया था। इसे पाने के लिए प्रोसेसिंग फीस और अन्य तरह की प्रक्रिया के लिए 44 हजार रुपए जमा कराने को कहा गया था। परवेज ने उनके कहने पर SBI और PNB के दो अलग-अलग खातों में कुल 38 हजार रुपए जमा कर दिए थे। एक में उसने 28 हजार और दूसरे में 10 हजार जमा किए।

इसके बाद वह 6 हजार की और मांग करने लगे थे। उसने बताया कि उसकी दो बहनें हैं। एक उससे बड़ी है, जबकि एक उस से छोटी है। बड़ी बहन की शादी पक्की हो गई। ईद के बाद शादी होनी है। उसी के लिए वह दिन-रात मेहनत कर पैसे जुटा रहा था। 38 उसने जमा कर लिए थे और यहां वहां से पैसों का इंतजाम कर रहा था। यही रुपए उसने लॉटरी के नाम गंवा दिए।


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