REWA : TRS कॉलेज रीवा ने किया स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान

 

    REWA : TRS कॉलेज रीवा ने किया स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान

रीवा। शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय रीवा द्वारा मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी के निर्देशन में रीवा के जीवित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान किया गया। महाविद्यालय परिवार द्वारा सत्यवती देवी एवं पंडित चंद्रकांत शुक्ल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का सम्मान किया गया।

सर्वप्रथम महाविद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान में छात्रों को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी ने कहा की भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में पूरे देश के लोगों के साथ बघेलखण्ड के लोगों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस भूभाग के चारों ओर ब्रिटिश भारत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के महत्वपूर्ण केंद्र झांसी, नौगांव, सागर, बांदा, इलाहाबाद, मिर्जापुर, जबलपुर एवं बिलासपुर थे।

कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर अखिलेश शुक्ल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत छोड़ो आन्दोलन सम्पूर्ण देश में 9 अगस्त 1942 से प्रारंभ हुआ। किन्तु बघेलखंड की प्रमुख रियासत रीवा में अंग्रेजों रीवा छोड़ो आन्दोलन 18 फरवरी 1942 को उस समय प्रारम्भ हुआ जब रीवा वासियों को यह पता चला कि रीवा का शासन अंग्रेजों ने अपने हाथ में लिया है और यहा के तत्कालीन नरेश महाराज गुलाब सिंह को राज्य की सीमाओं के बाहर रहने का निर्देश ब्रिटिश सरकार ने दिया है। महाविद्यालय परिवार द्वारा सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सग्राम सेनानियों को याद और नमन किया गया। महाविद्यालय में कार्यक्रम के पश्चात महाविद्यालय का डेलिगेशन प्राचार्य के नेतृत्व में परम सम्माननीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीमती सत्यवती देवी जी के आवास पर गया वहां प्राचार्य डॉ अर्पिता अवस्थी ने उनसे बात की। उनके यहा श्री भगत सिंह ने आजादी की कई बातें बताई तत्पश्चात उनके आवास पर श्रीमती सत्यवती देवी जी का सम्मान पत्र शाल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया।

योगदान के लिए नमन

इसके बाद महाविद्यालय का डेलिगेशन पंडित चंद्रकांत शुक्ला के आवास पर पहुंचा और उन्हें आजादी की योगदान के लिए नमन करते हुए सम्मान पत्र शाल एवं श्रीफल से प्राचार्य डॉ अर्पिता अवस्थी ने उनका सम्मान किया। पंडित चन्द्रकान्त शुक्ल ने 1942 के आन्दोलन में सक्रिय सहभागिता की थी। उन्होने आन्दोलन की पूरी बातें सभी को बतायी। उन्होंने कहा कि आज हमें जो बोलने की आजादी है अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता है। वह आजादी के आन्दोलन के कारण ही है। महाविद्यालय के डेलिगेशन में डॉ. शालिनी दुबे, डॉ. अच्युत पांडेय, डॉ. संजय शंकर मिश्रा, डॉ. पूनम मिश्रा, डॉ. नागेश त्रिपाठी, डॉ. रवीन्द्र ध्रुर्वे, प्रो. नित्यानन्द चौधरी, प्रो. शिवबिहारी कुशवाहा सम्मिलित रहे।

श्रीमती सत्यवती देवी जी के परिवार से डॉ. डी.एस.बघेल, डॉ. किरण बघेल, भगत सिंह, डॉ. अभिमन्यु सिंह, डॉ. मान सिंह, डॉ. आर.एस. परिहार, डॉ. सज्जन सिंह, डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह, इंजी. विनोद सिंह तथा पं. चन्द्रकान्त शुक्ल के परिवार से श्रीमती हेमलता शुक्ल, डॉ सौम्या शुक्ल, मनु मिश्रा तथा रोहणी द्विवेदी ने सम्मान कार्यक्रम में सहभागिता की।

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