नए वित्तीय वर्ष से MP में GST, चेकबुक और TAX समेत होंगे कई बड़े बदलाव : पढ़ ले ये जरुरी खबर

 

नए वित्तीय वर्ष से MP में GST, चेकबुक और TAX समेत होंगे कई बड़े बदलाव : पढ़ ले ये जरुरी खबर

इंदौर। जीएसटी हो या संपत्तिकर, लाइसेंस हो या चेकबुक 1 अप्रैल से शहरवासियों के जीवन में कई बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। इससे न सिर्फ व्यापारी बल्कि आमजन भी प्रभावित होंगे। नए वित्तीय वर्ष के लागू होते ही जीएसटी के बदले नियम लागू हो जाएंगे, साथ ही संपत्ति कर की नई दर भी जेब पर असर डालेगी।

जीएसटी में होगा यह बदलाव

ऐसे व्यापारी जिनका टर्न ओवर 50 करोड़ से ज्यादा है, उन्हें 1 अप्रैल से जीएसटी में ई-इनवाइस जारी करना होगा। उन्हें सॉफ्टवेयर और बिलिंग की ऐसी व्यवस्था करना होगी, ताकि वे ई-इनवाइस जारी कर सके। 1 अप्रैल से बिल पर वस्तु या सेवा का अनिवार्य रूप से एचएसएन कोड लिखना होगा। जिनका टर्न ओवर 1.5 करोड़ तक है, उन्हें 4 अंकों का एचएसएन कोड  लिखना होगा। 1.5 करोड़ से अधिक एवं 5 करोड़ तक के टर्न ओवर पर पहले 2 अंकों का एचएसएन कोड लिखना होता था, अब 4 अंकों का एचएसएन कोड लिखना होगा। 5 करोड़ से अधिक टर्न ओवर वाले व्यापारियों को पहले 4 अंकों का एचएसएन कोड लिखना होता था, अब 6 अंकों का एचएसएन कोड लिखना होगा।

लर्निंग लाइसेंस घर बैठे

राज्य परिवहन विभाग 1 अप्रैल से लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने जा रहा है। यानी घर बैठे कोई भी लर्निंग लाइसेंस बना सकता है। आवेदन घर से ही टेस्ट भी दे सकेगा।

स्कूलों में नया सत्र

सीबीएसई स्कूलों का नया सत्र भी 1 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। इंदौर में सीबीएसई से जुड़े 150 स्कूलों में करीब 1.20 लाख छात्र हैं। ये बच्चे स्कूलों में बस्ते लेकर नहीं पहुंचेंगे। ऑनलाइन पढ़ाई ही होगी।

चेक बुक पुरानी नहीं चलेगी

जिन लोगों का बैंक खाता विजया बैंक, देना बैंक, कार्पोरेशन बैंक, आंध्रा बैंक, ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया या इलाहाबाद बैंक समेत उन बैंकों में हैं, जिनका विलय हो रहा है, तो उनकी पुरानी चेकबुक और पासबुक 1 अप्रैल 2021 से नहीं चलेगी।

संपत्तिकर का नियम बदला जाएगा

नगर निगम में संपत्तिकर की गणना तय दाम के बजाय अब गाइडलाइन से होगी। पुराने रेट जोन के फार्मूले की जगर नए फार्मूले के मुताबिक वर्ष 2019-20 और 2020-21 की गाइडलाइन में यदि किसी क्षेत्र की संपत्ति के मूल्य में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है, तो उस पर बढ़ी हुई दर से संपत्ति का वार्षिक भाड़ा मूल्य तय करते हुए हुए टैक्स की गणना की जाएगी। इसमें शहर के पुराने और बस्ती क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होंगे।

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